ADVERTISEMENTREMOVE AD

Chhattisgarh: ईसाई महिला का शव दफनाने पर बवाल, पुलिस के सामने पत्थरबाजी और झड़प

Chhattisgarh Conversion Case:बस्तर में विशेष धर्म की महिला के शव को गांव में दफनाने से गांव वालों ने मना कर दिया.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

छ्त्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर में ईसाई महिला की मौत के बाद उसके शव दफनाने को लेकर 36 घंटे तक जमकर बवाल हुआ. गांव में शव दफनाने लेकर जा रहे घरवालों को ग्रामीणों ने रोक दिया. वहीं शव दफनाने से रोके जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर विवाद हुआ है और पुलिस की मौजूदगी में पत्थरबाजी की गई. हालांकि पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई. जिसके बाद परिवार ने मजबूर होकर शव को निजी जमीन में दफनाने का फैसला किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बता दें कि यह मामला जगदलपुर के बेजरीपदर गांव का जहां बेको परिवार के एक सदस्य को दफनाने के लिए जगह देने से मना कर दिया. जिसके बाद शव के अंतिम संस्कार को लेकर आदिवासी और एक समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए.

आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि वे शव का दाह संस्कार करना चाहते हैं, लेकिन आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार. जबकि धर्मांतरित परिवार के लोगों का कहना है कि धर्म परिवर्तन होने चलते वे अपने रीति-रिवाजों से शव को दफनाएंगे.

क्या है मामला?

यह मामला बस्तर जिले के तोकापाल ब्लाक के बेजरीपदर ग्राम का है. इस गांव की रहने वाली माते बेको (45) की 19 मार्च को मौत हो गई थी. महिला की मौत के बाद उसके शव को गांव में दफनाने के लिए मना कर दिया गया. दरअसल, मृत महिला का परिवार आदिवासी समुदाय से धर्मांतरित होकर ईसाई धर्म अपना लिया है. वहीं घरवालों ने महिला का शव आदिवासियों के लिए आरक्षित कब्रिस्तान (मुर्दा भाटा) में दफनाने पहुंचे थे. लेकिन आदिवासी समुदाय के लोग इस शव को आरक्षित कब्रिस्तान में दफनाने से मना कर दिया. जिसके बाद दोनों समुदाय के बीच ये विवाद बढ़ गया.

वहीं तनाव की स्थिति को देखते हुए रविवार दोपहर से ही पुलिस बल की तैनाती की गई, लेकिन सोमवार सुबह दोनों समुदाय के बीच विवाद और बढ़ गया, विशेष धर्म के लोग गांव में ही शव दफनाने की बात को लेकर अड़े रहे, वहीं गांव के मूल आदिवासियों ने किसी भी कीमत पर शव को गांव में दफनाने नहीं देने की बात कही. इस दौरान दोनों समुदाय के लोगों के बीच आपसी झड़प भी हुई. जिसके बाद पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. वहीं ग्रामीणों के इस पथराव में दो जवान घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

हालात को देखते हुए बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार, एडिशनल एसपी निवेदिता पॉल, सीएसपी विकास कुमार और केशलूर के एसडीओपी ऐश्वर्य चंद्राकर के अलावा टीआई और एसआई रैंक के दर्जनों पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद हैं.

19 मार्च की आधी रात को भेजरीपदर गांव की एक महिला की बीमार पड़ने से मौत हो गई, जिसके बाद उसके घरवालों ने गांव में मौजूद कब्रिस्तान में महिला के शव को दफनाना चाहा और इसके लिए परिजनों के साथ कुछ गांव वाले शव को दफनाने कब्रिस्तान ले जा रहे थे, इसी दौरान गांव के ग्रामीणों ने उनका रास्ता रोका और शव दफनाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. जिसकी जानकारी पुलिस को दी गई, फिलहाल गांव में अब शांतिपूर्ण माहौल है और महिला के शव को दफना दिया गया है. वही ग्रामीणों के पथराव में एक दो जवान घायल हुए हैं उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.
ऐश्वर्य चंद्राकर, बस्तर पुलिस के एसडीओपी

इस मामले में छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेंद्र भवानी ने कहा कि, 36 घंटे बाद मृतिका के शव को सार्वजनिक कब्रिस्तान होने के बावजूद अपमानित होकर निजी भूमि में कफन दफन किया गया. सभी वर्गों में मृत्यु होना आम बात है. दुनिया में आए हैं तो जाना भी स्वाभाविक है.

शव के दफन विधि को लेकर जिस प्रकार से विरोध प्रदर्शन हो रहा है. यह एक विचारणीय बात है. गैर संवैधानिक माहौल बीता है. इसके ऊपर जिम्मेदार अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए. कम से कम भारतीय संविधान का अपमान तो ना किया जाए. विषय यह है कि भारतीय नागरिक होने के नाते हर वर्ग के लोगों को भारतीय संविधान का अधिकार क्यों नहीं मिल रहा है?
नरेंद्र भवानी , संस्थापक, छत्तीसगढ़ युवा मंच

नरेंद्र भवानी ने आगे कहा कि, डेढ़ दिन लाश रखने के बाद तनाम की स्थिति बन गई. पत्थरवाह विरोध करने वाले लोगों के तरफ से किया गया और विचारणीय बात यह है कि पत्थरवाह पुलिस के पीछे से हुआ. उसके बाद पीड़ित लोगों ने निर्णय लेकर निजी भूमि में शव को दफनाया गया. इस दौरान जिला प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक बन कर रहे. पहले ही अगर संविधान का परिपालन कराने की काम करते तो यह समस्या गैर कानूनी, गैर संवैधानिक काम जो हो रहा है इस पर रोक लगता. बस्तर जिले में लगातार ऐसा माहौल बना हुआ है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×