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पादरी का आरोप- बांधकर बेरहमी से पीटा, जय श्री राम बोलने को मजबूर किया, FIR दर्ज

उन्होंने मुझे गालियां भी दीं और जंगली जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया और मुझे बांग्लादेशी कहा- पादरी

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"मुझे जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया गया और बांग्लादेशी बुलाया गया"

पादरी ने आरोप लगाया कि 25 फरवरी को जैसे ही वह भट्टी माइंस में एक दोस्त के घर से निकले तब उन्हें तीन लोगों ने घेर लिया. उन्होंने कहा, उन लोगों ने मुझे गालियां दीं, मुझे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और मुझे जय श्री राम बोलने के लिए करने के लिए मजबूर किया."

पादरी ने बताया कि जब उन्होंने उन लोगों का विरोध किया तो तीन लोगों ने उनकी पिटाई कर दी.

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि, "उन्होंने मुझे गालियां भी दीं और जंगली जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया और मुझे बांग्लादेशी कहा. उन्होंने मुझ पर जबरन धर्मांतरण करने का आरोप लगाया जो सच नहीं है."

बता दें कि यह पादरी झारखंड के अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं.

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दिल्ली में एक पादरी ने आरोप लगाया कि, 25 फरवरी को उसे जबरन धर्म परिवर्तन करने के संदेह में कथित तौर पर एक सड़क के डिवाइडर से बांध दिया गया था और भीड़ ने पिटाई कर दी थी. यह मामला दक्षिण दिल्ली के फतेहपुर बेरी का है. दिल्ली पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

पादरी की पहचान दक्षिण दिल्ली के असोला एक्सटेंशन निवासी 35 वर्षीय केलोम टेटे के रूप में हुई है.

अतिरिक्त डीसीपी (दक्षिण) मांडव हर्षवर्धन ने द क्विंट को बताया कि आईपीसी की धारा 365 (अपहरण), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 341 (गलत तरीके से रोकना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पादरी ने कहा, "मैंने 27 फरवरी को मैदान गढ़ी थाने में लिखित शिकायत दी थी. मैं 2 मार्च को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भी जा कर आया और उनके माध्यम से आयुक्त को एक पत्र भी सौंपा है."

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"100 लोगों की भीड़ ने मुझे मारने के इरादे से पीटा"

दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखे अपने पत्र में पादरी ने दावा किया, "एक सागर तंवर के नेतृत्व में 100 लोगों की भीड़ ने मुझे मारने के इरादे से मुझे बेरहमी से पीटा." इसके बाद, उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें एक कार के अंदर बैठने के लिए मजबूर किया गया था, बताया गया था कि उन्हें एक पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा था और जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था.

लेकिन इसके बजाय पादरी को असोला के पीपल चौक ले जाया गया जहां उन्हें कथित तौर पर एक डिवाइडर की रेलिंग से बांध दिया गया था.

पादरी ने कहा, "उन्होंने मुझे बांध दिया, मुझे बहुत पीटा और मुझे फिर से जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया. मैंने उन्हें रुकने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. वहां देखने के लिए बहुत से लोग इकठ्ठा हुए लेकिन एक भी व्यक्ति ने मेरी मदद नहीं की."

इतना ही नहीं उन्होंने यह भी दावा किया कि "पीटने वालों ने वहां से आते जाते लोगों को मुझे थप्पड़ मारने के लिए कहा. उन्होंने मेरा बेग छीन लिया, मोबाइल फोन ले लिया, कुछ कागजात लिए और बाइबल भी चुरा ली."

दिल्ली के कमिश्नर को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि "करीबन एक घंटे तक बंधे रहने के बाद मेरे हाथों को बांधने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की रस्सियों को तोड़कर खुद को मुक्त करने में मैं कामयाब रहा और अपनी जान बचाने के लिए भीड़ से भागने का मौका मिला."

"मैं घर पहुंचा और अपने परिवार के सदस्यों को इस बारे में सूचित किया. मैं 27 फरवरी को पुलिस स्टेशन गया और शिकायत दर्ज की, उन्होंने मुझे मेडिकल चेक-अप के लिए भी भेजा और एक एमएलसी तैयार किया गया. मुझे कुछ चोटें आई थीं."

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