बिहार सरकार को उसके "जल-जीवन हरियाली" (Jal-Jeevan-Hariyali Abhiyan) अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है. दुबई (Dubai) में 28वां जलवायु शिखर सम्मेलन (COP28) चल रहा है. यहां शनिवार, 2 दिसंबर को बिहार ने अपने क्षेत्र में जंगल बढ़ाने के लिए खूब वाह-वाही बटोरी है. दुबई में बिहार के वरिष्ठ अधिकरियों ने राज्य की हरित पहल और जलवायु सुधार के प्रति सरकार की तैयारियों पर जानकारी प्रस्तुत की है.
बिहार में साल 2019-21 के बीच फॉरेस्ट लैंड 9.9 प्रतिशत से बढ़कर 14.75 प्रतिशत हो गया है.
बिहार की वन एवं पर्यावरण विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने बताया, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में, बिहार वनीकरण के माध्यम से जलवायु संकट प्रबंधन में एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है. 2012-13 में हरियाली मिशन के शुभारंभ के बाद से कुल 381.008 मिलियन नए पौधे लगाकर राज्य का जंगल एरिया 2019 में 9.9 प्रतिशत हो गया था. 2019-21 में ये आंकड़ा बढ़कर 14.75 प्रतिशत हो गया है.
सचिव वंदना प्रेयसी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 से बिहार में ग्रीन बजट के कार्यों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "बिहार देश के उन पहले राज्यों में से एक है, जिसने पर्यावरण के लिए हरित बजट पेश किया है. इस बजट का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता की रक्षा करना है."
क्या है COP 28?
यह सम्मेलन कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु प्रबंधन में विकासशील देशों का समर्थन करने पर केंद्रित है. COP28 जलवायु को लेकर UN की कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज की 28 वीं बैठक का हिस्सा है. इसलिए इसे COP28 का नाम दिया गया है. इस सम्मेलन में वैश्विक नेता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)