यूपी के गोरखपुर (Gorakhpur) मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील खान (Kafeel Khan) एक बार फिर मुश्किल में पड़ गए हैं. दरअसल, कफील खान और पांच अज्ञात के खिलाफ लखनऊ के कृष्णानगर थाने में शुक्रवार (1 दिसंबर) को FIR दर्ज की गई. डॉ खान पर आरोप है कि वो और उनके साथी सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं और दंगा फैला सकते हैं. इसके लिए वे अपनी किताब विशेष समुदाय में बंटवा रहे हैं. किताब में सरकार विरोधी व भड़काऊ बातें लिखी गई हैं. पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
क्या है पूरा मामला?
लखनऊ के व्यापारी मनीष शुक्ला के मुताबिक, 1 दिसंबर को वह किसी काम से माताजी की बगिया गए थे. वहां गुमटी के पीछे चार-पांच लोग बातचीत कर रहे थे. वे सभी राज्य सरकार, उनके मंत्रियों व वरिष्ठ अफसरों को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे.
मनीष शुक्ला ने कहा कि वो कह रहे थे:
"डॉ. कफील ने गुप्त रूप से एक किताब छपवाई है. उसे प्रदेश भर में बांटा जा रहा है. किताब लोकसभा चुनाव से पहले विशेष समुदाय के हर शख्स तक पहुंचाने की बात कर रहे थे. यह भी कह रहे थे कि किसी भी कीमत पर सरकार को उखाड़ फेंकना है. चाहे इसके लिए दंगा ही क्यों न करवाना पड़े."
पुलिस ने कफील खान व पांच अज्ञात के खिलाफ IPC की धारा 153-बी, 143, 465, 467, 471, 504, 505, 298, 295, 295-ए, प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1867 की धारा 3 और 12 के तहत FIR दर्ज किया है.
आरोपों पर क्या बोले डॉ कफील?
द क्विंट से बातचीत में डॉ कफील खान ने कहा कि, "आप देखिए, चुनाव आ रहे हैं और एक पंचिंग बैग की जरूरत है. वे जाहिर तौर पर फिल्म के लिए शाहरुख खान को तो नहीं छू सकते, लेकिन वे फिर भी मेरे खिलाफ ऐसी कार्रवाई कर सकते हैं."
"मेरी अम्मी कल से डरी हुई हैं, मेरे बच्चे जो अब बड़े हो रहे हैं, इन घटनाओं के बारे में जान रहे हैं और समझ रहे हैं, यह दिल दहला देने वाला है. मैं उन्हें फिर से क्या बताऊंगा?"डॉ कफील खान
छह महीने जेल में बंद रहे डॉ. कफील खान
सितंबर 2020 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोप रद्द कर दिए, और छह महीने से मथुरा जेल में बंद उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया.
कफील खान पर दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था. उनके खिलाफ कथित तौर पर 'सार्वजनिक व्यवस्था में खलल डालने' के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
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