गोवा में बेची जा रही मछलियों के सुरक्षित होने को लेकर मीडिया के सवालों से तंग आकर मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक पत्रकार पर नाराज होते हुए कहा कि क्या वह उसके पेट में घुसकर जांच करें कि उसने जो मछली खाई है, सुरक्षित है या नहीं. गोवा सरकार ने मछली की आपूर्ति में फोर्मेलिन नाम के हानिकारक केमिकल के इस्तेमाल पर विवाद के चलते जुलाई के आखिर तक पड़ोसी राज्यों से मछलियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
रिपोर्टर के बार-बार पूछने पर कि बुधवार को प्रतिबंध से पहले गोवा वासियों ने जो मछलियां खाई थी, क्या वो सुरक्षित थी? पर्रिकर ने कहा-
“क्या मैं आप के पेट के अंदर जाकर देखूं और फिर आपको बताऊं कि आप ने जो मछली खाई है, वह सुरक्षित है या नहीं. हमने जो दूसरे दिन जांच की, उसकी रिपोर्ट आपको दी. ऐसे लोगों के पास मत जाइए, जो अखबारों को स्टोरियां दे रहे हैं.”-मनोहर पर्रिकर, सीएम
क्यों लगाया गया प्रतिबंध
फॉर्मेलिन नाम के केमिकल के उपयोग पर आई खबरों को लेकर कई वर्गो की नाराजगी का सामना करने के बाद गोवा सरकार ने 15 दिनों तक मछली आयात पर रोक लगा दी है. फोर्मेलिन एक शक्तिशाली कीटनाशक है, जिसका इस्तेमाल मछलियों को खराब होने से बचाने के लिए किया जाता है. पर्रिकर ने इस पर भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि खाद्य और औषधि प्रशासन की ओर से मछली के खेप की जांच की गई, जिससे रोक लगाने का सुझाव दिया गया.
पर्रिकर ने कहा, "चूंकि मैंने मछली आयात पर रोक लगा दी है, लिहाजा मैं परीक्षण करने नहीं जा रहा हूं. इन मुद्दों पर चर्चा की कोई वजह नहीं बनती है, जिन्हें शायद कोई सही तरीके से नहीं समझता. इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा."
मंत्री के ट्वीट ने बढ़ाया विवाद
बता दें कि राज्य के एफडीए अधिकारियों ने बीते शुक्रवार को ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाहरी इलाके से गोवा लाए गए मछली की खेप पर छापेमारी के बाद दावा किया था कि मछलियों को संरक्षित करने के लिए फोर्मेलिन का इस्तेमाल किया गया. लेकिन छापे के तुरंत बाद कृषि मंत्री विजय सरदेसाई ने ट्वीट किया कि मछलियां खाने लायक हैं. इसके बाद इस विवाद ने जोर पकड़ा, जिसके बाद एफडीए ने एक बयान में कहा कि रसायन का इस्तेमाल स्वीकृत सीमा के अंदर था.
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(इनपुट:IANS)
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