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Gyanvapi Case: कथित शिवलिंग पर हिंदू पक्ष को झटका, कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

Gyanvapi Case: कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के मामले में हिंदू पक्ष पहले ही दो भागों में बंटा हुआ था.

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वाराणसी (Varanasi) स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) और श्रृंगार गौरी मंदिर प्रकरण में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर वाराणसी की जिला अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया. वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा की ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर फैसला नहीं दिया जा सकता है.

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जिला जज ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित और संरक्षित करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है. ऐसे में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर फैसला देना मुमकिन नहीं है

ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के मामले में हिंदू पक्ष पहले ही दो भागों में बंटा हुआ था. मुकदमे की मुख्य वादी राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया था, तो वहीं चार महिलाओं ने कार्बन डेटिंग की मांग की थी.

बता दें की कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने की मांग की गई थी. जिस पर अदालत ने आज अपना ऑर्डर सुनाया है.

9 अन्य एप्लीकेशन पर भी हुई सुनवाई 

ज्ञानवापी केस में पक्षकार बनने के लिए आई 9 एप्लिकेशन पर सुनवाई के लिए भी कोर्ट ने शुक्रवार का ही दिन फिक्स किया था. जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडे ने बताया कि सुनवाई अभी जारी है. कोर्ट के संभावित आदेश को लेकर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस और खुफिया तंत्र को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए ड्यूटी करने के लिए कहा गया है. काशी विश्वनाथ धाम परिसर के बाहर और अदालत परिसर के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है.

मुस्लिम पक्ष ने कार्बन डेटिंग पर उठाए थे सवाल

ज्ञानवापी प्रकरण में मस्जिद कमेटी ने कहा है कि, "कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है. कारण यह है कि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की है. फिर यह शिवलिंग की जांच की मांग क्यों कर रहे हैं? हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में कमीशन द्वारा सबूत इकट्ठा करने की मांग कर रहे हैं. सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है."

इसके साथ ही यह भी कहा कि 16 मई 2022 को एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान मिली आकृति पर असमंजस है. उससे संबंधित आपत्ति का निपटारा भी नहीं हुआ है. 17 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी आकृति मिलने वाली जगह को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कहा है. ऐसे में वहां खुदाई या अलग से कुछ भी करना उचित नहीं होगा.

वैज्ञानिक पद्धति से जांच जरूरी- हिंदू पक्ष

ज्ञानवापी मस्जिद और मां श्रृंगार गौरी मंदिर प्रकरण में हिंदू पक्ष की वादी महिलाओं का कहना है कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है. सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी थी. ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है. उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के इलाके की वैज्ञानिक पद्धति से जांच विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है. वैज्ञानिक जांच से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा.

2021 में दाखिल हुआ था मुकदमा

ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर प्रकरण में विश्व वैदिक सनातन संघ की ओर से अगस्त 2021 में संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था.

पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो.

कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था. उसके बाद ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई थी. हालांकि इसके विरोध में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी का कहना था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.

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