प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) के छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के 60 दिन बाद तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस की जांच पर कई सवाल खड़े हो रहे है. तीनों आरोपियों के सत्तापक्ष से संबंधों को पुलिस के जांच में कथित लचर रवैये से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.
पुलिस जांच पर क्यों उठ रहे सवालिया निशान?
वाराणसी पुलिस का कहना है कि तीनों आरोपियों की गतिविधियों को ट्रेस किया जा रहा था और मुखबिर की सूचना के बाद दिसंबर 31 की भोर सुबह उनको गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर क्विंट हिंदी को बताया कि बीएचयू के सीसीटीवी फुटेज में आरोपित तीनों के चेहरे साफ नहीं थे. बुलेट की फोटो के आधार पर जांच की गई.
वाराणसी के लंका, रामनगर, भेलूपुर, दशाश्वेध, लक्सा, चेतगंज, सिगरा और चितईपुर थाना क्षेत्र के करीब 500 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. इसके बाद बुलेट की फोटो चेतगंज, दशाश्वमेध, भेलूपुर होते हुए लंका स्थित बीएचयू गेट के अंदर जाती हुई दिखाई दी.
रात के अंधेरे में कैंपस के कैमरे में उनके चेहरे साफ नहीं दिखे. पीड़िता के बयान के आधार पर फोटो की मिलान कराई गई. इसके बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर के माध्यम से उनकी तलाश शुरू हुई. मोबाइल नंबर के आधार पर उनकी लोकेशन उत्तर प्रदेश के बाहर मध्य प्रदेश और कई बार लखनऊ में मिली. इनको भनक ना लगे इसके लिए पुलिस ने स्थिरता से इनके नंबर को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ट्रेस किया.
उधर मुखबिर को भी उनके घर के आसपास लगाया गया था. जैसे ही उनके घर में होने की सूचना पुष्ट हो गई, पुलिस ने 31 दिसंबर की भोर में 3 बजे के आसपास बुलेट समेत तीनों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया.
वहीं दूसरी तरफ तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद हिमांशु जायसवाल नाम का शख्स का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल है. ट्विटर पर हिमांशु अपना परिचय बीजेपी आईडी सेल के जिला अध्यक्ष के रूप में करते हैं और उनके 24 दिसंबर के ट्वीट में बीजेपी आईटी सेल के प्रदेश सह संयोजक हर्ष चतुर्वेदी और शशि शेखर द्वारा ली गई एक मीटिंग का जिक्र है जिसमें घटना के दो आरोपी कुणाल पांडे और सक्षम पटेल बैठे दिखाई दे रहे हैं.
ऐसे में उन आरोपों को बल मिलता है जिसमें कहा जा रहा है कि वाराणसी पुलिस को आरोपियों के बारे में जानकारी घटना के चंद दिनों बाद ही हो गई थी. लेकिन आरोपियों के राजनीतिक रसूख के चलते उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही थी.
कई बिंदुओं पर पुलिस की कार्यशैली जांच की घेरे में
घटना में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान या प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है. आरोपियों को गिरफ्तार कर स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया. तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
सूत्रों की मानें तो पुलिस ने अपनी तरफ से रिमांड के लिए कोई अर्जी नहीं दी है. ऐसे गंभीर मामलों में अमूमन जांच अधिकारी पुलिस रिमांड की अर्जी कोर्ट में देता है ताकि आरोपियों से पूछताछ और साक्ष्य संकलन कर केस को मजबूत किया जा सके. इससे एक बार फिर स्थानीय पुलिस केस में हो रही हीलाहवाली के आरोपों से घिरी नजर आ रही है.
एसीपी भेलूपुर अतुल कुमार अंजान ने बताया की गैंगरेप के आरोपियों की मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पुलिस के कब्जे में है. प्राथमिक पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया था. रिमांड लेने के लिए अदालत को उचित कारण बताना होता है. फिलहाल पुलिस मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के डेटा रिकवर होने का इंतजार कर रही है. इसके बाद आवश्यकता पड़ी तो पुलिस आरोपियों के रिमांड की अर्जी अदालत में लगाएगी.
सक्षम पटेल था हिंदू युवा वाहिनी का मीडिया प्रभारी
नाम न छापने की शर्त पर वाराणसी के एक बीजेपी नेता ने बताया कि सक्षम पटेल लगभग 6 साल पूर्व हिंदू युवा वाहिनी का जिला मीडिया प्रभारी हुआ करता था. किसी कारण से उसे हिंदू युवा वाहिनी से हटा दिया गया था. बाद में वह बीजेपी के एक विधायक के करीब आया और उसे बीजेपी के महानगर आईटी सेल का सह संयोजक बनाया गया. कुणाल पांडे बीजेपी के पार्षद का दामाद है, वह ठेकेदारी करता है. आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और बजरडीहा के सक्षम पटेल इसके साथ ही रहते थे.
बीजेपी के पार्टी कार्यालय पर कई बैठकों में हुआ शामिल
वाराणसी के सिगरा स्थित गुलाब बाग बीजेपी कार्यालय पर इस बात की बड़ी चर्चा रही कि तीनों आरोपी पार्टी की कई मीटिंग में पिछले दो हफ्ते में शामिल हुए हैं. आश्चर्यजनक बात यह है कि किसी को इसकी भनक तक नहीं थी की तीनों इतने बड़े अपराध के आरोपी है और पुलिस को इनकी तलाश है.
काशी क्षेत्र के अध्यक्ष दिलीप पटेल ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि यह समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस की सरकार नहीं है. बीजेपी की सरकार अपने-पराए में भेद नहीं करती. अन्य पार्टियां अपराधियों और आरोपियों को बचाती रही है लेकिन बीजेपी के कथनी और करनी में अंतर नहीं है. तीनों आरोपित पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के महानगर आईटी सेल से जुड़े रहे हैं, लेकिन वर्तमान में उनके पास कोई दायित्व नहीं है. ऐसे में अगर इन्होंने कोई अपराध किया है तो भारतीय दंड संहिता और पुलिस की विवेचना के आधार पर इनको कठोर सजा दिलाने में पार्टी कसर नहीं छोड़ेगी.
करीब 15 मिनट तक पीड़ित रही बंधक
पीड़ित छात्रा ने लंका थाने को दिए तहरीर में अपनी बेबसी बताई थी. छात्रा बोली- पहले किस किया, फिर मुंह दबाकर वीडियो बनाया, छात्रा ने बताया, "2 नवंबर की रात 1 बजकर 30 मिनट पर अपने हॉस्टल से किसी जरूरी काम के लिए बाहर निकली. गांधी स्मृति चौराहे के पास मुझे मेरा दोस्त मिला. हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन वीर बाबा मंदिर से करीब 300 मीटर दूर पीछे से एक बाइक आई. उस पर 3 लड़के सवार थे. उन लोगों ने बाइक खड़ी करके मुझे और मेरे दोस्त को अलग कर दिया. इसके बाद मेरा मुंह दबाकर एक कोने में लेकर गए. पहले मुझे किस किया, उसके बाद मेरे कपड़े उतारकर वीडियो बनाया और फोटो खींची. मैं जब बचाव के लिए चिल्लाई तो मुझे मारने की धमकी दी." छात्रा ने बताया कि करीब 10-15 मिनट तक आरोपियों ने बंधक बनाए रखा.
मजिस्ट्रेट के सामने बयान के बाद बढ़ी थी गैंगरेप की धारा
बीएचयू छात्रा से हुई छेड़खानी की घटना में पुलिस ने पहले धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी. पीड़िता ने पुलिस पर बयान बदलने का भी आरोप लगाया था. हालांकि मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता के बयान के बाद पुलिस ने गैंगरेप की धारा बढ़ाई थी. इसके बाद से ही आरोपियों की तलाशी में ताबड़तोड़ छापेमारी की गई. पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया था लेकिन असल आरोपियों तक पहुंचने में उसे 60 दिन लगे.
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