मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित न्यू लाइफ हॉस्पिटल में लगी आग से अब तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. मरने वालों में अस्पताल के 3 स्टाफ भी शामिल हैं. 3 लोगों को बचाया गया है, जिन्हें मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. सवाल है कि आग कैसे लगी और इसमें किसकी लापरवाही है?
कैसे लगी आग?
जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने बताया कि
ये हादसा करीब 2:30 बजे के आस-पास हुआ. हमारी दो-ढाई घंटे की पूछताछ में यह बात निकलकर सामने आई है कि बिजली जाने के बाद जो जनरेटर पर स्विच ओपन हुआ उस दौरान शॉर्ट सर्किट जैसी कोई घटना हुई है, जिससे आग लगी, जो कि नीचे से ऊपर की तरफ फैल गई.
एसपी ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस का अमला और फायर ब्रिगेड अमला मौके पर पहुंचा और शीशा तोड़कर कुछ लोगों को बाहर निकाला. मेडिकल कॉलेज से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 8 लोगों की मौत हुई है. फायर सेफ्टी को लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. क्योंकि, अस्पताल की ऐसी हालत हो गई है कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता.
"यह 30 बेड वाला हॉस्पिटल था. दो लोग ICU में भर्ती हैं, तीन अन्य सामान्य घायल हैं. घटना की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. फायर सेफ्टी की जांच होगी, उसके बाद ही पता चल पाएगा. जिस समय घटना हुई उस समय अस्पताल स्टाफ और मरीजों को मिलाकर कुल 25-26 लोग अस्पताल में मौजूद थे. जिन 8 लोगों की मौत हुई उनमें 3 लोग अस्पताल स्टाफ भी हैं. बाकी लोगों को पुलिस और नगर निगम की टीम ने दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला."एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा
किसकी लापरवाही?
कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने आरोप लगाया कि अस्पताल में एक प्रवेश द्वार और एक ही निकासी द्वार था. जबकि, सरकार ने कुछ दिन पहले ही बसों के लिए नियम निकाला था कि अगर बसों में इमरजेंसी गेट नहीं होगा तो बसों को नहीं चलने दिया जाएगा. ऐसे में सरकार ने 100-150 बेड वाले अस्पताल को कैसे चलने दिया? ये सीधे-सीधे मध्यप्रदेश सरकार की घोर लापरवाही है. इसके साथ ही शहर प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही है. ये इतनी हृदय विदारक घटना है कि यहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू हैं, लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
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