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बिहार चुनाव: महागठबंधन से नाराज मांझी की NDA में ‘घर वापसी’ पक्की

बता दें कि कोरोना के शुरुआती दिनों से ही मांझी तेजस्वी यादव के खिलाफ बयान देते रहे हैं.

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ एक बार फिर एनडीए में शामिल होगी. HAM प्रवक्ता डॉ दानिश रिजवान ने कहा कि 3 सितंबर को हिंदुस्तान अवाम मोर्चा NDA का हिस्सा बनेगी, इसकी घोषणा जीतन राम मांझी खुद करेंगें. उन्होंने कहा, विकास के लिए थामेंगें NDA का हाथ,सीट हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं.

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दानिश रिजवान का कहना है, “हमारी पार्टी का कोई विलय नहीं हो रहा है, हम NDA गठबंधन में शामिल होंगे. सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी की विकास की धारा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. जिस तरह से देश संकट से गुजर रहा है और जिस तरह से मोदी सरकार उस संकट से निपट रही है, बिहार में विकास की जो बयार नीतीश कुमार बहा रहे हैं, ऐसे में इन चीजों के साथ पूरे देश को खड़ा होना चाहिए था. इसलिए हमारे नेता जीतन राम मांझी ने फैसला किया है कि हम 3 सितंबर को NDA में शामिल होंगे.”

दलित चेहरा मांझी

बिहार में मांझी खुद को दलित नेता के रूप में पेश करते रहे हैं. इससे पहले वो नीतीश कुमार की पार्टी में थे, 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था. लेकिन दोनों के बीच रिश्ते में तल्खी की वजह से जेडीयू ने उन्हें सीएम पद से हटाने का फैसला किया. जिसके बाद मांझी ने जेडीयू से अलग होकर खुद की पार्टी बनाई.

तेजस्वी पर देते रहे हैं बयान

बता दें कि कोरोना के शुरुआती दिनों से ही मांझी तेजस्वी यादव के खिलाफ बयान देते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि जब भी बिहार में कोई संकट होता है, तब तेजस्वी यादव नहीं होते हैं. जब विपक्ष के नेता ही नहीं हैं, तो हम लोगों के बोलने का सरकार पर क्या असर होगा.

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घाट-घाट लगी मांझी की नौका

1944 में जन्मे मांझी गया कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. राजीनीति से पहले मांझी ने गया टेलीफोन एक्सचेंज में काम किया. उनकी पांच बेटियां और दो बेटे हैं. मुशहर जाति से आने वाले मांझी बिहार में महादलितों के नेता माने जाते हैं. मुशहर जाति के राज्य में करीब दो परसेंट वोट हैं.

1990 तक मांझी कांग्रेस में थे. फिर उन्होंने RJD ज्वाइन की. कांग्रेस पार्टी के टिकट पर वो 1980 से 1990 तक विधायक रहे फिर RJD के टिकट पर 1996 से 2005 तक विधानसभा रहे. 2005 में उन्होंने जेडीयू ज्वाइन की और इसमें अगले दस साल रहे. यानी 2015 में पार्टी से बर्खास्त किए जाने तक.

ये भी पढ़ें- बिहार की राजनीति में किस-किस घाट लग चुकी है मांझी की 'नौका'

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