पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों (Advocate) ने मोर्चा खोल रखा है. उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव की चिट्ठी से आक्रोशित वकील बुधवार, 18 मई को हड़ताल पर चले गए हैं. वहीं 20 मई को वकीलों ने पूरे प्रदेश में विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है. वकीलों की हड़ताल की वजह से बुधवार को कोर्ट में कामकाज ठप दिखा. वहीं वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में भी सुनवाई नहीं हो सकेगी.
वकील हड़ताल पर क्यों हैं?
प्रदेश के वकील 14 मई को विशेष सचिव प्रफुल्ल कमल की ओर से जारी चिट्ठी को लेकर गुस्से में हैं. दरअसल, प्रफुल्ल कमल की ओर से चिट्ठी में कहा गया है कि,
"जनपद न्यायालयों में अधिवक्तागण की ओर से किए जाने वाले अराजकतापूर्ण कृत्यों का तत्काल संज्ञान लिया जाना सुनिश्चित करते हुए संबंधित अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सूचना दें."
इस चिट्ठी में 'अराजकतापूर्ण कृत्य' शब्द को लेकर वकीलों में गुस्सा है. वकीलों का आरोप है कि विशेष सचिव ने 'अराजकतापूर्ण' शब्द का इस्तेमाल कर वकील समाज का अपमान किया है.
"सभी सम्मानित साथियों को सूचित किया जाता है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट बेंच संघर्ष समिति मेरठ के आह्वान पर विशेष सचिव उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 14 मई, 2022 को जारी गया पत्र, जिसमें अधिवक्ताओं का कार्य अराजकता पूर्ण बताया गया है. इसका पूर्ण विरोध करते हुए सभी सम्मानित अधिवक्ता 18 मई 2022 को न्यायालय में पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे."महेंद्र सिंह बंसल, महामंत्री, जिला बार एसोसिएशन, बागपत
वहीं इसी मामले को लेकर बनारस बार और सेंट्रल बार एसोसिएशन वाराणसी के पदाधिकारियों भी हड़ताल पर हैं.
वकील संगठनों ने की माफी की मांग
वकील संगठनों ने इस मामले में माफी और विशेष सचिव के निर्देश को तुरंत वापस लेने की मांग की है. मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी नरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि एक तरफ उच्चतम न्यायालय अधिवक्ताओं को कोर्ट ऑफिसर का दर्जा देता है. वहीं प्रदेश सरकार अपमानजनक निर्देश जारी कर रही है. यह बेहद शर्मनाक है. सरकार माफी के साथ निर्देश तुरंत वापस ले.
इसके साथ ही ऑल इंडिया लायर्स यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह और सचिव ब्रजवीर सिंह ने भी सरकार से इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
वहीं, मंगलवार को हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में भी इस मामले को लेकर निंदा की गई. केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन गजेंद्र पाल सिंह और संयोजक अजय कुमार शर्मा ने कहा कि शासन के पत्र में अधिवक्ताओं के संबंध में अशोभनीय टिप्पणी की गई है. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों एवं तहसीलों के अधिवक्ताओं में रोष है.
हड़ताल से कोर्ट के कामकाज पर असर
वकीलों की हड़ताल से कोर्ट में कामकाज पर असर पड़ा है. वाराणसी में वकीलों की हड़ताल की वजह से ज्ञानवापी मस्जिद मामले में बुधवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकेगी. कोर्ट अगली तारीख दे सकती है. आज वादी की आपत्ति और शासकीय अधिवक्ता के प्रार्थना पत्र पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में सुनवाई होनी थी.
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