उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर निगम के 200 करोड़ के म्युनिसिपल बॉन्ड की 2 दिसंबर को को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टिंग हो गई. उत्तर भारत के किसी नगर निगम की ये पहली कोशिश है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे नए युग की शुरुआत बता रहे हैं. सीएम ने कहा कि निवेशकों की रुचि के कारण ही यह बांड ओवर सब्सक्राइब हुआ. साढ़े चार गुना अधिक ओवर सब्सक्रिप्शन मिलना, शानदार है.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि लखनऊ के बाद अब जल्द ही गाजियाबाद नगर निगम भी बीएसई में अपने म्युनिसिपल बांड की लिस्टिंग कराएगा.
अबतक 8 दूसरे शहरों भी लिस्ट कर चुके हैं म्युनिसिपल बॉन्ड
लखनऊ अब 9वां शहर बन चुका है. इससे पहले अमरावती ने 2 हजार करोड़, विशाखापत्तनम ने 80 करोड़, अहमदाबाद ने 200 करोड़, सूरत ने 200 करोड़, भोपाल ने 175 करोड़, इंदौर ने 140 करोड़, पुणे ने 495 करोड़ और हैदराबाद ने 200 करोड़ के बॉन्ड की लिस्टिंग कराई है.
बॉन्ड क्या होता है? कैसे काम करता है?
बॉन्ड एक फिक्स्ड इनकम की तरह का निवेश है, जिसमें निवेशक किसी कंपनी या सरकार को तय वक्त के लिए लोन देता है. इसमें ब्याज दरें फिक्स हो सकती या एक तय फॉर्मूले के मुताबिक बदल सकती हैं. बॉन्ड के जरिए कंपनियां, म्यूनिसपैलिटी, राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें पैसा जुटाती हैं ताकि वो अपने प्रोजेक्ट को फाइनेंस कर सकें. कई बार कंपनियों या सरकार को अपनी जरूरत का पैसा जुटाना होता है तो वो बैंक से लोन लेने के बजाए सीधे निवेशकों से बॉन्ड के जरिए पैसा जुटाती हैं. बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी/सरकार/नगर निगम बॉन्ड जारी करते वक्त ही तय कर देती है कि रकम वापस करते वक्त कितना ब्याज दिया जाएगा.
नगर निगम के विकास काम के लिए जरूरत
नगर निगम के रख-रखाव और उसके विकास के कामकाज के लिए सरकारें अब धन जुटाने के अलग-अलग तरीके आजमा रही हैं. ये चलन दुनियाभर में हैं. अब इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंवेस्टमेंट को जुटाने का म्युनिसिपल बॉन्ड एक बेहतर तरीका है. बॉन्ड के जरिए निकायों में प्रशासनिक और वित्तीय सुधार होते हैं.
सीएम योगी का कहना है कि लखनऊ नगर निगम का यह म्युनिसिपल बांड, न केवल यूपी में नगर निगमों की कार्यप्रणाली में जरूरी सुधार का प्रतीक है, बल्कि लोगों की बेहतरी के लिए नगरीय निकायों की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है
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