महाराष्ट्र के कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती नजर आ रही है. लेकिन अलग-अलग जगहों पर हुई मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की वजह से अब तक 164 लोग जान गंवा चुके हैं, वहीं 100 लोग लापता और 56 लोग जख्मी हैं, सबसे ज्यादा मौत रायगढ़ में में दर्ज की गई हैं.
दाह संस्कार के लिए सूखी लकड़ी नहीं
रायगढ़ के तालिये गांव में पांच दिनों के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया. यहां भूस्खलन में 32 घर पहाड़ के मलबे के नीचे दब गए. जिसमें 53 शवों को बाहर निकाला गया और 31 लोग लापता हैं. प्रोटोकॉल का पालन कर बचाव कार्य रुकने के बाद NDRF उन्हें मृत घोषित करेगा. तेज बारिश की वजह से मलबे के नीचे से निकाले शवों का दाह संस्कार करने के लिए सूखी लकड़ी ना मिलने के कारण स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू ऑपरेशन रोकने की मांग की. तालिये गांव के सरपंच संपत तांडेलकर ने बताया कि,
"रास्ते सब बंद थे, सब तरफ पानी भरा हुआ था, अंतिम संस्कार के लिए जरूरी लकड़ियां औए अन्य सामान यहां तक पहुंचने का कोई भी जरिया नहीं था. अंत मे गांव वाले और प्रशासन के कुछ लोगों की मौजूदगी में जेसीबी से एक बड़ा गड्ढा किया गया और विधि के साथ सभी लाशों को एक साथ दफनाया गया."
प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे सीएम
सीएम उद्धव ठाकरे सोमवार 26 जुलाई को लगातार तीसरे दिन बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे पर थे. सतारा में खराब मौसम की वजह से आगे का दौरा रद्द होने के बाद सीएम मुंबई लौटे. सीएम ने मुंबई में अपने आवास पर आपातकालीन विभाग के सभी अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई. तो वहीं डिप्टी सीएम अजित पवार ने सांगली इलाके का दौरा किया. मदद और पुनर्वास मंत्री विजय वड्डेटिवार ने बाढ़ प्रभावित लोगों को प्रति परिवार 10 हजार और अनाज के लिए 5 हजार तत्काल मदद की घोषणा की है.
बता दें कि मुंबई-गोवा हाइवे भी पांच दिनों के बाद शुरू किया गया. वाशिष्टी नदी के पानी का स्तर कम होने के बाद टूटे हुए पूल की मरम्मत की गई. जिसके बाद सिर्फ 8 फीट ऊंचे वाहनों को मुंबई-गोवा हाइवे पर एंट्री दी जा रही है. उसी तरह पुणे- बंगलुरु हाइवे पर भी अभी तक दो फिट का पानी होने के कारण सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं की वाहनों को छोड़ा जा रहा है.
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