केंद्र सरकार ने इस साल बजट में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य मुहैया कराने के लिए ‘नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम’ का ऐलान किया था. इसे देशभर में लागू करने की योजना है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इस योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है.
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'हम मेहनत से कमाए गए संसाधनों को इस योजना में अपनी हिस्सेदारी देने के लिए खराब नहीं करने वाले हैं.' पश्चिम बंगाल इस स्कीम को लागू करने से मना करने वाला पहला राज्य बन गया है.
दरअसल इस स्कीम के तहत 60 फीसदी पैसा केंद्र सरकार देगी, जबकि 40 फीसदी पैसा राज्यों को देनी है. कृष्ण नगर में एक सभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि जब राज्य के पास पहले से ये स्कीम है तो दूसरी स्कीम में राज्य पैसा क्यों दे?
ममता ने दी आंदोलन की धमकी
बनर्जी ने केंद्र सरकार पर विभिन्न योजनाओं के लिए पैसा रोकने का आरोप लगाते हुए धमकी दी कि अगर मोदी सरकार ने अपनी ‘जन विरोधी’ नीतियां नहीं बदलीं तो वे उसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेंगी.
क्या है ये स्कीम
एक फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का पांचवा और अंतिम पूर्ण बजट पेश किया. इस बजट में बड़े जोर-शोर से नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम का ऐलान किया गया. जिसे 'ओबामा केयर' की तरह 'मोदी केयर' भी कहा जा रहा है.
इस स्कीम को देशभर में 2 अक्टूबर से लागू किया जाएगा. इसके तहत देश के 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए का मेडिकल बीमा देने की घोषणा की गई है. ऐसे में 10 करोड़ परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस दिया जाएगा.
बजट में ऐलान हुए इस स्कीम का नीति आयोग ने खाका तैयार किया है. इसका नाम आयुष्यमान भारत रखा गया है.
फंड देने से ममता का इनकार
पश्चिम बंगाल की सीएम बनर्जी का सवाल है कि आखिर राज्य सरकार क्यों इसके लिए पैसे खर्च करें. बनर्जी ने कहा, 'हमने पश्चिम बंगाल में इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त की हैं, जबकि हमें हर साल पिछली सीपीएम सरकार के लोन के लिए 48,000 करोड़ रुपये केंद्र को देने पड़ते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के स्वास्थ्य साथी कार्यक्रम के तहत 50 लाख लोगों को जोड़ा जा चुका है. ऐसे में उनके राज्य को इस स्कीम की कोई जरूरत नहीं है.
क्विंट के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हेल्थ कवर पर बात
बजट के बाद क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम से हेल्थ कवर के मुद्दे पर विस्तार से बात की. इस बातचीत में ये आशंका जाहिर की गई थी कि आखिर राज्य केंद्र की नई स्कीम से क्यों जुड़ना चाहेंगे?
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