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मथुरा कोर्ट ने दो जनवरी से शाही ईदगाह का सर्वे करने का दिया आदेश

Mathura Mosque Survey: सर्वेक्षण की रिपोर्ट 20 जनवरी, 2023 को सौंपी जाएगी.

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मथुरा की एक जिला अदालत ने शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 2 जनवरी से भगवान कृष्ण की जन्मभूमि (Sri Krishna Janmbhoomi) पर बनने वाली शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया. अदालत ने हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता द्वारा दायर एक मुकदमे पर आदेश पारित किया. रिपोर्ट 20 जनवरी को सौंपी जाएगी. ये मुकदमा हिंदू संगठनों द्वारा कटरा केशव देव मंदिर से 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Eidgah Mosque) को हटाने से संबंधित है, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाई गई है.

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शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Eidgah Mosque) कथित तौर पर 1669-70 में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि पर बनाई गई थी. मथुरा की दीवानी अदालत ने पहले ये कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि इसे 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता है, जो 15 अगस्त, 1947 को किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है.

अयोध्या मंदिर-मस्जिद मामले को लेकर लंबे समय से अपवाद बना हुआ है, जिसमें 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद शामिल थी, इसे 1992 में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़ दिया गया था, जिनका मानना था कि यह एक प्राचीन मंदिर के खंडहरों पर बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में भव्य राम मंदिर के लिए मस्जिद की जगह हिंदुओं को सौंप दी और मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने अपने मुकदमे में तर्क दिया कि भगवान कृष्ण के भक्त के रूप में उन्हें अदालत जाने का अधिकार है. उनका कहना है कि उन्हें कृष्ण के वास्तविक जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है.

अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस महीने की शुरूआत में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी को चिन्हित करने के लिए शाही मस्जिद ईदगाह के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्वान किया था. संगठन के नेताओं में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया और सात या आठ को हिरासत में लिया गया. 19 फरवरी, 2021 को अवैध रूप से बनाए गए अतिक्रमण और ढांचे को हटाने के लिए सिविल जज (सीनियर डिविजन), मथुरा की अदालत के समक्ष वक्फ के सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की सहमति से ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन की समिति द्वारा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Uttar Pradesh Sunni Central Waqf Board) और अन्य नामक एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया था.

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