कश्मीर घाटी में आतंकवाद से जुड़ रहे स्थानीय युवकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में ये जानकारी दी. कश्मीर घाटी में साल 2017 में 126 स्थानीय युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए, जबकि साल 2016 में ये संख्या 88 थी.
आतंकवादी संगठनों में भर्ती किए गए युवाओं की संख्या का आंकड़ा साल 2010 से उपलब्ध है.
मुख्यमंत्री ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर के एक लिखित सवाल के जवाब में कहा, ‘‘साल 2015 में 66, साल 2016 में 88 और साल 2017 में 126 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.’’
बता दें, आतंकवादी संगठनों में पिछले 7 सालों में शामिल हुए स्थानीय युवाओं की संख्या साल 2017 में सबसे अधिक थी. हालांकि, पिछले साल दिसंबर में इस खबर को पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने खारिज किया था.
पिछले साल मार्च में संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2011, 2012 और 2013 की तुलना में साल 2014 के बाद से घाटी में हथियार उठाने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ी है.
- साल 2010 में 54 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
- साल 2011 में इसमें गिरावट आई और 23 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
- ये संख्या और कम होकर साल 2012 में 21 और साल 2013 में 16 रह गई.
- आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में ये संख्या बढ़कर 53, साल 2015 में और बढ़कर 66 और साल 2016 में 88 हो गई.
बुरहान वानी की मौत के बाद बढ़ी संख्या
आतंकवादी बनने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में ये बढ़ोतरी दक्षिण कश्मीर में 8 जुलाई, 2016 को मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद आई है.
सुरक्षा बलों को लगता है कि मौजूदा समय के आतंकवादियों और 1990 के शुरुआती दशक के आतंकवादियों में अंतर है. उनका कहना है कि उस समय के आंतकवादी समूहों की तुलना में इस समय के आतंकवादी वैचारिक रूप से अधिक कट्टर हैं.
अधिकारियों ने बताया कि ये चिंता की बात है कि घाटी में युवा इस बात को जानते हुए भी आतंकवादी समूहों से जुड़ रहे हैं कि इससे उनके मारे जाने का खतरा है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर का सदन में सवाल पिछले तीन सालों में हिरासत में रखे गए अलगाववादियों से भी जुड़ा है. महबूबा के मुताबिक 2 महिलाओं समेत कुछ अलगाववादी नेताओं को लोक सुरक्षा कानून के प्रावधानों के तहत हिरासत में रखा गया ताकि उन्हें राज्य की सुरक्षा या कानून व्यवस्था बनाए रखने में किसी भी तरह से बाधा पहुंचाने से रोका जा सके. मुख्यमंत्री के पास गृह मंत्रालय का भी प्रभार है.
उन्होंने कहा कि 96 महिलाओं समेत 2694 लोग राज्य के अलग-अलग जेलों में बंद हैं. 228 दोषी कैदियों में 8 महिलाएं शामिल हैं. इनके अलावा 88 महिलाओं समेत 2156 विचाराधीन हैं.
उन्होंने बताया कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से जुड़ा कोई व्यक्ति आज की तारीख तक एहतियातन हिरासत में नहीं हैं.
(-इनपुट भाषा से)
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