मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच मुर्गे की कड़कनाथ प्रजाति पर दावा जताने के मामले में मध्य प्रदेश ने एक और नया दांव चला है. सरकार ने कड़कनाथ की मुर्गे के लिए ऐप लॉन्च किया है. कड़कनाथ मुर्गे के काले मीट की काफी डिमांड रहती है. इसे काफी पौष्टिक और कई बीमारियों की दवा माना जाता है.
एमपी कड़कनाथ मोबाइल ऐप का लक्ष्य कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे बेचने वाले राज्यों के पॉल्ट्री फॉर्म्स से जुड़ा होगा. इससे देश के अन्य हिस्से के लोग भी कड़कनाथ मुर्गे खरीद सकेंगे.
राज्य के सहकारी विश्वास सारंग ने कहा कि इस ऐप के जरिये लोग देश में कहीं से भी कड़कनाथ मुर्गे मंगाने के लिए ऑर्डर दे सकते हैं. को-ऑपरेटिव सोसाइटियों की ओर से बेचे जाने वाले कड़कनाथ मुर्गे भी इस ऐप पर उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि यह ऐप झाबुआ और अलीराजपुर जिलों की 21 सोसाइटियों के 430 सदस्यों के लिए मार्केटिंग प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा.
कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे अपने स्वाद और पौष्टिकता के लिए जाने जाते हैं. इनके मांस में काफी ज्यादा प्रोटीन होता है. कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों के मीट में 25 से 27 फीसदी प्रोटीन होता है जबकि आम प्रजाति के मुर्गों के मांस में 18 फीसदी प्रोटीन होता है. इसके मांस में आयरन ज्यादा होने के साथ चर्बी और कोलेस्ट्रॉल कम होता है.
कड़कनाथ मुर्गे का ऐप राज्य सरकारी विभाग ने डेवलप किया है और यह बुधवार से गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध है.
कड़कनाथ मुर्गे पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों अपना दावा जताते रहे हैं. दोनों राज्यों ने ज्योग्रोफिकल इंडिकेशन के लिए इसके चेन्नई दफ्तर में दावा जताया है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों चाहते हैं कि इसका जीआई टैग उनके पास हों.
मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. भगवान मेघनानी ने उम्मीद जताई कि कड़कनाथ मुर्गे का जीआई टैग इसे ही मिलेगा. क्योंकि इस प्रजाति के मुर्गे राज्य के झाबुअा जिले में पाए जाते हैं.
जबकि प्राइवेट फर्म ग्लोबल बिजनेस इनक्यूबेटर प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन ने कहा कि कड़कनाथ मुर्गे छत्तीसगढ़ इलाके के दंतेवाड़ा जिले में पाए जाते हैं. यहां की यह खासियत है.
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