हमारनारायणपुर में एंटी क्रिश्चियन रैली (Anti-Christian Rally) के विध्वंसक होने के एक दिन पहले जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर बसे गांव गोर्रा में कथित तौर पर आदिवासियों और आदिवासी ईसाइयों के बीच विवाद हुआ था और इसमें भी दोनो तरफ के लोग घायल हुए थे.
इसी घटना के बाद नारायणपुर में कथित तौर पर बीजेपी नेताओं द्वारा एंटी क्रिश्चियन रैली निकाली गई जो हिंसात्मक हो गई. इस हिंसा में चर्च से लेकर जिले के एसपी तक सब चपेट में आ गए.
हालांकि सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष हीरा सिंह से क्विंट ने इस मामले पर चर्चा की तो उन्होंने दावा किया-
"जिन लोगों ने चर्च में तोड़फोड़ की वह सर्व आदिवासी समाज के लोग नहीं हैं पता नहीं वह लोग कौन हैं, और क्यों पुलिस पर हमला किया और गिरजाघरों में तोड़फोड़ की".
क्विंट टीम ने गोर्रा गांव पहुंचकर ईसाई समुदाय के लोगों से बातचीत करने की कोशिश की. गोर्रा गांव में 28 से 30 आदिवासी घर हैं और अब इनमें से 15 घर के लोग क्रिश्चियन धर्म के हिसाब से जीवन जी रहे हैं.
गोर्रा गांव में 1 जनवरी को गांव के ही लोगों ने पंचायत में बैठक कर आदिवासी ईसाइयों को उनके घर और गांव छोड़कर जाने के लिए कहा. ग्रामीण बताते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ था और इसके पहले भी आदिवासी ग्रामीणों ने उन लोगों को जो आदिवासी धर्म छोड़कर क्रिश्चियन धर्म के हिसाब से जीवन जी रहे थे, गांव छोड़कर जाने के लिए दबाव बना रहे थे.
लेकिन 1 जनवरी को ये पंचायत हिंसा का शिकार हो गई, दोनों पक्षों में लड़ाई हुई और कई लोग घायल भी हुए थे.
इसी के बाद 2 जनवरी को नारायणपुर में बीजेपी नेता रुपसाय सलाम, नारायण मरकाम और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर एक एंटी क्रिश्चियन रैली का आयोजन किया गया.
1 जनवरी को ग्राम गोर्रा पंचायत के दौरान हुई हिंसा का शिकार हुए, ईसाई धर्म पद्धति का पालन करने वाले अनंत दुग्गा ने बताया, 'बीते 15 दिसंबर से गांव में तनावपूर्ण स्थिति है. उन्होंने स्वेच्छा से क्रिश्चियन धर्म को अपनाया है, लेकिन मूल धर्म के आदिवासी नहीं चाहते हैं कि वे अपना धर्मांतरण करें.'
हालांकि गांव के ही संतलाल दुग्गा जो कि आदिवासियों के मूल रीति रिवाजों के हिसाब से जीते हैं उन्होंने दावा किया कि गांव के लोग समझाइश दे रहे थे, तभी जंगल से 300 लोग आए और गांव वालों पर हमला कर दिया.
"हमारे गांव में 1 जनवरी को सामाजिक बैठक की गई थी, कुल 12 परगन (गांव) के लोग आए थे. गांव में आदिवासी समाज के लोग, ईसाई लोगों को समझा रहे थे कि अपने मूल धर्म में वापस आ जाओ, बातचीत हो ही रही थी तभी जंगल से कुछ 300 ज्यादा लोग आए, दोनों गुटों में झड़प हो गई. बारह परगना के लोगों की जनंसख्या कम थी, उन्होंने पूरे गांव को घेर लिया और सबको दौड़ा दौड़ा के मारा. इस हमले में मेरे मां और बाबा भी घायल हो गए".
गोर्रा गांव की रहने वाली, ईसाई धर्म का पालन करने वाली मांगनी दुग्गा ने कहा जिस दिन घटना हुई उस दिन वह घर पर ही थीं. लेकिन उनका बेटा बैठक में गया था और उसके साथ बहुत मारपीट की गई.
"जिस दिन लड़ाई हुआ वह जगह गांव के दूसरे तरफ है. उस दिन मेरे छोटे बेटे के साथ खूब मार पीट हुई. तब 12 परगना के लोग आए हुए थे."
मांगनी आगे कहती हैं,
"मेरे तीन बेटे हैं, तीनो चर्च जाते है प्रार्थना करने और हमारे अलावा यहां गांव से 13 परिवार प्रार्थना करने सब एक घर मे बैठते हैें. पहले भी एक दिन मेरे बेटे को परगना वाले बुलाए और दोनों हाथ बांधकर उसके साथ मार पीट किये थे. मैं पहले क्रिश्चियन धर्म को नहीं मानती थी. मेरे बेटे तीन साल से क्रिश्चियन धर्म को मान रहे हैं.मांगनी
वहीं एक जनवरी को हुई घटना के बाद 2 जनवरी सोमवार को नारायणपुर जिले में एक बार फिर हिंसा हुई. गोर्रा गांव के आस पास के इलाकों में मौजूद चार गिरजाघरों को तोड़ दिया गया और विशेष समुदाय के लोगों के घर में भी तोड़फोड़ की.
बैजनाथ सलाम जो मूलतः रेमावंड गांव के रहने वाले हैं उन्होंने कुछ साल पहले ही ईसाई धर्म अपनाया है. बैजनाथ कहते हैं,
हमारे घर में भी तोड़फोड़ हुई. पत्नी को डंडे से पीटा गया. 16 साल की बेटी से छेड़खानी हुई. जब हिंसा हुई तब मैं घर पर मौजूद नहीं था. लेकिन मैंने देखा कि 200 से 300 लोग डंडे लेकर शांति नगर की ओर बढ़ रहे हैं और वहां जितने भी विशेष समुदाय के घर और गिरिजाघर हैं, उनपर हमला कर रहे हैं.
हम सोमवार, 2 जनवरी के दिन हिंसा का शिकार हुए एक शिक्षक के पास पहुंचे, जिन्होंने बताया कि करीब 3:30 बजे उन्हें सूचना मिली कि उन्हें अपना घर खाली करना है, क्योंकि कुछ लोग हाथों में डंडा लेकर उनके घरों की ओर बढ़ रहे हैं और तोड़फोड़ मचा रहे हैं. जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त घर में कोई मौजूद नहीं था, लेकिन जब 2 घंटे बाद वह वापस लौटे तो उनके घर के सामान पूरे टूटे-फूटे पड़े थे.
उपद्रव मचाने वाले लोगों ने उनके घर का एक भी सामान नहीं छोड़ा और तोड़फोड़ कर पूरा नाश कर दिया. उन्होंने बताया कि शांति नगर में काफी सालों से विशेष समुदाय के लोग रहते हैं, इस तरह के हालात देखने को नहीं मिले, लेकिन सोमवार को जो हुआ उससे उनका सब कुछ खत्म हो गया.
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष हीरा सिंह ने हिंसा पर चिंता जताते हुए धर्मपरिवर्तन को बस्तर के लिए हानिकारक बताया है. उन्होंने कहा कि "नारायणपुर वासी प्रकृति के उपासक हैं, और गांव की देवी देवता को ही अपना सब कुछ मानते हैं, लेकिन कुछ सालों से मिशनरी के लोग यहां पहुंच कर भोले-भाले आदिवासियों का मतांतरण कर रहे हैं और उन्हें अपने धर्म में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं."
वहीं मसीह एकता समाज के अध्य्क्ष सुखमन पोटाई का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर मसीह समाज पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन मसीह समाज बस्तर संभाग के किसी भी आदिवासी को किसी तरह का कोई प्रलोभन मसीह समाज में शामिल होने के लिए नहीं दे रहा है.
पोटाई आगे कहते हैं कि धर्मांतरण को लेकर गलत तरीके से मसीह समाज को पेश किया जा रहा है और बस्तर में हिंसा जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. विशेष समुदाय में शामिल होने वाले लोगों से बेरहमी से मारपीट की जा रही है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है. उल्टा मसीह समाज के लोगों को ही प्रताड़ित किया जा रहा है.
पुलिस ने 1 जनवरी को हुई घटना के संबंध में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी की है वहीं 2 जनवरी, जिसमें एसपी का सर भी फूट गया था, उस घटना के संबंध में भाजपा जिलाध्यक्ष रूपसाय सलाम सहित 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
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