तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 को लेकर सीवोटर का एग्जिट पोल सामने आ चुका है. इसमें विधानसभा की कुल 234 सीटों में से DMK के नेतृत्व वाले गठबंधन को 160-172 सीटें, वहीं AIADMK की अगुवाई वाले गठबंधन को महज 58-70 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. राज्य में सरकार बनाने के लिए कम से कम 118 सीटों की जरूरत होगी.
बात वोट शेयर की करें तो यूपीए को 46.7 फीसदी और एनडीए को 35 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है.
2 मई को नतीजे आने के वक्त इस तस्वीर के बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी नतीजों में ऐसी ही तस्वीर उभरकर सामने आई तो उसकी वजहें क्या होंगी? इसके समझने के लिए हमें उन पहलुओं को देखना होगा, जो अभी AIADMK के खिलाफ और DMK के पक्ष में दिख रहे हैं.
AIADMK के लिए चुनौतियों की बात करें तो इसमें सत्ता विरोधी रुझान, BJP के साथ गठबंधन करके तमिल पहचान से समझौता करने के आरोप, जयललिता के निधन के बाद पहले की तरह पार्टी में अनुशासन और एकजुटता की कमी जैसे पहलू शामिल हैं. वहीं माना जा रहा है कि द्रविड़ पहचान की रक्षा पर ज्यादा जोर, दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच मजबूत आधार, CAA पर AIADMK का ‘यूटर्न’ जैसे पहलुओं ने DMK को फायदा पहुंचाया है.
साल 2016 के चुनाव के नतीजे क्या रहे थे?
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में AIADMK ने 135 सीटें जीतकर राज्य में सरकार बनाई थी.
2016 के उस चुनाव में BJP कुल 234 में से 188 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. वहीं, कांग्रेस 41 सीटों पर उतरी थी, जिसमें से उसने 8 सीटें जीती थीं.
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