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निठारी कांड: सुरेंद्र कोली-मोनिंदर पंढेर इलाहाबाद HC से बरी, फांसी की सजा भी रद्द

Noida Nithari case: CBI के अधिवक्ता संजय यादव ने कहा,"हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज करेंगे."

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Nithari Case: उत्तर प्रदेश के नोएडा के चर्चित निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को मामले से संबंधित 12 मामलों में मुख्य संदिग्ध सुरिंदर कोली को बरी कर दिया. उसे सभी 12 मामलों में ट्रायल कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी. वहीं, एक अन्य संदिग्ध मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने उन दो मामलों में बरी कर दिया है, जिनमें उसे ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.

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पंढेर अब सभी मुकदमों में बरी हो चुका है, वहीं कोली पर सिर्फ एक मुकदमे में फांसी की सजा रह गई है.

पंढेर सभी मुकदमों में बरी हुआ

मोनिंदर सिंह पंढेर की अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने कहा, "सेशन कोर्ट की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी. दोनों मुकदमों में पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया है. अब पंढेर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है. कुल छह मुकदमों में सेशन ट्रायल थे. एक मुकदमा 2010 में हाईकोर्ट रद्द कर चुका है. तीन में सेशन कोर्ट ने बरी किया था. दो मुकदमों में फांसी हुई थी, जिनमें पंढेर आज बरी हुए हैं."

"फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे"

CBI के अधिवक्ता संजय यादव ने कहा, 'रिम्पा हल्दर मर्डर केस में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट से सुनाई जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा है. इस मुकदमे में जो एविडेंस थे, वही एविडेंस बाकी मुकदमों में थे."

हम हैरत में हैं कि एक जैसे साक्ष्य होने पर हाईकोर्ट ने बाकी मुकदमों में सुरेंद्र कोली को कैसे बरी कर दिया. हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज करेंगे.
संजय यादव, अधिवक्ता, CBI

पिछले महीने पूरी हुई थी सुनवाई

इससे पहले गाजियादबाद की सीबीआई कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की पीठ ने पिछले महीने मामलों में फैसला सुरक्षित रखने के बाद पंढेर और कोली द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया था.

क्या है मामला?

दरअसल साल 2005 और 2006 में हुए निठारी कांड में बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रेप के बाद हत्या के कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे. इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने सबूत के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी. 16 मुकदमों में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट का फैसला आ चुका है. 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा मिली और तीन में बरी किया गया था.

वहीं, मोनिंदर पंधेर को दो मुकदमों में फांसी और एक केस में सात साल की सजा सुनाई गई है जबकि चार मुकदमों में बरी किया गया था. फांसी की सजा के खिलाफ दोनों दोषियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिस पर सोमवार को फैसला सुनाया गया.

जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने कुल 16 मामले दर्ज किए, उनमें से सभी में कोली पर हत्या, अपहरण और रेप के अलावा सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया, और एक मामले में पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया गया था.

हालांकि, कई पीड़ित परिवारों के संपर्क करने के बाद गाजियाबाद अदालत ने पंढेर को पांच अन्य मामलों में तलब किया. सीबीआई के अनुसार, कोली ने कई लड़कियों की उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके हत्या कर दी थी और फिर उन्हें उनके घर के बाहर नाले में फेंक दिया था.

निठारी कांड क्या है?

नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी गांव है. यहां D-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंधेर रहता था. मोनिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था. साल 2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी, जिसमें 2003 तक उसका परिवार भी रहता था लेकिन इसके बाद मोनिंदर को छोड़कर बाकी लोग पंजाब शिफ्ट हो गए.

मोनिंदर घर में अकेला रहता था. इसी दौरान उसने अल्मोड़ा (उत्तराखंड) निवासी सुरेंद्र कोली को नौकर के रूप में घर में रख लिया. जानकारी के अनुसार, मोनिंदर सिंह अक्सर इस कोठी पर कॉलगर्ल बुलाता था. एक बार सुरेंद्र कोली ने वहां आई एक कॉलगर्ल से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा जताई तो कॉलगर्ल ने ऐसा कुछ कह दिया जो सुरेंद्र को बुरा लगा. इसके बाद सुरेंद्र ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और शव को पास के नाले में फेंक दिया.

D-5 कोठी में ये पहला मर्डर था. इसके बाद तो जो लड़की इस कोठी में आई, वो जिंदा वापस नहीं गई. धीरे-धीरे इस इलाके से कई बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं. प्रत्यक्षदर्शियों ने उन्हें आखिरी बार इसी कोठी के बाहर देखा था, लेकिन ठोस सुबूत न होने से पुलिस मोनिंदर-सुरेंद्र पर हाथ नहीं डाल पाई.

रेप के बाद करते थे हत्या, नाले से मिले थे 19 से ज्यादा कंकाल

25 साल की आनंदा देवी भी इसमें एक थी. वो मोनिंदर पंधेर के घर में घरेलू सहायिका बनकर आई थी और 31 अक्टूबर 2006 को लापता हो गई. इससे पहले ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, वो भी वापस नहीं लौटी. 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली से मिला.

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ये पहला केस था, जब किसी मामले में मोनिंदर पंधेर और सुरेंद्र कोली फंसे थे. पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूली. 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे.

इस मामले में खुलासा हुआ कि मोनिंदर पंधेर और सुरेंदर कोली यहां लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनका शव इस नाले में फेंक देते थे. नोएडा पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ रेप और हत्या के कुल 19 मामले दर्ज किए.

कब-कब हुई दोनों को सजा

  • 13 फरवरी 2009: सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर पंढेर को फांसी की सजा. हाईकोर्ट से पंढेर बरी

  • 12 मई 2010: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 28 अक्टूबर 2010: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 22 दिसंबर 2010: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 24 दिसंबर 2012: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 7 अक्तूबर 2016: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 16 दिसंबर 2016: सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

  • 24 जुलाई 2017: कोली कोसजा को फांसी की सजा, पंढेर बरी

  • 8 दिसंबर 2017: दोनों को फांसी की सजा

  • 2 मार्च 2019: कोली को फांसी, पंढेर बरी

  • 6 अप्रैल 2019: कोली को फांसी, पंढेर बरी

  • 16 जनवरी 2021: सुरेंद्र कोली को फांसी

  • 26 मार्च 2021: सुरेंद कोली बरी

  • 7 जनवरी 2022: सुरेंद्र कोली बरी

  • 22 जनवरी 2022: सुरेंद्र कोली बरी

  • 19 मई को सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा और मोनिंदर पंढेर को देह व्यापार में 7 साल की सजा

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