14 मार्च,2022 को बिहार विधानसभा में जो कुछ हुआ, वो देश के इतिहास में शायद आज तक नहीं हुआ. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के लिए सीएम नीतीश कुमार ने जिस तरह की भाषा और भाव-भंगिमा का इस्तेमाल किया, उसकी हर तरफ से आलोचना हो रही है.
सीएम-विधानसभा स्पीकर में तकरार
विधानसभा अध्यक्ष को सदन का सर्वमान्य अभिभावक माना जाता है. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर स्थापित सभी मान्यताओं को तार-तार कर दिया. मुख्यमंत्री इतने आग बबूला हो गए कि उन्होंने अध्यक्ष पर ही संविधान के उल्लंघन का न सिर्फ आरोप लगाया बल्कि यहां तक कह दिया कि ऐसे सदन नहीं चलेगा. नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि-
जब जांच चल रही है तो उसकी रिपोर्ट कोर्ट में दी जाएगी. क्या सदन को अधिकार है, आपको उसका अधिकार नहीं है. जवाब देने के बाद भी वही सवाल उठाया जा रहा है यानी आप संविधान का खुला उल्लंघन कर रहे हैं. इस तरह से सदन नहीं चलेगा. आप कौन हैं जो कह रहे हैं कि इसको दूसरे दिन देंगे? विशेषाधिकार समिति जो रिपोर्ट पेश करेगी हम उस पर जरूर विचार करेंगे और देखेंगे कि कौन सा पक्ष सही है? कृपया करके ज्यादा मत करिए. जिसको जिस चीज का अधिकार है उसे करने दीजिए. किसी तरह का भ्रम है तो बातचीत की जाएगी. इस मामले को बिना कारण आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है. आप संविधान देख लीजिए, संविधान क्या कहता है. हम न किसी को बचाते हैं और न किसी को फंसाते हैं.विधानसभा में नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तल्ख तेवर को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने जवाब दिया कि
आसन को हतोत्साहित करने की बात न हो. सरकार गंभीरता से इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. आप लोगों ने ही मुझे विधानसभा अध्यक्ष बनाया है. पुलिस लखीसराय की घटना में खानापूर्ति कर रही है. जहां तक संविधान की बात है तो मुख्यमंत्री जी आप हमसे ज्यादा जानते हैं. मैं आपसे सीखता हूं. लखीसराय मामले पर तीन बार सदन में हंगामा हो चुका है. मैं विधायकों का कस्टोडियन हूं. मैं जब भी क्षेत्र में जाता हूं तो लोग सवाल पूछते हैं कि आप थाना प्रभारी और डीएसपी की बात नहीं कह पा रहे हैं.बिहार विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा
क्या है पूरा मामला?
दरअसल लखीसराय की घटना को लेकर बिहार विधानसभा में पिछले कई दिनों से हंगामा हो रहा है. 14 मार्च को विधायक संजय सरावगी ने लखीसराय में इस साल अब तक 9 लोगों की हत्या का मामला उठाया. इस सवाल पर सरकार की तरफ से प्रभारी गृह मंत्री विजेंदर यादव के जवाब के बीच में ही सरावगी ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ हुई बदसलूकी का भी जिक्र कर दिया जिसपर स्पीकर ने मंत्री को 16 मार्च तक जवाब देने के लिए कहा. इतने में नीतीश कुमार अपने चेम्बर से सदन में आए और उखड़ गए. स्पीकर को उंगली दिखा-दिखाकर नीतीश ने खूब खरी-खोटी सुनाई.
दरअसल, स्पीकर विजय सिन्हा लखीसराय से ही चुन कर आते हैं. सरस्वती पूजा के दौरान लखीसराय के बड़हिया में आयोजित आर्केस्ट्रा को लेकर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. विजय सिन्हा ने पुलिस पर राजनीति से प्रेरित होकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया था.
स्पीकर ने स्थानीय थानाध्यक्ष और डीएसपी पर उनकी बात न सुनने और बदसलूकी के आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिस का मनोबल काफी बढ़ गया है. पुलिस के आला अधिकारी विधानसभा अध्यक्ष तक की बात तक नहीं सुनते हैं. बिहार पुलिस की कायरता और कमजोरी की वजह से बिहार में शराब तस्कर शराब बेचने में सफल हो रहे हैं. बिना प्रशासन की कायरता और कमजोरी के किसी भी क्षेत्र में शराब नहीं बेची जा सकती है. अगर बिहार के किसी इलाके में प्रशासन ईमानदार है तो वहां पर शराब क्यों नहीं पकड़ी जाती?
बीजेपी-JDU में बढ़ती दरार
इस मामले पर विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है, जिसपर विशेषाधिकार समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. लेकिन बीजेपी और विपक्ष के विधायक लगातार सरकार को घेर रहे हैं. जबकि बिहार में नीतीश की पार्टी जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर बीजेपी के नेता ही नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं. बीजेपी के साथ चल रही तनातनी के बीच आखिरकार 14 मार्च को नीतीश कुमार का गुस्सा फूट पड़ा. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कम सीटें आने के बावजूद नीतीश के मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी का एक धड़ा लगातार असंतुष्ट है. नीतीश भी बीजेपी के साथ उतने कम्फ़्टर्बल नहीं हैं और आए दिन नीतीश-बीजेपी के बीच की खटास सामने आ ही जाती है.
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