ओडिशा के नबरंगपुर जिले के कुछ आदिवासी गांवों (कपसवता, सरियावत और लोकतिखना) ने वन सुरक्षा समिति पर आरोप लगाया है कि समिति ने 100 एकड़ भूमि पर उगाई गई फसलों को नष्ट कर दिया है और उनके कुछ घरों को भी जला दिया है. ये आरोप वन संरक्षण समिति कुसुमगुड़ा पर लगा है. कुछ गावों ने मिलकर ये समिति बनाई है. ये वे गांव हैं जिन्हें वन अधिकार नियम के तहत पट्टे पर जमीन दी गई है, लेकिन जिनपर हमला हुआ है उन्हें पट्टे पर जमीन नहीं मिली है. उनका आरोप है कि इससे पहले भी उनकी फसलों को नष्ट और जलाया जाता रहा है. हालांकि, इन तीनों गांवों के लोग प्रशासन तक शिकायत लेकर पहुंचे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
नष्ट की गई भूमि वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत आवंटित नहीं थी और जो भूमि नष्ट नहीं हुई थी वह FRA के तहत थी. हम उन लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, जो विवादित भूमि पर खेती नहीं कर सकते हैं. लेकिन वे समझने को तैयार नहीं हैं. वे प्रशासन की नहीं सुन रहे हैं और शायद इसीलिए फसलें नष्ट की गईं. हम उन्हें वनरोपण के लिए जमीन देने के लिए मनाने की कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन वे इसके लिए भी नहीं मान रहे हैं.वन रेंजर
पीड़ित परिवारों ने विरोध प्रदर्शन करने और इलाज की मांग को लेकर कलेक्टर से मिलने के लिए नबरंगपुर जिला मुख्यालय भी गए.
सूत्रों का यह भी कहना है कि ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया था और इसी तरह की घटना की आशंका से वन सुरक्षा समिति से सुरक्षा की मांग की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)