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UP: धर्मांतरण कानून के तहत पहली सजा, दोषी को 5 साल की जेल

UP: आरोपों के मुताबिक दोषी युवक अपना धर्म छिपाकर अपने मालिक की 16 वर्षीय बेटी से शादी करने की फिराक में था

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राज्य
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में धर्मांतरण अधिनियम के तहत कोर्ट ने लव जिहाद (Love Jihad) से जुड़े एक मामले में मुस्लिम युवक को पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही अदालत ने दोषी पर 40 हजार का जुर्माना भी लगाया है. मामला अमरोहा का है. जहां "मुस्लिम युवक अपना धर्म छिपाकर नाबालिग लड़की से शादी करने की फिराक में था."

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धर्मांतरण अधिनियम के तहत पहली सजा

अमरोहा के हसनपुर थाना क्षेत्र में अफजल नाम के युवक ने अरमान कोहली (हिंदू) बनकर एक नाबालिग से शादी की साजिश रची थी. जानकारी के मुताबिक मोहम्मद अफजल ने पहले नाबालिग को अपने प्रेम जाल में फंसाया. इसके बाद नाबालिग का अपहरण कर शादी करने की कोशिश की. लेकिन शादी से ठीक पहले ही उसका भंडाफोड़ हो गया

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत प्रदेश में यह पहली सजा है. दोषी जमानत पर जेल से बाहर था. अदालत के फैसले के बाद उसे जेल भेज दिया गया है.

क्या है पूरा मामला?

एक कारोबारी की हसनपुर-गजरौला रोड पर नर्सरी है. मार्च 2021 में कारोबारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नर्सरी पर था. उनकी कार संभल जिले के हयातनगर थाना क्षेत्र का मोहम्मद अफजल बतौर ड्राइवर चलाता था. इस दौरान मोहम्मद अफजल की मुलाकात नर्सरी संचालक की 16 वर्षीय बेटी से हो गई. मोहम्मद अफजल ने अपना धर्म छिपाकर खुद को अरमान कोहली (हिंदू) बताया. इसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई.

शादी के लिए अपहरण

अफजल पर आरोप है कि उसने दो अप्रैल 2021 को नर्सरी संचालक की बेटी का शादी करने के मकसद से अपहरण कर लिया. लेकिन शादी से पहले ‌ही नाबालिग को अफजल की सच्चाई का पता चल गया. आरोप है कि विरोध करने पर उसने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ और जान से मारने की धमकी भी दी थी. मामले में नर्सरी संचालक ने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. इसके दो दिन बाद पुलिस ने दोनों को दिल्ली के उस्मानपुर थाना क्षेत्र से पकड़ा. उस वक्त नाबालिग ने अफजल पर धर्म बदलकर शादी करने का झांसा देने का आरोप लगाया था.

इस मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में करीब डेढ़ साल तक सुनवाई के बाद शनिवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 बनने के बाद प्रदेश में कई मुकदमे दर्ज हुए हैं लेकिन ये प्रदेश का पहला मामला है जिसमें दोषी को सजा हुई है.

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