कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) पंजाब (Punjab) की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसका कद हमेशा से ही ऊंचा रहा है. इसलिए जिस सीट से वह चुनाव मैदान में उतरे हैं, वह भी स्वत: ही चर्चा में आ गई है.वह पटियाला जिले की पटियाला (Patiala) शहरी सीट से मैदान में हैं और वहां 63.3 प्रतिशत मतदान हुआ है. ये 2017 के मतदान के मुकाबले 3.6 परसेंट कम है.
यहां तक कि दस साल पहले के चुनाव 2012 में भी यहां 70 प्रतिशत के करीब वोट डाले गए थे, पर जैसा कि इस बार के पूरा पंजाब इलेक्शन में देखने को मिला कि शहरी इलाकों की वोटिंग का प्रतिशत नीचे ही रहा है, वैसा ही कैप्टन अमरिंदर सिंह की इस सीट पर देखने को मिला.
पटियाला जिले में कुल आठ विधानसभा सीट हैं और इन आठों पर सबसे कम वोटिंग कैप्टन अमरिंदर की इसी सीट पटियाला शहरी पर ही रही.
नई पार्टी और आखिरी चुनाव का फायदा
चुनाव विश्लेषक अंदाजा लगा रहे हैं कि इससे कैप्टन को कोई खासा नुकसान नहीं है. कम वोटिंग के बाद भी यहां से उनकी स्थिति मजबूत नजर आ रही है. वह इस बार अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के बैनर तले लड़े हैं और यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव कहकर प्रचारित किया गया है तो इसका फायदा उन्हें वोटिंग में जरूर मिला होगा.
आप के साथ मुकाबला
आप के प्रत्यायाशी अजितपाल सिंह कोहली से ही यहां उनका मुकाबला माना जा रहा है. तीसरे नंबर पर SAD के हरपाल जुनेजा और जिस कांग्रेस पार्टी को छोड़कर कैप्टन मैदान में हैं, उसके प्रत्याशी पूर्व मेयर विष्णु शर्मा कैप्टन के मुकाबले में चौथे नंबर पर ही नजर आ रहे हैं.
पूरे चुनाव प्रचार के दौरान माहौल कैप्टन के पक्ष वाला ही दिखता रहा. वोटिंग वाले दिन सिख वोट बैंक के अलावा अर्बन इलाके का हिंदू वोट भी कैप्टन के फेवर में जाता दिखा. यहां मुख्य शहर की अपेक्षा बाहर के इलाके में ज्यादा वोटिंग हुई और जहां कैप्टन का परंपरागत स्ट्रॉन्ग सिख वोट बैंक रहता है.
कैप्टन का पारिवारिक गढ़
पटियाला अर्बन सीट कैप्टन अमरिंदर सिंह का पारिवारिक गढ़ रही है. अमरिंदर यहां से लगातार 2002, 2007, 2012 और 2017 में चार बार चुनाव जीतकर विधायक बने. इस सब को देखकर उम्मीद की जा सकती है कि कैप्टन अब तक अर्जित अपने मान के बल पर इस सीट को निकालने में सफल होंगे.
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