सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले की जांच करने मुंबई पहुंचे बिहार काडर के आईपीएस विनय तिवारी को बीएमसी ने क्वॉरंटीन करने पर महाराष्ट्र सरकार और बिहार सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है. बिहार के पुलिस अधिकारी को मुंबई में क्वॉरंटीन करने के बाद बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं.
25 मई को महाराष्ट्र सरकार ने COVID-19 के मद्दे नजर महाराष्ट्र में क्वॉरंटीन प्रोटोकॉल क्या होंगे इसके बारे में साफ गाइडलाइन जारी की है. इस गाइडलाइन को पढ़ने के बाद पता चलता है कि इसमें साफ तौर पर लिखा है कि अगर कोई सरकार अधिकारी किसी काम से राज्य में आता है तो उन्हें आइसोलेशन से छूट दे सकते हैं या उसके लिए अधिकृत होंगे.
ऐसे में सवाल है ये है फिर विनय तिवारी जो सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले की जांच के लिए मुंबई पहुंचे हैं उन्हें क्यों क्वॉरंटीन किया गया है? सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्यों कि कुछ दिनों पहले भी बिहार पुलिस के कुछ अधिकारी मुंबई पहुंचे थे लेकिन उन्हें क्वॉरंटीन नहीं किया गया था, फिर अब ये नियम अचानक कहां से आ गया.
सुशांत केस की जांच पर राजनीति शुरू
इस मामले पर राजनीति में खूब होती दिख रही है. बीजेपी नेता किरिट सोमैया ने मुंबई सीपी और बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर आईपीएस विनय तिवारी को जल्द क्वॉरंटीन से रिहा करने की मांग की है.
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने भी ट्वीट कर विनय तिवारी को किए क्वॉरंटीन किए जाने पर सवाल पूछा है. साथी ही उन्होंने सीएम ठाकरे से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.
BMC की सफाई
बिहार काडर आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को क्वॉरेंटीन के बाद हो रही आलोचना के बाद बीएमसी ने सफाई जारी की है. बीएमसी ने कहा है कि क्वॉरंटीन की कार्रवाई सरकार के प्रोटोकॉल के हिसाब से की गई है. बीएमसी ने आईपीएस विनय तिवारी को निर्देशित किया है की वे क्वॉरंटीन में छूट के लिए अप्लाई कर सकते है. गौतलब है की 2 अगस्त को मुंबई हवाईअड्डे पर उतरने के बाद ही बीएमसी ने रात में विनय तिवारी को क्वॉरंटीन रहने वाला स्टांप उनके हाथों पर लगा दिया था.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आईपीएस विनय तिवारी के साथ हुए व्यवहार को दुर्भाग्य पूर्ण बताया है और कहा है कि राज्य के डीजीपी इस विषय में महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों के सम्पर्क में है. सुशांत सिंह राजपूत आत्मत्या के मामले में जाँच कर रही मुंबई पुलिस पर लोग सवाल उठा रहे है.बिहार पुलिस भी कह चुकी है कि मुंबई पुलिस से उन्हें उस मामले की जांच में जितना सहयोग मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है. इस बीच ये मांग तेज हो गई है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए.
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