देशभर में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई आज भी यही है कि पर्याप्त शौचायलों की भारी कमी है. तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में शौचालय की कमी के चलते एक महिला की मौत हो गई. तमिलनाडु पब्लिक सर्विस कमीशन में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी की 5 दिसंबर को सेप्टिक टैंक में गिरने से मौत हो गई. महिला वहां यूरिनेट करने गई थी.
2019 में कमीशन ज्वाइन करने वालीं 23 साल की सारण्या शनमुगन कांचीपुरम जिले में एक कृषि डिपो में पोस्टेड थीं. वहां शौचालय की कमी के चलते कांचीपुरम एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिस में काम करने वालीं तीन महिलाओं को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए पास की बिल्डिंगों या लोगों के घरों में जाना पड़ता था.
5 दिसंबर को, बारिश के चलते, सारण्या एक सरकारी स्कीम की कंस्ट्रक्शन साइट पर शौचालय का इस्तेमाल करने चली गईं. उनके पिता, शनमुगन ने क्विंट को घटना का जिक्र करते-करते रो पड़े.
उन्होंने फोन पर बताया,
“कंस्ट्रक्शन पूरा नहीं हुआ था और उन्होंने सेप्टिक टैंक को एक टिन से ढंका हुआ था. उसने इस्तेमाल करने के लिए उसे हटाया होगा, और स्लिप हो गई और नीचे गिर गई. जब वो एक घंटे तक नहीं लौटी, तो उसके साथी कर्मचारी परेशान हो गए और उसे ढूंढने लगे. उन्हें सेप्टिक टैंक के पास उसकी चप्पल मिली और तब उसे रेस्कयू किया गया.”
स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
‘वो नौकरी छोड़ना चाहती थी’
शनमुगन के मुताबिक, सारण्या आईएएस अफसर बनना चाहती थीं और ग्रुप 1 परीक्षाओं के लिए तैयारी भी कर रही थीं.
“मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि उसके सपने कभी पूरे नहीं हो पाएंगे. मैं यकीन नहीं कर पा रहा हूं कि वो इस दुनिया में नहीं है, क्योंकि वहां टॉयलेट नहीं था. मैं दुख जाहिर नहीं कर सकता.”शनमुगन, सारण्या के पिता
उनकी मां, वेदावल्ली ने बताया कि दफ्तर में शौचालय नहीं होने की वजह से सारण्या को शुरुआत में तकलीफ हुई थी. उन्होंने कहा, “वो नौकरी छोड़ना चाहती थी. उसके हाथ में तकलीफ थी, लेकिन इस चीज ने उसे कुछ करने से कभी रोका नहीं, लेकिन वो शौचालय की कमी के चलते काफी परेशान थी. उसके पिता और मैंने उससे कहा था कि उसपर नौकरी करने का दबाव नहीं है, लेकिन उसने कहा कि वो UPSC क्लीयर करने तक नौकरी जारी रखेगी.”
सरकार का जवाब
द न्यूज मिनट से बात करते हुए, एग्रीकल्चरल सचिव गगनदीप सिंह बेदी ने कहा, “महिला की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इस घटना से परेशान हूं. राज्यभर में कई कृषि डिपो हैं और डिपो का प्रबंधन ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारियों द्वारा किया जाता है. हालांकि, कांचीपुरम के कलाकटूर गांव जैसे कुछ स्वतंत्र कृषि डिपो भी हैं. इस मामले में, जिला कलेक्टर ने परिवार को आवश्यक राहत के लिए पहले ही राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेज दी है.”
दूसरी ओर, सारण्या का परिवार मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी चाहता है. लेकिन इससे अलग, शनमुगन ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि शौचालयों का निर्माणा किया जाए, ताकि सारण्या की तरह किसी और शख्स की जान न चली जाए.
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