मेरठ में वंदेमातरम को लेकर शपथ ग्रहण समारोह में बवाल
उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर निगम में मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वंदेमातरम को लेकर सदन में बवाल मच गया और बीजेपी और बीएसपी पार्षद आमने-सामने आ गए. यहां टाउन हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत में वंदेमातरम के दौरान महापौर सुनीता वर्मा और बीएसपी पार्षदों के बैठे रहने से बीजेपी पार्षद भड़क गए और बीएसपी का विरोध करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी.
मेरठ नगर निगम चुनाव नतीजे आने के बाद मेयर बनीं बीएसपी की सुनीता वर्मा ने साफ कह दिया था कि सदन की कार्यवाही में वंदेमातरम नहीं है, इसलिए वह इसे नहीं गाएंगी. जब मंगलवार को टाउन हॉल में शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ तो सबसे पहले वंदेमातरम गाया गया. इस दौरान बीजेपी पार्षद तो खड़े हो गए, लेकिन मेयर सुनीता वर्मा और बीएसपी पार्षद बैठे रहे.
इसके बाद बीजेपी पार्षदों ने सदन के अंदर और समर्थकों ने बाहर जमकर नारेबाजी की. बीजेपी नेताओं ने बीएसपी मेयर की होर्डिंग फाड़ दी और बीएसपी विरोधी नारे लगाते रहे, जिसके विरोध में बीएसपी पार्षद भी जवाबी नारेबाजी करते रहे. इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही.
(इनपुट IANS से)
नोटबंदी के दौरान नकली नोट जमा करने पर बांदा एसबीआई पर मुकदमा
पिछले साल नोटबंदी के दौरान नकली नोट जमा ले लेने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधक के खिलाफ मंगलवार को एक मामला दर्ज कराया.
अपर पुलिस अधीक्षक एल.बी.के. पाल ने बताया, "पुलिस अधीक्षक को संबोधित एक पत्र भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) चेस्ट कानपुर से मिला है, जिसमें 262 नकली नोट 500-500 और 178 नोट नकली नोट 1000-1000 रुपये मूल्य के संलग्न हैं. आरबीआई की तहरीर पर नगर कोतवाली बांदा में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य शाखा बांदा के प्रबंधक के खिलाफ आईपीसी की धारा-489ए और 489ई के तहत मामला दर्ज किया गया है."
उन्होंने बताया, "यह नकली नोट पिछले साल नोटबंदी (8 नवंबर से 31 दिसंबर) के दौरान एसबीआई की बांदा शाखा में किसी ग्राहक ने जमा किया था, लेकिन बैंक ने जांच नहीं की थी. आरबीआई की जांच में ये नोट नकली निकले थे."
(इनपुट IANS से)
27 लाख की शराब के साथ 2 तस्कर गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के एटा जिले की पुलिस ने हरियाणा से तस्करी कर बिहार ले जाई जा रही 279 पेटी अंग्रेजी शराब के साथ दो तस्करों को पिलुआ थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. पकड़ी गई शराब की कीमत करीब 27 लाख रुपये बताई जा रही है.
एसएसपी ए.के. चौरसिया ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में बताया, "मुखबिर की सूचना पर पिलुआ थाना पुलिस ने नगरिया मोड़ के पास मुठभेड़ के बाद हरियाणा से बिहार ले जाई जा रही शराब के साथ दो शराब तस्करों को गिरफ्तार कर लिया. तस्करों की पहचान मुजाहिद और देवेंद्र स्वामी के रूप में हुई है."
उन्होंने बताया कि तस्करों के कब्जे से 279 पेटी अंग्रेजी शराब हरियाणा मार्का, एक ट्रक, स्विफ्ट डिजायर, अवैध असलहा और कारतूस बरामद किए गए. बरामद शराब की अनुमानित कीमत 27 लाख रुपये है.
एसएसपी ने बताया कि तस्करों ने पुलिस को धोखा देने के लिए ट्रक में सरसों की खल के बोरे रखे थे. जब पुलिस ने तलाशी ली तो इन बोरों के पीछे बने केबिन में रखी 266 पेटी गैरप्रांतीय ब्रांडेड अंग्रेजी शराब बरामद हुई. स्विफ्ट डिजायर गाड़ी से 13 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की गई.
पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि वह हरियाणा से सस्ती दर पर शराब खरीदकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और आसपास के राज्यों में ऊंचे दामों में बेचते हैं. पुलिस से बचने के लिए फर्जी नंबर प्लेट और ड्राइविंग लाइसेंस का भी प्रयोग करते हैं.
(इनपुट IANS से)
राज्यपाल ने राष्ट्रपति से मिलकर बाबा साहब के सही नाम के संबंध में पत्र सौंपा
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के सही नाम नहीं लिखे जाने के संबंध में एक पत्र उन्हें सौंपा. राजभवन के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल नाईक ने राष्ट्रपति को सम्बोधित एक पत्र में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के दस्तावेजों में डॉक्टर आंबेडकर का नाम सही नहीं लिखा जा रहा है.
किसी भी व्यक्ति का नाम उसी तरह लिखा जाना चाहिए जिस प्रकार से वह स्वयं लिखता हो. इस दृष्टि से भारत का संविधान की मूल हिन्दी प्रति के पेज 254 पर किए गए हस्ताक्षर (भीमराव रामजी आंबेडकर) के अनुसार बाबा साहब का नाम डॉक्टर भीमराव आंबेडकर लिखा जाना उचित होगा नाकि डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर. भीमराव एक शब्द है न कि अलग-अलग.
नाईक ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि यदि उनके स्तर से इस विषय पर कदम उठाया जायेगा या दिशा-निर्देश दिए जाएंगे तो देश में एक अच्छा संदेश जायेगा. देशवासी डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के प्रति सही अर्थों में सम्मान और कृतज्ञता प्रकट कर सकेंगे.
(इनपुट भाषा से)
शुआट्स धोखाधड़ी मामले में एक्सिस बैंक के अधिकारी को नहीं मिली राहत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुआट्स में करीब 23 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एक्सिस बैंक के वरिष्ठ अधिकारी दीपक कुमार वर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया.
ये आदेश मुख्य न्यायाधीश डी. बी. भोसले और न्यायमूर्ति एम. के. गुप्ता की पीठ ने दीपक कुमार वर्मा की याचिका पर पारित किया.
सैम हिगिनबाटम युनिवर्सिटी आफ एग्रिकल्चर, टेक्नोलाजी एंड साइंसेज (शुआट्स) इलाहाबाद के नैनी में स्थित एक विश्वविद्यालय है.
साल 2013 और 2016 के बीच एक्सिस बैंक में शुआट्स के बैंक खाते से करीब 23 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई और इस संबंध में एक्सिस बैंक के सहायक उपाध्यक्ष योगेश वाजपेयी द्वारा 5 मई, 2016 को इस बैंक और शुआट्स के कई कर्मचारियों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई.
इससे पूर्व, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राबिन एल. प्रसाद और वित्त नियंत्रक बी.एस. लाल के इस मामले में सीधे तौर पर शामिल रहने के आधार पर इनकी जमानत याचिकाएं हाई कोर्ट द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी हैं.
जब बैंक को इस लेनदेन की प्रामाणिकता पर संदेह हुआ और बैंक ने शुआट्स को इसका सत्यापन करने को कहा, तब इन दोनों अधिकारियों ने पुनर्मेल प्रमाणपत्र जारी किया और इस फर्जी लेनदेन को सत्यापित किया. दीपक कुमार वर्मा के अलावा, शुआट्स और एक्सिस बैंक के कुछ अन्य कर्मचारियों ने भी हाई कोर्ट का रख किया है और इनकी याचिकाओं पर 18 दिसंबर को सुनवाई की जाएगी.
(इनपुट भाषा से)
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