उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में 1 फरवरी को उनकी सुरक्षा में लगे दूसरे गनर की भी इलाज के दौरान मौत हो गई. घायल गनर राघवेंद्र सिंह का लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में इलाज चल रहा था.
24 फरवरी की शाम अपनी कार में जब उमेश पाल दो गनर के साथ अपने घर के पास पहुंचे तो वहां पहले से घात लगाए बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई. 24 फरवरी को हुए इस शूटआउट में 2005 में हुए बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके गनर संदीप निषाद की हत्या कर दी गई थी.
5 मई को होने वाली थी शादी , पिता के निधन के बाद मिली थी नौकरी
राघवेंद्र सिंह को 24 फरवरी को हुए शूटआउट में घायल अवस्था में एडमिट कराया गया था. उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात गनर राघवेंद्र सिंह रायबरेली जिले के लालगंज कोतवाली क्षेत्र में कोरिहरा गांव के रहने वाले थे.
5 मई को उनकी शादी होने वाली थी, पिता के निधन के बाद 2016 में राघवेंद्र सिंह को नौकरी मिली थी. पूर्व विधायक व बीजेपी नेता धीरेंद्र बहादुर सिंह ने कोरिहरा गांव पहुंच कर उनके परिजनों को सांत्वना दी. राघवेंद्र सिंह की मौत की खबर सुनकर उनके गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई है.
राघवेंद्र सिंह की मौत पर लखनऊ डीसीपी ईस्ट हृदयेश कुमार ने कहा कि, "हम राघवेंद्र को बचा नहीं पाए. आज उनकी मृत्यु हो गई, जो इसके दोषी है उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलाने का प्रयास जारी है."
इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है. जहां एक और समाजवादी पार्टी योगी सरकार को घेरने की कोशिशों में है तो वहीं बीजेपी भी आरोपियों के संबंध समाजवादी पार्टी से बताकर आक्रमक रुख अपना रही है. इसके बीच उत्तर प्रदेश पुलिस का एक्शन भी जारी है, उमेश पाल हत्याकांड के एक आरोपी अरबाज का प्रयागराज पुलिस एनकाउंटर कर चुकी है तो वहीं एक अन्य आरोपी सदाकत खान को गिरफ्तार किया जा चुका है.
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