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उमेश पाल हत्याकांड: CCTV से हमलावरों की पहचान, STF समेत 10 टीमें दे रहीं दबिश

Prayagraj Shootout की गूंज यूपी विधानसभा तक, योगी बोले- इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे

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भारत
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24 फरवरी को प्रयागराज में हुए सनसनीखेज शूटआउट (Prayagraj Shootout) को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कड़े स्वर में अपनी बात रखी. "इस हाउस में कह रहा हूं इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे." मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सीधा इशारा जेल में बंद बीएसपी के पूर्व सांसद अतीक अहमद की तरफ था. वैसे तो अतीक इस समय गुजरात के साबरमती जेल में बंद है लेकिन शुक्रवार को हुए दोहरे हत्याकांड में एक बार फिर उसका और उनके परिवार का नाम जांच के घेरे में आ चुका है.

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इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल है. पुलिस सूत्रों की मानें तो सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कई नाम सामने आए हैं जिनकी पहचान कर ली गई है. इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है.

पुलिस की 10 टीमें दे रही हैं दबिश

24 फरवरी को हुए शूटआउट में 2005 में हुए बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके गनर संदीप निषाद की हत्या कर दी गई. फिल्मी स्टाइल में हुई इस हत्या में उत्तर प्रदेश में कभी फल फूल रहे संगठित अपराध और माफिया राज की झलक साफ देखी जा सकती है. 24 फरवरी की शाम अपनी कार में जब उमेश पाल दो गनर के साथ अपने घर के पास पहुंचे तो वहां पहले से घात लगाए बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई. बीच सड़क पर कई प्रत्यक्षदर्शियों के सामने, इन हमलावरों ने बड़े इत्मीनान से अपने असलहे और बम निकाले. उसके बाद जो हुआ वह शायद प्रयागराज में बहुत समय से नहीं देखा गया था.

इस घटना की गूंज सिर्फ प्रयागराज नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ समेत पूरे देश में सुनाई दी. अभी हाल ही में प्रदेश में इन्वेस्टर सम्मिट हुआ और वहां पर सरकार के मंत्री प्रदेश में बदले हुए कानून व्यवस्था की दुहाई देते हुए नजर आ रहे थे. ऐसे में प्रयागराज में हुए सनसनीखेज शूटआउट के जो वीडियो सामने आए हैं वह सरकार के दावों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.
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इस घटना में शुरू हुई जांच की बात करें तो प्रयागराज पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने अपने बयान में कहा कि पुलिस की 10 टीमें अलग-अलग जगहों पर संदिग्धों की तलाश में दबिश दे रही हैं.

प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर होने के नाते मैं जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस जघन्य कांड में जो भी माफिया या उनके साथी सम्मिलित हैं उनके खिलाफ पुलिस कठोरतम कार्रवाई करेगी जो कि भविष्य के लिए एक नजीर बनेगी.
रमित शर्मा, पुलिस कमिश्नर, प्रयागराज

इस संगीन मामले में प्रयागराज पुलिस के सहयोग के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को भी लगाया गया है. उत्तर प्रदेश पुलिस अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा- " इस मामले में (उमेश पाल के) घर वालों ने जो मुकदमा लिखाया है उसके हिसाब से पुलिस कार्रवाई करेगी. इस मामले में जांच के लिए प्रयागराज में स्पेशल टीमें बनाई गई हैं और एसटीएफ को भी लगाया गया है. इसमें जल्द ही अपराधियों की गिरफ्तारी करेंगे."

जिस तरह इस मामले में सरकार की किरकिरी हुई है और जिस तरह से इन दिनों यूपी पुलिस ऐसे संगीन मामलों में एक्शन लेती है, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब कई मुठभेड़ हो सकते हैं.

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CCTV फुटेज के आधार पर नाम आए सामने

24 फरवरी को हुए प्रयागराज शूटआउट मामले में मृतक उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने हत्या और हत्या का प्रयास समेत 10 गंभीर धाराओं में प्रयागराज की धूमनगंज पुलिस स्टेशन में अतीक अहमद, उनके परिजनों और ज्ञात-अज्ञात साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.

सूत्रों की मानें तो उमेश पाल के परिजनों ने शूटआउट में शामिल कई अपराधियों को पहचान लिया है. घटना की सीसीटीवी फुटेज से भी उनकr पहचान में मदद मिली है और जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक के कुछ करीबियों के नाम भी सामने आए हैं. गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश जारी है. शूटआउट में शामिल अभियुक्तों के करीबियों से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है.

पूर्व बीएसपी सांसद अतीक अहमद को 2017 में प्रयागराज के नैनी स्थित कृषि यूनिवर्सिटी SHUATS में शिक्षकों और कर्मचारियों से मारपीट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. अतीक अहमद पर लखनऊ के जमीन कारोबारी मोहित अग्रवाल को अपने गुर्गों से अगवा करवाकर देवरिया जेल में पीटने और उसकी कई कंपनियों को जबरन अपने गुर्गों के नाम ट्रांसफर करवाने का आरोप है. जांच में मामला सही पाया गया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2019 में अतीक का स्थानांतरण प्रयागराज के नैनी जेल से गुजरात के साबरमती जेल कर दिया गया.

अगर आधिकारिक आंकड़ों की बात करें अतीक अहमद के खिलाफ कुल 100 अपराधिक मामले उत्तर प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज हैं. इन मामलों में 54 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं.

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