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'बेहतर वेतन-जॉब सिक्योरिटी चाहते हैं': UP के Dial 112 के कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी

UP Dial 112 Employee Protest: लखनऊ में हेल्पलाइन नंबर डायल 112 की महिला कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा.

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"जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम अपना विरोध-प्रदर्शन जारी रखेंगे, चाहे इसमें कितने ही दिन या हफ्ते क्यों न लग जाएं."

यह बात उत्तर प्रदेश की डायल 112 हेल्पलाइन (UP Dial 112) की एक महिला संविदा कर्मचारी ऐश्वर्या ने द क्विंट से बातचीत में कही.

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ऐश्वर्या, डायल 112 हेल्पलाइन की उन 200 संविदा महिला कर्मचारियों में शामिल हैं, जो सैलरी बढ़ाने और बेहतर कामकाजी माहौल की मांग को लेकर 6 नवंबर से लखनऊ के अर्जुनगढ़ में विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं.

लखनऊ पुलिस ने 8 नवंबर को 205 महिला कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज किया है. इनपर धारा 147 (दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 188 (एक लोक सेवक के कानूनी रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा), 283 (खतरा या अवरोध), आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकने के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

"हम बस वेतन वृद्धि चाहते हैं"

संविदा कर्मियों का आरोप है कि पिछले सात साल से उनके वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है. विरोध करने वाले कर्मचारियों में से एक, रश्मि ने द क्विंट को बताया...

“हम पिछले सात साल से समान वेतन पर काम कर रहे हैं. हम 18 हजार इन-हैंड सैलरी, साप्ताहिक छुट्टी और महीने में दो सवैतनिक छुट्टियों यानी पेड लीव की मांग कर रहे हैं.''

द क्विंट के पास मौजूद एक पत्र में प्रदर्शनकारियों ने चार मांगें उठाईं हैं, वे हैं

  • उनके मासिक वेतन में 12,000 रुपये से 18,000 रुपये तक की बढ़ोतरी

  • प्रति माह दो सवैतनिक छुट्टियां

  • प्रति महीने एक सरकारी अवकाश

  • नौकरी की सुरक्षा

पिछले सप्ताह 3 नवंबर से समस्याएं तब शुरू हुईं, जब यूपी पुलिस का टेक महिंद्रा के साथ कॉल सेंटर प्रबंधन का कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो गया और कॉलिंग-आधारित सॉल्यूशन पेश करने वाली कंपनी "WeWin" को नया कॉन्ट्रेक्ट सौंप दिया गया.

एक अन्य प्रदर्शनकारी कर्मचारी सीमा ने कहा...

"हम बड़ी मांगें नहीं कर रहे हैं. हम जो वेतन मांग रहे हैं, उसके हकदार हैं. हमें नौकरी की सुरक्षा भी चाहिए. हमें टेक महिंद्रा ने नौकरी दी थी लेकिन कॉन्ट्रेक्ट टेंडर WeWin कंपनी को सौंप दिया गया. लेकिन अधिग्रहण के बाद, WeWin ने न ही हमें ऑफर लेटर्स दिया और न हमारा वेतन बढ़ा है."

महिलाओं ने आउटसोर्सिंग कंपनियों में बदलाव के कारण नौकरी छीन जाने के जोखिम पर भी गुस्सा जाहिर किया.

"पुलिस ने प्रदर्शन को हिंसक बनाया और हम पर आरोप लगा रही है"

मंगलवार यानी 7 नवंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई महिलाओं को हिरासत में लिया और पुलिस वाहनों में ले जाया गया.

कांस्टेबल धीरेंद्र प्रताप सिंह गश्ती पर थे. उनकी ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, पुलिस ने देखा कि सैंकड़ों संविदा कर्मचारी ट्रैफिक ब्लॉक कर सड़क पर बैठी थीं और वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रही थीं.

द क्विंट के पास मौजूद FIR में लिखा है...

"हमने तुरंत कंट्रोल रूम को अलर्ट किया. कई महिला कांस्टेबल और अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्हें सड़क खाली करने के लिए समझाया, लेकिन प्रदर्शनकारी जिद पर अड़ी रहीं."

इसमें कहा गया, "हमने प्रदर्शनकारियों को समझाया, लेकिन वे नहीं माने और आंदोलन करने लगे. उन्होंने मुख्य सड़क को ब्लॉक कर दिया, जिससे आम जनता को यातायात में परेशानी हुई."

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FIR में प्रदर्शनकारियों के रूप में हरीश्ता श्रीवास्तव, पूजा सिंह, रीना शर्मा और शशि की पहचान की गई, जबकि 200 अन्य अज्ञात बताए गए.

हालांकि, प्रदर्शनकारी महिलाओं ने दावा किया कि पुलिस ने ही कथित तौर पर "शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में खलल डाला". उन्होंने कहा कि FIR "सिर्फ प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने के लिए झूठ" से भरी है.

"हम शुरू से ही शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हमने कोई अपराध नहीं किया है कि हमारे खिलाफ FIR दर्ज की जाए. यह आप (पुलिस) ही थे, जिन्होंने हमारे साथ दुर्व्यवहार करके इसे हिंसक विरोध में बदल दिया. हम पर बेवजह आरोप लगाए जा रहे हैं पर हम डरे हुए नहीं हैं."
आरती मार्या, प्रदर्शनकारी कर्मचारी

ऐश्वर्या ने दावा किया...

"हमने डायल 112 के हेड क्वार्टर के बाथरूम का उपयोग करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने हमें जाने नहीं दिया. एक कांस्टेबल ने मुझसे कहा, 'जब आपने हमारी बात नहीं सुनी तो मैं आपकी बात क्यों सुनूं?' हममें से कई लोगों को खुले में जाना पड़ा."

क्विंट ने कम से कम पांच महिलाओं से बात की, जिन्होंने दावा किया कि 48 घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद कोई भी उनकी शिकायतें सुनने नहीं आया.

रश्मि पूछती हैं "उन्होंने पिछले दिनों पहले से ही नए कर्मचारियों को काम पर रख लिया है लेकिन हमारी मांगों को नहीं सुना गया है. हम कब तक इंतजार करेंगे?"

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इस बीच, 112 पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) अशोक कुमार सिंह ने 7 नवंबर को कहा, “कॉल लेने वाले अब कुशल श्रमिक हैं और उनकी नौकरी नहीं जाएगी. यूपी सरकार के नियमों के मुताबिक, कॉल लेने वाले कुशल श्रमिक हैं और यूपी के डायल 112 सिस्टम के भीतर कोई समस्या नहीं है. हम कॉल लेने वालों के साथ संपर्क में हैं और किसी भी गलतफहमी का समाधान किया जाएगा.''

'जब तक हमारी मांगें नहीं सुनी जाएंगी, तब तक विरोध करेंगे'

SP प्रमुख अखिलेश यादव और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) प्रमुख अजय राय सहित कई विपक्षी नेताओं ने संविदा कर्मचारियों का समर्थन किया है.

एक ट्वीट में, अखिलेश यादव ने महिला कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का एक वीडियो शेयर किया और लिखा...“यह एक 'संवाद अधिकारी' का नहीं बल्कि सभी का “पीड़ा पत्र” (दर्द से लिखा गया पत्र) है. मुख्यमंत्री से मिलने से पहले ही सर्द रात में धरने पर बैठी इन बहनों को सुबह हिरासत में ले लिया गया. बीजेपी के 'नारी वंदन' का असली रूप 'नारी बंधन' है. शर्मनाक, निंदनीय, असहनीय.”

इस बीच, प्रदर्शनकारी ऐश्वर्या ने कहा

"सरकार बेटी बचाओ, कन्या धन योजना और महिलाओं के लिए ऐसी अन्य योजनाओं के बारे में बात करती है, वे अब बात क्यों नहीं कर रही है? वे चुप क्यों हैं? वे जो कर रहे हैं, वह गलत है?"

ऐश्वर्या ने आगे बताया "जब तक मांगें नहीं सुनी जातीं, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे. हम बस इतना चाहते हैं कि अधिकारी बैठें, हमारी शिकायतें सुनें और उन्हें हल करने में हमारी मदद करें. कुछ ही दिनों में दिवाली आ रही है, लेकिन हम फिर भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे."

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