कई प्रदर्शन, धरना और हड़ताल के बाद आखिरकार यूपी सरकार ने MBBS और BDS इंटर्न डॉक्टरों के स्टाइपेंड में इजाफा किया है. पिछले कई साल से 7,500 रुपये महीना यानी 250 रुपये हर रोज का भत्ता पा रहे इन 'कोरोना वॉरियर्स' का भत्ता बढ़ाकर अब 12,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है. यूपी में प्राइवेट, गवर्नमेंट मिलाकर 40 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं. यहां 2500 से ज्यादा इंटर्न डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में इनमें से कई कॉलेजों के डॉक्टर अपने काम के साथ-साथ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. कुछ तख्तियां लेकर मार्च निकाल रहे थे तो कुछ ने धरने को सहारा बनाया था. क्विंट हिंदी ने इन प्रदर्शनों को अपनी कई रिपोर्ट्स में जगह दी थी. अब इंटर्नशिप स्टाइपेंड साढ़े सात हजार से बढ़कर 12 हजार तो हो गया है लेकिन कई इंटर्न इस फैसले को 'निराशजनक' बता रहे हैं.
‘एरियर नहीं मिलेगा तो क्या फायदा?'
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टर फरहान शेख को इस बात से निराशा है कि बढ़ी हुई स्टाइपेंड जनवरी से दी जाएगी और कोई एरियर भी नहीं दिया जाएगा.
हमने हर तरीके से अपनी बात रख दी है, लेकिन अभी जो सरकार ने फैसला लिया है, उससे हमें क्या फायदा होगा? हमें सिर्फ जनवरी, फरवरी, मार्च की ही बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी. अप्रैल से हमारी इंटर्नशिप शुरू हुई थी, वो भी ऐसे दौर में जब कोरोना वायरस अपने चरम पर था और हमने इस महामारी से लड़ने में अपना पूरा योगदान दिया था.डॉ फरहान शेख
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी की इंटर्न डॉक्टर अंजली शाही कहती हैं कि ये फैसला 'लॉलीपॉप' से बढ़कर कुछ नहीं है, आखिर यूपी सरकार राज्य के इंटर्न डॉक्टरों को केंद्र सरकार के अधीन आने वाले मेडिकल कॉलेज के बराबर स्टाइपेंड क्यों नहीं दे रही है?
हम पिछले 9 महीने से महामारी के बीच बतौर फ्रंटलाइन वर्कर्स काम कर रहे हैं, पूरी शिद्दत के साथ. थाली बजाने और फूल देने से हमारा घर नहीं चलता, हमें भी अपनी और परिवार की जरूरतों के लिए पैसा चाहिए होता है. हम सब इंटर्न डॉक्टर बेहद निराश हैं, हमें दूसरे राज्यों और केंद्रीय मेडिकल कॉलेज से कम स्टाइपेंड सिर्फ 3 महीने के लिए ही मिल सकेगी.डॉ अंजली शाही
मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर पीयूष का कहना है कि इस बैच के इंटर्न डॉक्टरों से काम तो पूरे 12 महीने लिया जा रहा है और अब जब इंटर्नशिप खत्म होने में महज 3 महीने रह गए हैं तो स्टाइपेंड में बिना एरियर इजाफा करना सभी इंटर्न डॉक्टरों के साथ ''भद्दा मजाक'' है. पीयूष कहते हैं कि यूपी की योगी सरकार को इस फैसले पर फिर से सोचना चाहिए.
कई साल से हो रही थी मांग
यूपी के मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न डॉक्टर पिछले कई साल से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे थे. अब कुछ इंटर्न डॉक्टर इस बात की आशंका जता रहे हैं कि स्टाइपेंड में इस मामूली इजाफे के बाद कहीं सालों तक इसी मानदेय में दूसरे बैच को काम न करना पड़े. बता दें कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले मेडिकल कॉलेजों में 23 हजार रुपये स्टाइपेंड दिया जा रहा है. कर्नाटक ने हाल ही में स्टाइपेंड बढ़ाकर 30 हजार रुपये किया है. जून, 2020 में पश्चिम बंगाल ने स्टाइपेंड बढ़ाकर करीब 28 हजार किया था और जनवरी 2020 से ये स्टाइपेंड लागू किया गया था. अप्रैल 2020 में पंजाब सरकार ने इंटर्न डॉक्टरों की सैलरी 9 हजार से बढ़ाकर 15 हजार की थी.
महामारी के बीच फ्रंट लाइन वर्कर्स हैं ये इंटर्न
MBBS की पढ़ाई में 4.5 साल का कोर्स होता है वहीं 1 साल की इंटर्नशिप होती है. इंटर्नशिप के दौरान इन्हें मेडिकल कॉलेजों के अलग-अलग डिपार्टमेंट में ड्यूटी करनी होती है. कोरोना के वक्त लेवल-1 का काम इंटर्न के ही जिम्मे होता है, ऐसे में संक्रमितों से भी मुलाकात सबसे पहले इन डॉक्टरों की ही होती है. यूपी के अलग-अलग मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण के बीच शिफ्ट से कई-कई घंटे ज्यादा इन लोगों ने काम को दिए हैं. ऐसे में इनकी उम्मीद भी है कि 'कोरोना वॉरियर्स' कहकर बस काल्पनिक सम्मान न दिया जाए, ये सम्मान वास्तव में भी दिया जाए.
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