उत्तर प्रदेश पुलिस सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाने वालों पर नकेल कसने के लिए लंबी चौड़ी फौज तैयार कर रही है. पुलिस का मानना है कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाकर कुछ लोग हिंसा भड़का रहे हैं. इन दिनों सोशल नेटवर्क पर फेक वीडियो और फर्जी तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई है. लिहाजा पूरे प्रदेश में साढ़े तीन लाख से ज्यादा डिजिटल वॉलंटियर्स रखने की पुलिस ने रूपरेखा तैयार कर ली है.
प्रदेश के हर एक थाने से ऐसे 250 वॉलंटियर जोड़े जाएंगे. बीते कुछ सालों में सोशल मीडिया पर खबरों का चलन तेजी से बढ़ा है. लेकिन फेक वीडियो और तस्वीरों के कारण सोशल नेटवर्क की विश्वसनीयता का संकट भी बढ़ा है. इनके जरिए फैलायी गई अफवाहों ने कई लोगों की जान ले ली है. कहीं पर भीड़ ने बच्चा चोर समझकर लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी है तो कहीं किसी और अफवाह के कारण ऐसा हुआ है. पुलिस के मुताबिक उसकी योजना ऐसी झूठी खबरों का खंडन करके उन्हें बेअसर करने की है.
आखिर कौन-कौन बनेंगे डिजिटल वॉलंटियर्स
छोटा-मोटा मामला बड़े विवाद में तब्दील न हो, इसके लिए थाना स्तर पर पहले पुलिस मित्र बनाये जाते थे. इनमें इलाके के प्रभावशाली लोगों को जोड़ा जाता था. महीने में एक दिन थानों पर उनकी बैठक होती थी. यही नहीं उनकी सक्रियता और उत्साह बना रहे, इसलिए कभी-कभी थाने इंचार्ज पुलिस मित्रों के घर जाकर उनका मान बढ़ाते थे.
यह एक भावनात्मक रिश्ता था और इसके जरिए पुलिस का जनता से सीधा जुड़ाव रहता था. इलाके में होने वाली आपराधिक गतिविधियों की भनक मिल जाती थी. लेकिन धीरे-धीरे पुलिस और पब्लिक का ये ताना-बाना टूट गया. इनकी जगह पुलिसिया खबरी यानी मुखबिरों ने ले ली. पुलिस और मुखबिर का रिश्ता प्रोफेशनल होता है. मुखबिर पुलिस को देने वाली हर खबर की कीमत वसूलता है.
ज्यादातर मुखबिर अपराधियों के बीच के होते हैं. और अपने विरोधियों को निपटाने के लिए खबर देते हैं. पुलिसवाले ऐसे मुखबिरों को खबरों के लिए पालते-पोसते हैं. यह उनका अपना सिस्टम है. लेकिन यह पुराना तरीका था.
अब जमाना काफी बदल गया है. वॉट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्क की लोकप्रियता गांव-गांव में फैल गई है. यहां खबरें दनादन दौड़ती हैं. लोग भी खबरों की जांच किए बगैर, सोचे-समझे बगैर एक दूसरे को फॉरवर्ड करते हैं. इससे नुकसान भी हो रहा है.
ऐसे में पुलिस ने तय किया है कि प्रदेश के प्रत्येक थाना क्षेत्र में 250 डिजिटल वॉलंटियर्स रखे जाएंगे. इन्हें पुलिस की एक विशेष व्हाट्सऐप ग्रुप से जोड़ा जाएगा. इन वॉलंटियर्स को जैसे ही कोई खबर संदिग्ध लगेगी वो उसे इस विशेष व्हाट्सऐप ग्रुप में भेजकर उसकी सत्यता जांच लेंगे. खबर झूठी होने पर उसकी सूचना सभी इलाके में भेज दी जाएगी.
उत्तर प्रेदश में कुल 1469 थाने हैं और हर थाने में 250 वॉलंटियर्स का मतलब यह हुआ कि कुल 376250 वॉलंटियर्स नियुक्त किए जाएंगे.
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाहों को रोकने का हमारे पास कोई सशक्त माध्यम नहीं है. जिनके कारण हिंसक घटनायें हो रही हैं. इसे रोकने के लिए यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया में काफी क्रांतिकारी कदम उठाया है. जीआरपी को छोड़कर प्रदेश के सभी थानों में 250 डिजिटल वॉलंटियर्स बनायेंगे.
लेकिन सवाल यह भी उठने लगा है कि इतनी बड़ी संख्या में वॉलंटियर्स लायेंगे कहां से? और मान लीजिये इन्हें जोड़ भी लिया गया तो ये किसी खास ऐजेंडे के तहत तो काम नहीं कर रहे हैं इसे फिल्टर करने का भी कोई प्लान है?
विपक्षी दलों ने उठाया सवाल
पुलिस की इस पहल पर समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि जो वॉलंटियर्स बनाये जाने हैं वो एक ही राजनीतिक विचारधारा के लोग हो सकते हैं, इसमें सभासदों, छात्र नेताओं की जब बात हो रही है तो संभावनाएं और बढ़ जाएंगी, की कहीं पॉलीटिकल लोग ना आ जायें. वो भी एक ही पार्टी के.
कांग्रेस के सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि ये सब एक एजेंडे के तहत किया जा रहा है. इसमें भी यही होगा कि हर जगह बीजेपी और संघ या इनकी विचारधारा वाले लोग ही रखे जायेंगे. इनका तो एजेंडा साफ है कि हर जगह अपने लोगों को पहुंचाओ. वैसे भी बीजेपी के मंत्रियों तक को साफ निर्देश है कि उनके पीआरओ संघ से जुड़े होगें, विश्वविद्यालयों के कुलपति भी इन्हीं के लोग हैं. तो कहीं न कहीं यहां भी यही करेंगे.
डिजिटल वॉलंटियर की जिम्मेदारी
- सोशल नेटवर्क पर नजर रखना इनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी
- ये जनता को साइबर क्राइम के बारे में बताएंगे और उन्हें शिक्षित करेंगे
- अपराध रोकने के लिए ये वॉलंटियर बिना वर्दी और अवैतनिक पुलिसकर्मी के रूप में कार्य करेंगे
- जरूरत पड़ने पर पुलिस इनकी मदद भीड़ नियंत्रित करने और यातायात प्रबंधन में भी कर सकती है
- सीधे शब्दों में ये पुलिस की आंख और कान होंगे
पॉवर एंजेल योजना के तहत लड़कियों को विशेष अधिकारी बना चुकी है यूपी पुलिस
इससे पहले यूपी पुलिस ने कुछ ऐसी ही योजना लड़कियों के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए लागू की थी. अखिलेश सरकार ने वुमेन हेल्पलाइन 1090 सेवा शुरू की थी और पुलिस महानिरीक्षक नवनीत सिकेरा इसके इंचार्ज थे. उन्होंने पॉवर एंजेल योजना के तहत इस हेल्पलाइन सेवा को स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को सीधे जोड़ा. हर स्कूल-कॉलेज से 10वीं पास 2-3लड़कियों को विशेष पुलिस अधिकारी के तौर पर जोड़ा गया. इन लड़कियों की यह जिम्मेदारी होती थी कि आसपास किसी साथी के साथ हो रही ज्यादती की जानकारी वुमेन हेल्पलाइन को दे.
इससे लड़कियों के खिलाफ अपराध रोकने में थोड़ी-बहुत कामयाबी भी हासिल हुई. यूपी पुलिस का मानना है कि अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए जनता का जागरुक होना बहुत जरूरी है. जनता जब अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति जागरूक होगी तो अपराध में अपने-आप गिरावट आये.
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