केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने हाल ही में इंडियन रोड कांग्रेस के 81वें वार्षिक सम्मेलन में शमिल होते हुए कहा कि मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वादा किया है कि 2024 तक, राज्य में सड़कें अमेरिका की सड़कों की तरह हो जाएंगी. मंत्री जी के इस वादे के बाद यूपी के सीतापुर और बलिया से आईं दो खबरों पर नजर डालिए, ऐसा लगेगा कि मंत्री जी का वादा और यूपी में सड़कों (UP Road Infrastructure ) का मौजूदा हाल...दोनों दो दुनिया हैं.
पहली खबर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले से है, जहां डीएम और एसएसपी का वीवीआइपी काफिला गुजरता है. ठीक उसी समय इन्हीं गड्ढों से भरे रास्ते से गुजर रहा एक ई रिक्शा पलट जाता है. काफिला आगे निकल जाता है और कुछ राहगीर सड़क पर पड़े लोगों को बचाने के लिए दौड़ते हैं.
दूसरी घटना उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से कुछ दिनों पहले आई थी. संयोग ऐसा था कि एक भाई साहब सड़क की बदहाल स्थिति के बारे में मीडिया से बात कर रहे थे और इनके पीछे जा रहा है ई रिक्शा पलट जाता है. आसपास खड़े लोग घायलों को बचाने दौड़ पड़ते हैं.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सड़कों की यह स्थिति है कि पता ही नहीं चलता है कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क. आए दिन कोई न कोई वाहन इन गड्ढों का शिकार होता है, उसमें सवार लोग घायल होते हैं. वह अपनी व्यथा अधिकारियों के सामने रखते भी हैं लेकिन क्या मजाल कि अधिकारी आम लोगों की पीड़ा को समझें.
यूपी की सड़कें कब तक गड्ढा मुक्त होंगी? मिल रही तारीख पर तारीख
योगी आदित्यनाथ के सत्ता आने के बाद ऐलान किया गया था कि 15 जून 2017 तक प्रदेश की सारी सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी. अभी साल 2022 चल रहा है और प्रदेश में सड़कों की क्या स्थिति है उसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं. हालांकि सरकार ने स्थिति का आकलन करते हुए नई डेडलाइन की घोषणा की है और अब सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की तिथि सीमा 15 नवंबर तक रखी गई है.
यह तो हुई जिलों के अंदर सड़कों की बात अब बात करते हैं एक्सप्रेस वे की. नई सरकार के कार्यकाल के दौरान जो दो विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे बने हैं उनकी हालत का भी जायजा ले लिया जाए. पिछले साल 340 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस में बनकर तैयार हुआ था.
23 हजार करोड़ की लागत से बने एक्सप्रेसवे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उद्घाटन के बाद जनता के लिए खोल दिया गया था. अभी 1 साल भी नहीं बीता रहा था कि सुल्तानपुर में इस एक्सप्रेसवे पर सड़क का एक हिस्सा बारिश में धंस गया. कई गाड़ियों का एक्सीडेंट भी हुआ लेकिन शुक्र मनाइए कि इसमें किसी की जान नहीं गई.
23000 करोड़ की लागत से बना पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पहली बारिश भी नहीं झेल पाया तो इससे हम एक्सप्रेस वे की गुणवत्ता के बारे में क्या अनुमान लगाएं? अगर इस तरीके से हमारे एक्सप्रेस बनेंगे तो हमारी सड़कें अमेरिका जैसी कैसी होंगी?
कुछ ऐसा ही हाल बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के साथ भी हुआ जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 16 जुलाई को किया था. 296 किलोमीटर लंबा और 15000 करोड़ की लागत से तैयार हुआ बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनने के महज 5 दिन बाद ही कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया. आनन-फानन में इसे ठीक कराया गया. हालांकि इस घटना के बाद किसी भी अधिकारी या एक्सप्रेस-वे बनाने वाली कंपनी की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है कि जिस एक्सप्रेस में को विश्व स्तरीय बताया जा रहा था वह पहली बारिश भी क्यों नहीं झेल पाया?
ऐसा दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे का जो जाल बन रहा है उससे विकास को रफ्तार मिलेगी लेकिन अगर इस तरीके से सड़कें क्षतिग्रस्त होती रहेंगी तो उसी स्पीड से विकास पर ब्रेक भी लग जाएगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के वादे पर यकीन करना मुश्किल है, क्योंकि अनुभव अच्छा नहीं रहा. लेकिन गडकरी के बारे में ये बात मशहूर है कि वो एक बार कमिटमेंट कर देते हैं तो पूरा करते हैं. यूपी वालों को भी उनसे इस चमत्कार का इंतजार रहेगा.
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