एक्टर सनी देओल (Sunny Deol) की जहां एक तरफ हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'गदर-2' सिनेमाघरों में खूब गदर मचा रह थी. वहीं, दूसरी तरफ शनिवार (19 अगस्त) को एक न्यूजपेपर का विज्ञापन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा. यह विज्ञापन अभिनेता और BJP के सांसद सनी देओल की संपत्ति की नीलामी का था. बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जारी किए गए इस नोटिस में लिखा था कि अजय सिंह देओल उर्फ सनी देओल के विला की ऑनलाइन माध्यम से 25 सितंबर, 2023 को नीलामी की जाएगी.
घंटे भी नहीं हुए और अखबार में छपे इस नीलामी के नोटिस ने सुर्खियों में जगह बना ली. तो आइए जानते हैं कि बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जारी किए गए संपत्ति नीलामी के इस नोटिस की पूरी कहानी क्या है. अभिनेता और BJP सांसद सनी देओल की संपत्ति को क्यों जब्त किया जा रहा था?
आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे सनी देओल
जाने माने एक्टर सनी देओल ने साल 2016 में फिल्म घायल की सीक्वल 'घायल: वन्स अगेन' का निर्माण कर रहे थे. उस वक्त फिल्म के रिलीजिंग प्रोसेस तक पहुंचते-पहुंचते वो आर्थिक तंगी का सामना करने लगे. खबरें ऐसी भी थीं कि सनी देओल ने फिल्म की रिलीज को लेकर सनी सुपर साउंड को गिरवी रख दिया था.
बता दें कि सनी सुपर साउंड, सनी विला का ही एक हिस्सा है. हालांकि उस वक्त उनके मैनेजर ने इन खबरों को सिरे से नकार दिया था. इसके बाद सनी देओल ने अपने मुंबई के जुहू इलाके में बने ‘सनी विला’ को बैंक ऑफ बड़ौदा के पास गिरवी रखकर बैंक ऑफ बड़ौदा से 56 करोड़ रुपये का लोन लिया था. इसके बदले उन्हें बैंक को तकरीबन 56 करोड़ रुपये और ब्याज चुकाने थे. इसमें लोन की रकम, ब्याज और पेनल्टी शामिल है. लेकिन, वो अभी तक ये पैसे नहीं चुकाए पाए थें.
बैंक के नोटिस के मुताबिक सनी देओल के ऊपर कुल 55 करोड़ 99 लाख 80 हजार 766 और ब्याज 26 दिसंबर 2022 से बकाया है. सनी देओल द्वारा लोन व बकाया का पैसा न भरे जाने के बाद बैंक ने उनकी संपत्ति निलाम करने की नोटिस जारी की थी.
बैंक ने न्यूज पेपर में ई ऑक्शन के लिए नॉटिफिकेशन निकाला था. नॉटिफिकेशन के अनुसार 25 सितंबर को ऑक्शन किया जाना था. इस ऑक्शन के लिए बेसिक प्राइज लगभग 51.43 करोड़ रुपये रखा गया था.
बैंक ने लोन का मूलधन और ब्याज वसूलने के लिए सनी विला को ई-नीलामी के लिए रखा.
सनी देओल पर 55 करोड़ 99 लाख 80 हजार 766 रुपए रुपये बकाया.
सनी देओल के एफिडेविट के मुताबिक उन पर 53 करोड़ रुपए की देनदारी है.
क्या बोले सनी देओल?
वहीं, इस पूरे मामले पर एक्टर सनी देओल का रिएक्शन आ गया है. सनी देओल ने घर नीलामी को लेकर कहा...
"मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. ये निजी मामला है. मैं कुछ भी बोलूंगा, लोग गलत मतलब निकालेंगे.”
नीलामी का नोटिस वापिस क्यों लिया गया?
मामले में नया मोड़ तब आया जब बैंक ने नीलामी का नोटिस जारी करने के ठीक एक दिन बाद इसे तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए वापिस ले लिया.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक अन्य नोटिस जारी करते हुए कहा कि...
"अजय सिंह देओल, जिन्हें सनी देओल के नाम से भी जाना जाता है, की संपत्ति की बिक्री से संबंधित 19 अगस्त, 2023 का ई-नीलामी नोटिस तकनीकी कारणों से वापस ले लिया गया है."
बैंक के अनुसार, सनी देओल ने 20 अगस्त को बैंक के नोटिस के अनुसार बकाया राशि चुकाने के लिए बैंक से संपर्क किया था.
बैंक ने कहा कि नीलामी के नोटिस में इस बात की सही जानकारी नहीं दी गई थी कि टोटल ड्यूज में से कितना अमाउंट वसूला जाना बाकी है. यह सेल नोटिस, सिक्योरिटी इंटरेस्ट (एनफोर्समेंट) रूल्स 2002 के नियम 8(6) के अनुसार प्रॉपर्टी के सिम्बोलिक पजेशन पर बेस्ड है.
बैंक ने फिजिकल पजेशन के लिए 1 अगस्त 2023 को चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को एक एप्लीकेशन दी थी, जो अभी परमिशन के लिए पेंडिंग में है. बैंक ने आगे कहा कि सनी देओल ने बैंक को बताया है कि अभी यह बंगला यूज में है. इसलिए बैंक अभी उधार लेने वाले सनी देओल द्वारा दिए गए जानकारी के अनुसार चल रही है. हालांकि, फिजिकल पजेशन मिलने के बाद SARFAESI एक्ट के प्रावधानों के अनुसार सेल एक्शन शुरू कर दिया जाएगा.
SARFAESI एक्ट क्या है?
इसका फुल फॉर्म सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट्स एंड एन्फोर्सटमेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट है. इस एक्ट के तहत अगर कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेने के बाद उसे चुका नहीं पाता है, तो बैंक उधारकर्ता की संपत्ति बेचकर जो भी वसूली हो सके उसे वसूलने की कोशिश करता है.
इसके लिए बैंकों को अदालत से इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है. हालांकि, अगर संपत्ति में एग्रीकल्चरल जमीन शामिल हो, तो इसके लिए अदालत की इजाजत लेनी पड़ती है.
जब उधारकर्ता लगातार 6 महीने तक EMI नहीं भरता है, तब बैंक उसे बकाया चुकाने के लिए 60 दिनों का समय देता है. अगर इन 60 दिनों में भी उधारकर्ता पैसे न चुका पाए, तो बैंक इस लोन को नॉन परफॉर्मिंग असेट यानी NPA घोषित कर देता है और इसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
ये कानून सिक्योर्ड लोन की स्थिति में ही लागू होता है. सिक्योर्ड लोन का मतलब है, जिस लोन के बदले बैंक उधारकर्ता की प्रॉपर्टी अपने पास रखते हैं.
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