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जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

Supreme Court ने हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने 1 दिसंबर को याचिका में फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने स्पष्ट किया कि परिसीमन पर निर्णय उन मामलों के एक अलग बैच को प्रभावित नहीं करेगा, जहां शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती दी जा रही है.

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कोर्ट ने श्रीनगर निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया. इसमें यूटी में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 के विरुद्ध है.

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने के लिए परिसीमन आयोग नियुक्त किया गया था. आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा क्षेत्रों की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की.

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