ADVERTISEMENT

1400 साल पहले भारत के मंदिर में बनी कलाकृति नहीं, ये मैक्सिकन कलाकार ने बनाया है

दावा किया जा रहा है कि 1400 साल पहले भारत के प्राचीन मंदिर में पल्लव राजा ने ये कलाकृति बनाई थी

Published
1400 साल पहले भारत के मंदिर में बनी कलाकृति नहीं, ये मैक्सिकन कलाकार ने बनाया है
i

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल है, जिसे देखने पर लगता है कि ये पत्थर पर बनाई गई कोई कलाकृति है, जिसमें एक शख्स कम्प्यूटर पर काम करता दिख रहा है.

क्या है दावा ? फोटो शेयर करने वालों का दावा है कि ये कलाकृति 1400 साल पहले पल्लव राजा नरसिम्हा ने लालगिरी मंदिर में बनाई थी, जिसमें एक शख्स कम्प्यूटर पर काम कर रहा है. मैसेज में आगे दावा किया गया है कि उस वक्त बिजली तक नहीं बनी थी, लेकिन हिंदू मंदिर में ये सुबूत मौजूद है कि यहां हजारों साल पहले से तकनीक थी.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/फेसबुक

फेसबुक और ट्विटर पर बड़े पैमाने पर ये दावा किया जा रहा है. हमारी वॉट्सऐप टिपलाइन पर भी पड़ताल के लिए ये दावा भेजा गया.

ADVERTISEMENT

फिर सच क्या है ? : हमारी पड़ताल में सामने आया कि ये दावा गलत है.

  • ये कलाकृति मेक्सिकन कलाकार रॉल क्रूज (Raul Cruz) ने बनाई थी, क्विंट की वेबकूफ टीम से रॉल क्रूज ने पुष्टि भी की कि ये उन्होंने पहली बार 25 साल पहले बनाई थी.

  • रॉल क्रूज ने आगे कहा ''इसका भारत से कोई संबंध नहीं है. ये सिर्फ एक मनोरंजक काम था , जो मेरे जैसे कलाकार सालों से कर रहे हैं. इसमें मैंने मनोरंजन और साइंस फिक्शन को अपने देश की पुरातन सभ्यता के साथ मिलाकर दिखाने की कोशिश की है.''

ADVERTISEMENT

हमने ये कैसे पता लगाया ? :

  • फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें काल्पनिक कहानियों पर आधारित एक साप्ताहिक मैगजीन Strange Horizons की वेबसाइट पर यही फोटो मिली.

  • पोस्ट में बताया गया था कि ये इलस्ट्रेशन कलाकार रॉल क्रूज ने बनाया था, जो कि 1983 से एक फ्रीलांसर के तौर पर काम कर रहे हैं.

  • पोस्ट में आगे बताया गया है कि ''रॉल की कला कृतियां मैक्सिको की मानी जाने वाली प्राचीन सभ्याताओं Aztec और Mayan से जुड़ी होती हैं. वो इसमें थोड़ा साइंस फिक्शन और मनोरंजन भी जोड़ते हैं.''

ADVERTISEMENT

कलाकार का इसपर क्या कहना है ? :

  • पोस्ट से अंदाजा लगाकर हमने रॉल क्रूज से इमेल पर संपर्क किया.

  • उन्होंने पुष्टि की कि इस आर्टवर्क का भारत से कोई संबंध नहीं है और ये मनोरंजन और साइंस फिक्शन को मिलाकर किया गया काम है, जो कि मायन और एजटेक संस्कृतियों से प्रेरित है.

  • क्रेज ने आगे बताया ''मैंने इसके और भी कई वर्जन बनाए हैं, ये दिखाने के लिए कैसे कम्प्यूटर का आकार लगातार बतला है ''

  • हमें इस आर्टवर्क का एक दूसरा वर्जन भी मिला, जो इंस्टाग्राम हैंडल्स पर 5 सितंबर 2018 को पब्लिश हुआ था.

ADVERTISEMENT
  • रॉल क्रूज ने हमें हमें उस आर्टस्टेशन का पेज भी भेजा, जिसमें ये कलाकृति छपी थी.

  • मेक्सिकन वेबसाइट NeoMexicanismos पर हमें रॉल क्रूज के काम से जुड़ा एक आर्टिकल भी मिला.

ADVERTISEMENT

पड़ताल का निष्कर्ष : पूरी तरह मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई कलाकृति को इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये पल्लव राजा नरसिम्हा ने लालगिरी मंदिर में बनाई थी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×