गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि गुजरात (Gujrat) में 2002 के बाद कोई दंगा (Riot) नहीं हुआ. हालांकि, सरकार की तरफ से जारी आंकड़े ही साबित करते हैं कि अमित शाह का ये दावा सच नहीं है. NCRB के मुताबिक गुजरात में साल 2002 से 2020 के बीच दंगों के 29,000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. वहीं 2002 के बाद अगले पांच सालों में गुजरात में दंगों के 8 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे.
अमित शाह ने इंटरव्यू में क्या कहा?
इंटरव्यू में 32 मिनट बाद गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा गया कि गुजरात दंगों के बाद सरकार को ऐसी स्थिति से निपटने की क्या सीख मिली? जवाब में अमित शाह ने कहा
ट्रेनिंग मॉडल भी बदले हैं. सूचना प्राप्त करने की पद्धति को भी बदला गया है. सूचना का ग्रेडेशन करने की नई सिस्टम इवॉल्व कर दी गई है. सूचना ग्रेडेशन करने के बाद इसके अनुरूप एक्शन क्या होंगे इसकी भी एसओपी बनाई गई है. इसलिए गुजरात में 2002 के बाद एक भी दंगा नहीं हुआANI को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह
इंटरव्यू में 33 मिनट पर शाह को ये दावा करते हुए सुना जा सकता है.
गुजरात में दंगों पर सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं?
NCRB के मुताबिक, साल 2003 में गुजरात में 1,824 दंगों के केस दर्ज हुए. वहीं साल 2004 में राज्य में दंगों के 1,599 मामले दर्ज हुए. 2005 में 1,628 मामले दर्ज हुए, तो 2006 में 1,534 दंगों के मामले दर्ज हुए.
2002 के बाद अगले पांच सालों में यानी साल 2003 से लेकर 2007 तक गुजरात में दंगों के 8253 मामले दर्ज किए गए.
गौर करने वाली बात ये है कि 2014 तक सभी तरह के दंगों को NCRB की रिपोर्ट में एक ही कैटेगरी में रखा जाता था. 2014 के बाद दंगों के अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से आंकड़े पेश किए जाने लगे. दंगों की कुल संख्या के साथ NCRB की रिपोर्ट में ये भी बताया जाने लगा कि इनमें से कितने दंगे साम्प्रदायिक हैं, कितने व्यापार से जुड़े हैं रऔ कितने राजनीतिक दंगे हैं.
NCRB के मुताबिक, साल 2014 में गुजरात में दंगों के 1,354 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 57 मामले साम्प्रदायिक दंगों के थे. वहीं साल 2015 में दंगों के 1,751 मामले दर्ज हुए. साल 2016 में 62 साम्प्रदायिक दंगों के मामले गुजरात में दर्ज हुए.
इसी तरह साल 2017 और 2018 में गुजरात में क्रमश: 1,740 और 1,898 दंगों के मामले दर्ज हुए. इनमें से साम्प्रदायिक दंगे 44 और 39 थे. 2019 में गुजरात में 22 तो 2020 में 23 साम्प्रदायिक दंगों के मामले दर्ज हुए.
तत्कालीन गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने 2018 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि गुजरात में साल 2014,2015,2016 और 2017 में क्रमश: 74, 55, 53 और 50 साम्प्रदायिक टकराव की घटनाएं हुईं.
मतलब साफ है, ये दलील सही मानी जा सकती है कि गुजरात में साल 2002 के बाद उतना बड़ा दंगा नहीं हुआ. लेकिन, ये दावा तथ्यों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता की कोई दंगा हुआ ही नहीं. दंगों के आंकड़े NCRB की रिपोर्ट में हैं और राज्य में हुए साम्प्रदायिक दंगों की खबरें मीडिया में भी आई हैं.
गुजरात में 10 अप्रैल, 2022 को राम नवमी के मौके पर दो शहरों में सांप्रदायिक झड़प हो गई. इस घटना में 1 बुजुर्ग शख्स की मौत हो गई, जबकि 1 व्यक्ति घायल हो गया. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक राम नवमी के जुलूस के दौरान गुजरात के खंभात में सांप्रदायिक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया है. इसी तरह की झड़प राज्य के हिम्मतनगर में भी हुई थी.
2006 में गुजरात के बड़ोदरा में हुए साम्प्रदायिक टकराव में 6 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल ह गए थे. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, नगर निगम ने सैय्यद चिश्ती रशीदुद्दीन की दरगाह हटाने का फैसला लिया था, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. इस साम्प्रदायिक हिंसा को काबू में लाने के लिए भारतीय सेना के तकरीबन हजार की संख्या में जवान पहुंचे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे से पहले साल 2014 में बडौदरा में हिंसा भड़की थी. ये हिंसा कथित तौर पर एक धार्मिक स्थल को लेकर वायरल हुई आपत्तिजनक फोटो के बाद भड़की थी.
साफ है - गृह मंत्री अमित शाह का ये दावा सच नहीं है कि गुजरात में 2002 के बाद कोई दंगा नहीं हुआ.
(गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को लेकर हमने गृह मंत्रालय से संपर्क किया है, जवाब आते ही स्टोरी को अपडेट किया जाएगा)
(Editor Note : इस फैक्ट चेक रिपोर्ट में हमने दंगों के साथ साम्प्रदायिक दंगों के आंकड़े अलग से दिए हैं. लेकिन, गृह मंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू में अलग से साम्प्रदायिक दंगों का जिक्र नहीं किया. )
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