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यूपी की GDP, रोजगार और मेडिकल कॉलेजों की संख्या से जुड़े अमित शाह के दावों का सच

GDP के मामले में उत्तर प्रदेश 2012 के बाद से टॉप-5 राज्यों में से एक रहा है.

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यूपी (UP) में चौथे चरण के मतदान से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार, 21 फरवरी को Network18 ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी से अर्थव्यवस्था की स्थिति, अपराध और अलग-अलग सरकारी योजनाओं समेत कई मुद्दों पर बात की.

राज्य की अर्थव्यवस्था के बारे में बोलते हुए, अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने राज्य के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया है, जबकि अन्य सरकारों में ये देश में 8वें या 9वें नंबर पर थी.
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शाह ने ये भी कहा कि जीडीपी का आंकड़ा पहले 10,90,000 करोड़ रुपये था, लेकिन अब ये 21,31,000 करोड़ रुपये हो गया है. इसी तरह बेरोजगारी दर पहले 17.3 प्रतिशत थी, लेकिन वो अब 4.1 प्रतिशत हो गई है. अमित शाह ने राज्य में 'कारोबार की सुगमता' यानी 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की स्थिति के बारे में बोलते हुए कहा कि इस मामले में राज्य की स्थिति 14वें स्थान पर थी जो अब दूसरे नंबर पर आ गई है.

इस क्लिप में करीब 4 मिनट 43 सेकेंड में वो सुना जा सकता है जो ऊपर बताया गया है.

शाह ने अलग-अलग तरह के अपराधों के बारे में बात करते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में डकैती, लूट, अपहरण और बलात्कार के मामलों में कमी आई है.

उन्होंने शिक्षा की स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि राज्य में पहले जहां 12 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं अब 40 हो गए हैं.

हमने गृह मंत्री के बयान का विश्लेषण किया और उनके दावों को वेरिफाई करने के लिए सरकारी डेटा और सार्वजनिक रिकॉर्ड देखे.

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पहला दावा: यूपी की GDP की स्थिति

"SP और BSP सरकार के 15 सालों में राज्य की आर्थिक स्थिति आठवें या नौवें नंबर पर थी, और हम इसे दूसरे नंबर पर ले गए."
अमित शाह, गृहमंत्री

फैक्ट: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वेबसाइट पर प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, यूपी 2012 से शीर्ष पांच राज्यों में रहा है.

आंकड़े क्या कहते हैं?

हमने RBI की वेबसाइट पर 24 फरवरी को HANDBOOK OF STATISTICS ON INDIAN STATES पर प्रकाशित आंकड़े देखे. इसे मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MOSPI) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों को मिलाकर तैयार किया गया है, जिसे यहां देखा जा सकता है.

टेबल में, हमने 2011-12 (FY12) से 2020-21 (FY21) तक स्थिर मूल्य (बेस इयर 2011-12) पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) देखने के लिए राज्य-वार डेटा देखा.

हमने GDP के आंकड़ों (स्थिर कीमतों पर) पर इसलिए गौर किया, क्योंकि इसे एडजस्ट कर महंगाई के प्रभावों के लिए समायोजित किया जाता है और इसे इकॉनोमी के असल ग्रोथ को मापने का संकेतक माना जाता है

आंकड़ों से पता चलता है कि 2011-12 से 2016-17 तक, यूपी ने हर बार महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद तीसरे स्थान पर अपनी स्थिति बनाए रखी.

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2017-18 से 2019-20 तक, हमने देखा कि उत्तर प्रदेश एक स्थान गिर गया. हालांकि, यूपी ने 2019-20 तक (महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात के बाद) नंबर 4 पर अपनी स्थिति बनाए रखी.

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में यूपी तीसरे स्थान पर रहा. हालांकि, इस साल का डेटा अधूरा है, क्योंकि महाराष्ट्र और गुजरात सहित लगभग 12 राज्यों के जीएसडीपी नंबर नहीं उपलब्ध हैं.

हमने 2011-12 (बेस इयर 2004-05 के साथ) से पहले के आंकड़ों को भी देखा और पाया कि 2004-05 से 2009-10 तक यूपी महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर था.

ऐसा ही दावा पहले सीएम योगी आदित्यनाथ भी कर चुके हैं, जिसका फैक्ट चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.

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GDP में दोगुनी वृद्धि? क्या कहते हैं आंकड़े

"यूपी की जीडीपी 10,90,000 करोड़ रुपए थी, अब 21,31,000 करोड़ रुपए है."
अमित शाह, गृहमंत्री

वित्तीय वर्ष 2017-18 में स्थिर मूल्य पर यूपी का जीएसडीपी के लिए सरकारी डेटा 1,05,774,712 लाख रुपये या (10 लाख करोड़) था.

ये 2019-20 में बढ़कर 1,16,681,747 लाख (11,66,817 करोड़) हो गया और अगले ही वित्तीय वर्ष में COVID-19 महामारी की वजह से घटकर 1,09,262,381 लाख (10,92,623 करोड़) हो गया.

आदित्यनाथ सरकार में 2017 से 2021 तक विकास दर हर साल 2 प्रतिशत के करीब थी. वहीं, समाजवादी पार्टी सरकार में 2012 से 2017 तक विकास दर 6 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा थी.

हमने वर्तमान दर पर राज्य के लिए जीएसडीपी को भी देखा और पाया कि, ये 2016-17 में 12,88,700 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 17,05,593 करोड़ रुपये हो गया.

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दूसरा दावा: राज्य में बेरोजगारी दर

"बेरोजगारी 17.3 प्रतिशत थी, अब 4.1 प्रतिशत है."
अमित शाह, गृहमंत्री

ये सही है कि अगस्त 2016 में बेरोजगारी दर 17 प्रतिशत को छू गई थी, लेकिन जनवरी 2017 में यह घटकर 3.7 प्रतिशत हो गई (BJP के सत्ता में आने से पहले).

ये आकंड़े एक इंडिपेंडेंट थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक हैं. CMIE भारत में रोजगार पर मासिक डेटा बुलेटिन प्रकाशित करता है.

इसी डेटा से पता चलता है कि अप्रैल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए पहले लॉकडाउन में बेरोजगारी दर बढ़कर 21.5 प्रतिशत हो गई.

नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 2018 में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई.

लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन (LFP), जनवरी-अप्रैल 2017 में 38.40 प्रतिशत से घटकर सितंबर-दिसंबर 2021 में 34.45 प्रतिशत हो गई है.

इसके अलावा, रोजगार दर जनवरी-अप्रैल 2017 में 36.96 प्रतिशत थी और सितंबर-दिसंबर 2021 में ये घटकर 32.78 प्रतिशत हो गई.

CMIE के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने क्विंट को इमेल के जरिए जवाब में बताया कि रोजगार दर और LFP अहम इंडीकेटर्स हैं.
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व्यास ने बताया कि, ''रोजगार दर और श्रम बल की भागीदारी दर (LFP) पूरी कामकाजी उम्र की आबादी के आधार पर होती है. वहीं बेरोजगारी दर सिर्फ श्रम बल पर आधारित होती है. हालांकि, अगर श्रम बल खुद ही कम हो रहा है, तो ऐसे में बेरोजगारी दर के बारे में कम जानकारी होती है."

तीसरा दावा: राज्य में अपराध से जुड़े आंकड़े

"योगी जी के सत्ता में आने के बाद डकैती 72 प्रतिशत कम हुई. लूट 62 प्रतिशत कम हुई. अपहरण 39 प्रतिशत कम हुआ. बलात्कार 50 प्रतिशत कम हुआ है."
अमित शाह, गृहमंत्री

फैक्ट: जहां 2016 से 2020 तक मामलों में कमी आई है, वहीं गृह मंत्री की ओर से बताया गया प्रतिशत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के हिसाब से नहीं है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, ये सच है कि डकैती, अपहरण और बलात्कार के मामलों में कमी आई है, लेकिन गृहमंत्री द्वारा बताए गए प्रतिशत सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक नहीं हैं.

2016 में, यूपी में बलात्कार के 4,816 मामले सामने आए, जो 2020 में घटकर 2,769 (42 प्रतिशत) हो गए. इसी तरह, डकैती से जुड़े मामलों में 57 प्रतिशत की कमी आई, जबकि अपहरण और अपहरण के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी आई.

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इसके अलावा, NCRB के तहत ऐसी कोई कैटेगरी नहीं थी जिसमें लूट के बारे में बताया गया हो, लेकिन हमने डकैती के आंकड़ों को देखा और पाया कि इसमें मामलों में 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.

हालांकि, ये जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए कि महामारी की वजह से, कई अन्य राज्यों में भी अपराध में गिरावट देखी गई थी.

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चौथा दावा: मेडिकल कॉलेज की संख्या

"यूपी में 12 मेडिकल कॉलेज थे, अब 40 हैं."
अमित शाह, गृहमंत्री

फैक्ट: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए जवाबों के मुताबिक, 2017 से पहले यूपी में सिर्फ 12 मेडिकल कॉलेज होने का दावा सही नहीं है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लोकसभा में 20 जुलाई 2018 को दी गई प्रतिक्रिया के मुताबिक, यूपी में 48 मेडिकल कॉलेज थे. फरवरी 2021 में एक और जवाब में राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 57 बताई गई है.

मंत्रालय ने 12 फरवरी 2021 को बताया कि 2018 और 2020 के बीच राज्य में 12 कॉलेज स्थापित किए गए थे. इनमें से नौ सरकारी कॉलेज थे और तीन निजी थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2021 में यूपी में नौ मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया, जिनकी संख्या 21 हो जाएगी.

इसके अलावा, लोकसभा के जुलाई 2018 के डॉक्युमेंट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अकैडमिक इयर 2016-17 तक 45 मेडिकल कॉलेज थे.

इसलिए, ये दावा कि पहले सिर्फ 12 मेडिकल कॉलेज थे, संसद में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर सही नहीं लगता.

हमने होम मिनिस्टर ऑफिस से भी जानकारी मांगी है, जवाब आते ही स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

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