सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें सेना की वर्दी पहने हुए कुछ लोग आम लोगों को मारते-पीटते हुए देखें जा सकते हैं.
दावा: वीडियो को शेयर कर यह दावा किया जा रहा है बांग्लादेशी लोगों के साथ वहां की आर्मी भी हिंदुओं को घरों से निकाल कर मार रही है और बांग्लादेश से भगा रही है.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है. यह वीडियो बांग्लादेश का ही है यह बात सही है लेकिन इसमें कोई भी सांप्रदायिक एंगल शामिल नहीं है.
वायरल वीडियो में बांग्लादेश की सेना घरों और दुकानों से लूट करने वालों को पीट रही है.
लूट बचाने के लिए उनके साथ कुछ स्थानीय लोग भी शामिल हो गए हैं.
यह घटना बांग्लादेश के किस इलाके की है हम इसकी पुष्टि नहीं कर पाए, लेकिन इतना तय है कि घटना में कोई धार्मिक या सांप्रदायिक एंगल शामिल नहीं है.
हमनें सच का पता कैसे लगाया ? : हमनें इस वीडियो को Google Lens की मदद से इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया. हमारी सर्च में हमें फेसबुक पर यही वीडियो मिली जिसके कैप्शन में किखा था -
चटगांव में एक घर से सामान लूटने की खबर मिलने पर स्थानीय लोगों ने सेना की कार्रवाई में सहयोग किया. (बांग्ला से हिंदी में अनुवाद)
एक अन्य फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा था कि चटगाँव में घर पर सामान लूटते समय सेना द्वारा पीछा किया गया. (बांग्ला से हिंदी में अनुवाद)
आगे सर्च करने पर हमें पर यही वीडियो Bangladhara नाम के एक Youtube चैनल पर मिला.
इस वीडियो के टाइटल और वीडियो के ऊपर आ रहे स्लग्स को हिंदी में अनुवाद करने पर यह आया 'सामान लूटने पर सेना की कार्रवाई.'
वीडियो की पुष्टि: हमनें इस वीडियो की पुष्टि के लिए बांग्लादेश के फैक्ट-चेकर तनवीर महताब अबीर से बात की जिन्होंने हमें बताया कि "यह लूट का मामला है, इस वीडियो में लूट करने वालों पर सेना की कार्रवाई को देखा जा सकता है."
उन्होंने आगे बताया कि "चटगांव में जब घर से सामान लूटने गए तो स्थानीय लोगों ने सेना की मदद से बदमाशों का पीछा किया था. 6 से 9 अगस्त के बीच ऐसी कई घटनाएं हुईं हैं. लेकिन इस घटना में किसी भी तरह का सांप्रदायिक एंगल शामिल नहीं है. "
निष्कर्ष: बांग्लादेश में सामान लूट रहे लोगों पर कार्रवाई करती सेना के वीडियो को हिंदुओ के साथ होती मार-पीट बताकर शेयर किया जा रहा है. यह दावा गलत है.
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