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कांग्रेस के घोषणापत्र पर 'कर्नाटक बीजेपी' के आरोपों का फैक्ट चेक

कांग्रेस के घोषणापत्र में मुसलमानों का जिक्र नहीं है बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल किया गया है.

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लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections 2024) के दौरान कर्नाटक बीजेपी के X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से(कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणापत्र पर को लेकर कई भ्रामक दावे किए गए हैं. बीजेपी ने दावा किया है कि कांग्रेस का घोषणापत्र भारत में मुस्लिम समुदाय के पक्ष में है. उन्होंने इस घोषणापत्र को "मुस्लिम लीग घोषणापत्र" कहकर भी सवाल उठाए हैं.

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बीजेपी के पोस्ट में किए गए दावे:

  • शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की छूट.

  • मुसलमानों को धन वितरण.

  • मुसलमानों को विशेष आरक्षण.

  • पर्सनल लॉ मानने की आजादी.

  • मुसलमानों को सीधे न्यायाधीश नियुक्त किया जाएगा.

  • मुसलमानों को नौकरी पर रखने के लिए सार्वजनिक और निजी संस्थाओं को आदेश.

रिपोर्ट लिखे जाने तक इस पोस्ट को 85.4K बार देखा जा चुका है. (ऐसे ही दावे करने वाले अन्य पोस्ट के अर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)

क्या यह सच है?: नहीं, यह दावा भ्रामक है.

पहली बात तो यह कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र से जो पॉइंट निकाले हैं, उनका जिक्र नहीं किया गया है.

कांग्रेस के घोषणापत्र में कहीं भी पार्टी ने स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं किया है.

हमनें सच का पता कैसे लगाया?: इस दावे की पुष्टि करने के लिए हमने कांग्रेस का घोषणा पत्र देखा.

हमने बीजेपी कर्नाटक के हर दावे की एक एक कर पड़ताल की.

पहला दावा: शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब निति में बदलाव

क्या कांग्रेस पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब निति पर बदलाव की बात की है. यह जांचने के लिए हमने उनके मैनिफेस्टो को पढ़ा और हमें स्कूल-कॉलेजों में हिजाब नीति पर कोई पॉइंट नहीं मिला.

  • धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक श्रेणी के तहत, पार्टी ने बताया है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि हर नागरिक को पहनावे, भोजन, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की पसंद की स्वतंत्रता हो. लेकिन पार्टी ने हिजाब के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है.

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दूसरा दावा: मुसलमानों को धन वितरण

हमने कांग्रेस के मैनिफेस्टो में 'मुसलमानों' को धन वितरण का दावा ढूंढने के लिए घोषणापत्र को देखा. घोषणापत्र में इस तरह की कोई बात नहीं कही गई है.

  • घोषणा पत्र में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के आर्थिक सशक्तिकरण की बात की गई है. यह गारंटी भी दी गई है कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत लोग देंगे. लेकिन, ये कहीं नहीं कहा कि मुसलमानों को धन वितरित किया जाएगा.

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तीसरा दावा: मुसलमानों को विशेष आरक्षण

टीम वेबकूफ ने आरक्षण के बारे में घोषणापत्र में लिखे सभी पॉइंट्स को देखा, लेकिन, ऐसा कोई पॉइंट नहीं मिला जो विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए हो.

  • 'सामाजिक न्याय' की श्रेणी में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करने की बात कही है.

  • इसमें यह भी बताया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और समुदायों पर लागू किया जाएगा.

निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के संदर्भ में, कांग्रेस पार्टी ने कहा कि अनुच्छेद 15 (5) के अनुरूप एक कानून - राज्य को सरकारी सहायता की परवाह किए बिना निजी स्कूलों या कॉलेजों जैसे शैक्षणिक संस्थानों में SC और ST समुदाय समेत OBC के लिए सीटें आरक्षित करने में सक्षम बनाता है.

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इसी तरह घोषणापत्र के महिला सशक्तिकरण वाले सेक्शन में, पार्टी ने महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (106वें) संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों को बताया है.

  • वादा किया गया है कि कांग्रेस बिना देर किए संशोधन कानून बनायेगी.

  • यहां भी महिलाओं की किसी खास श्रेणी का जिक्र नहीं है.

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चौथा दावा: पर्सनल लॉ को मानने की आजादी

इस घोषणापत्र में पर्सनल लॉ के बारे में दो बातें बताई गई हैं:

  • कांग्रेस पार्टी यह गारंटी देगी कि सभी नागरिकों की तरह अल्पसंख्यकों को भी अपनी पोशाक, भोजन, भाषा और व्यक्तिगत नियम चुनने की आजादी है.

  • उन्होंने पर्सनल लॉ के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के बारे में भी बात की है, यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसे बदलाव संबंधित समुदायों के सहयोग से और उनकी सहमति से किए जाते हैं.

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पांचवा दावा: मुसलमानों को सीधे न्यायाधीश नियुक्त किया जाएगा

कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में कुछ पॉइंट्स हैं, लेकिन इनमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में किसी धर्म के बारे में कोई जिक्र नहीं है.

महिला सशक्तिकरण और न्यायपालिका श्रेणियों के तहत, कांग्रेस यह सुनिश्चित करने की बात करती है कि ज्यादा महिलाओं को न्यायाधीशों, सरकार के सचिवों, उच्च रैंकिंग पुलिस अधिकारियों, कानून अधिकारियों और लिस्टेड कंपनियों के बोर्डों पर निदेशकों जैसे उच्च पदों पर नियुक्त किया जाए.

इसमें यह भी कहा गया है कि SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों से ज्यादा संख्या में महिलाओं और व्यक्तियों को उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में चुना जाएगा.

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छठा दावा: सार्वजनिक और निजी संस्थाओं को मुसलमानों को नौकरी पर रखने का आदेश

घोषणापत्र में देश में सार्वजनिक और निजी संस्थाओं में नौकरी के मौकों का जिक्र है.

घोषणापत्र यह सुनिश्चित करने की बात करता है कि अल्पसंख्यक समूहों को बिना किसी भेदभाव का सामना किए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए.

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घोषणापत्र के एक अन्य पॉइंट में बताया गया है कि कांग्रेस एक विविधता आयोग (Diversity Commission) बनाने की योजना बना रही है, जो सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के रोजगार और शिक्षा में विविधता का आकलन, निगरानी करेगी और बढ़ावा देगी.

घोषणापत्र में कहीं भी विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए खानपान की बात नहीं की गई है.

कांग्रेस की प्रतिक्रियाएं: ANI के हवाले से कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग के अनुरूप बताने के लिए बीजेपी नेताओं पर पलटवार करते हुए, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "युवाओं को रोजगार, किसानों को MSP और महिलाओं को पैसा देने का वादा मुस्लिम लीग से संबंधित कैसे है."

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टीम वेबकूफ ने पहले भी कांग्रेस के घोषणापत्र के संबंध में इसी तरह के दावों का फैक्ट-चेक किया है. हमारी वह स्टोरी यहां पढ़ें.

निष्कर्ष: स्पष्ट रूप से बीजेपी के कर्नाटक X हैंडल ने कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में भ्रामक सांप्रदायिक कहानी फैलाई है.

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