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Click Restraint: फेक न्यूज पहचानने के लिए इंटरनेट पर ये सतर्कता बरतनी होगी

इंटरनेट पर सही जानकारी खोजने का मतलब बहुत सारे सोर्स खोजना नहीं बल्कि सबसे विश्वसनीय सोर्स खोजना है

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कोई भी भ्रामक जानकारी या ऐसी जानकारी जिसके शक होने पर आप शक है जब आप देखते हैं तो सबसे पहले आपके मन में क्या ख्याल आता है ? यही न, कि सर्च इंजन के जरिए मिलने वाले वेरिफाइड जानकारी पर भरोसा करना चाहिए?

लेकिन सिर्फ इतनी सतर्कता काफी नहीं है. क्योंकि.

  • ऐसे मामलों में नतीजे तक पहुंचने में वक्त लगता है

  • शुरुआत में जो रिजल्ट आते हैं उनके हेडिंग क्लिकबेट होती हैं

इसलिए ऐसी स्थिति के लिए आपको एक खास स्ट्रैटजी अपनानी होगी, जिसे कहा जाता है 'क्लिक स्ट्रेंट'. इस स्ट्रेटजी में लोग सीधे तौर पर पहले सर्च रिजल्ट पर क्लिक नहीं करते, बल्कि इस बात पर फोकस करता हैं कि उन्हें ज्यादा विश्वसनीय सोर्स मिली.
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अपने पिछले वीडियोज में हमने जानकारी का सही सोर्स पता लगाने और ऐसे सुबूत देखने के बारे में बताया, जिनसे साबित होता हो कि जानकारी बिल्कुल सही है.

लेकिन, इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इंटरनेट पर सूचनाओं का अंबार है और ये सभी सूचनाएं विश्वसनीय नहीं हैं. एक उदाहरण के तौर पर समझें तो वैक्सीन से जुड़ी कई कॉन्सपिरेसी थ्योरीज इंटरनेट पर हमें मिलती हैं. ऐसे मामलों में हमें कुछ आसान स्टेप्स को फॉलो करना होगचकचकचतकचतक

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स्नैपशॉट
  • सच खोजने का मतलब ये नहीं कि कई सारे सोर्स पता लगाए जाएं. बल्कि जरूरी है कि सबसे विश्वसनीय सोर्स खोजा जाए.

  • सर्च रिजल्ट के पहले पेज पर ही न रुक जाएं

  • सर्च रिजल्ट में सबसे प्रमुख न्यूज ऑर्गेनाइजेशंस के रिजल्ट देखें

  • रिजल्ट की तुलना करने के बाद कुछ सोर्स को ओपन करके पढ़ें

  • अब देखें कि किसी भी जानकारी का पहला सोर्स क्या बताया गया है और ये कितनी विश्वसनीय है

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अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर ये लैटरल रीडिंग है क्या ? तो चिंता की बात नहीं, हमारे साथ बने रहें. हम आपके अपनी इस एनिमेटेड सीरीज में इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.

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