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लॉकडाउन का दावा झूठा, प्याज खाने से खत्म नहीं होता कोरोना संक्रमण 

कोरोना, लॉकडाउन और वैक्सीन को लेकर किए जा रहे झूठे दावों का सच एक नजर में

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कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आए लोगों का ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है और अस्पतालों से ऑक्सीजन खत्म होने की खबरें आ रही हैं. इसी बीच ऑक्सीजन बढ़ाने के नुस्खे के नाम पर भ्रम फैला रहे फेक न्यूड पेडलर्स लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. वायरस को लेकर लोगों के डर का फायदा उठाकर वैक्सीन और कोरोना के इलाज को लेकर लगातार झूठ फैलाया जा रहा है.

कहीं कपूर सूंघने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ने का दावा हो रहा है. तो कहीं ये दावा किया जा रहा है कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाती है. लेकिन, फेक न्यूज के साथ ही जारी है क्विंट की वेबकूफ टीम का काम, आप तक सच पहुंचाना. जानिए इस सप्ताह सोशल मीडिया पर किए गए 5 भ्रामक दावे और उनका सच एक नजर में.

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1.पीएम मोदी नहीं कर रहे लॉकडाउन का ऐलान, एडिटेड है ये बुलेटिन

सोशल मीडिया पर न्यूज चैनल TV9 भारतवर्ष के बुलेटिन कास्क्रीनशॉट शेयर कर दावा किया गया कि पीएम मोदी कोरोना की दूसरी लहर के बाद पिछले साल से भी ज्यादा सख्त देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करने जा रहे हैं.

कोरोना, लॉकडाउन और वैक्सीन को लेकर किए जा रहे झूठे दावों का सच एक नजर में
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सोर्स ; स्क्रीनशॉट/ट्विटर

न्यूज चैनल टीवी9 भारतवर्ष का 17 अप्रैल 2021 का न्यूज बुलेटिन हमें मिला. इस बुलेटिन में बताया गया है कि डिप्टी सीएम अजित पवार के मुताबिक, महाराष्ट्र में सख्त लॉकडाउन लग सकता है.

वायरल स्क्रीनशॉट में ‘महाराष्ट्र’ की जगह ‘भारत’ शब्द एडिटिंग के जरिए जोड़ दिया गया है. असली बुलेटिन में टेक्स्ट है - ‘महाराष्ट्र में लग सकता है लॉकडाउन’, जबकि वायरल स्क्रीनशॉट में दिख रहा टेक्स्ट है- ‘भारत में लग सकता है लॉकडाउन.

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वायरल स्क्रीनशॉट में दिख रही पीएम मोदी की फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से पता चला कि ये फोटो 19 नवंबर 2020 को बेंगलुरु मेें हुए टेक्नोलॉजिकल समिट की है. इस आयोजन में पीएम मोदी का वर्चुअल संबोधन हुआ था.

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साफ है कि बुलेटिन का स्क्रीनशॉट एडिट कर सोशल मीडिया पर गलत दावा किया जा रहा है.

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2. प्याज और नमक खाने से खत्म नहीं होता कोरोना संक्रमण, झूठा दावा

सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि प्याज और सेंधा नमक खाने से कोविड 19 के संक्रमण को खत्म किया जा सकता है.

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सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

19 अप्रैल, 2021 तक WHO या भारत की स्वास्थ्य संस्थाओं ने किसी घरेलू नुस्खे से कोविड 19 के इलाज की सलाह नहीं दी है . जर्मनी के वैज्ञानिकों ने प्याज को कोविड की दवा बताता एक हाइपोथीसिस जरूर तैयार किया था, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई एक्सपेरिमेंट नहीं किया गया .

क्विंट ने कोविड महामारी के खिलाफ लड़े रहे वैज्ञानिकों के संगठन Indian Scientists’ Response to CoViD-19 (ISRC) के को-फाउंडर डॉ. एस कृष्णास्वामी से संपर्क किया. उन्होंने प्याज से कोविड-19 के इलाज के दावे को फेक बताया.

डॉ. कृष्णास्वामी के मुताबिक, प्याज और लहसुन में कुछ ऐसे तत्व जरूर होते हैं जो एंटीवायरल हो सकते हैं. लेकिन, ये कोरोना संक्रमण खत्म नहीं कर सकते हैं.

डॉ. कृष्णास्वामी ने आगे कहा कि “इस तरह की दवाओं के साथ ये समस्या है कि इनके कारगर होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं होता. लेकिन, ये व्यक्ति में सुरक्षा का एक झूठा सेंस पैदा कर देती हैं. इस वजह से लोग उन उपायों पर ध्यान नहीं देते जो वाकई कारगर हैं’’

मतलब साफ है- इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि प्याज और नमक खाकर कोविड 19 के संक्रमण को खत्म किया जा सकता है.

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3.मंदिर को कोविड अस्पताल में बदला गया, पर मुंबई की नहीं है तस्वीर


सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें मरीजों के लिए बिछाए गए कई सारे पलंग देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि फोटो मुंबई के स्वामीनारायण मंदिर की है और इस मंदिर को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है. कांग्रेस नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने फोटो को इसी दावे के साथ शेयर किया.

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गूगल पर Temple Converted to Covid Hospital कीवर्ड सर्च करने से हमें Latestly वेबसाइट पर 17 अप्रैल 2021 का एक आर्टिकल मिला. इसके मुताबिक गुजरात के वडोदरा मेें स्वामीनारायण मंदिर और एक मस्जिद को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है.

आर्टिकल में टीवी9 भारतवर्ष की एक वीडियो रिपोर्ट का लिंक भी दिया गया है. टीवी 9 की इस रिपोर्ट में कोविड अस्पताल में तब्दील किए गए वडोदरा के स्वामीनारायण मंदिर के विजुअल देखे जा सकते हैं.

वायरल फोटो और टीवी 9 के वीडियो में दिखाए जा रहे विजुअल्स की हमने तुलना की. वायरल फोटो में पीछे लगे बोर्ड पर गुजराती में लिखा वही टेक्स्ट देखा जा सकता है, जो टीवी 9 के विजुअल में है. बैकग्राउंड में दिख रहे पर्दे का रंग भी एक ही है.

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वायरल फोटो को जूम करने पर पीछे दाईं तरफ एक मूर्ति भी दिख रही है. टीवी 9 के विजुअल में भी यही मूर्ति है.

कोरोना, लॉकडाउन और वैक्सीन को लेकर किए जा रहे झूठे दावों का सच एक नजर में

साफ है कि वडोदरा के स्वामीनारायण स्वामी मंदिर के सभागृह में बनाए गए अस्थाई अस्पताल की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर मुंबई का बताकर शेयर किया जा रहा है.

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4. कोविड वैक्सीन लेने के बाद कम नहीं होती पुरुषों में फर्टिलिटी

सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाती है. इंग्लिश में वायरल हो रहे कई तरह के मैसेज के साथ ही इस दावे के साथ हिंदी अखबार की एक क्लिप भी शेयर की जा रही है.

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अमेरिका में पुरुषों की फर्टिलिटी और रीप्रोडक्शन पर शोध करने वाली दो संस्थाओं सोसायटी फॉर मेल रीप्रोडक्शन एंड यूरोलॉजी (SMRU) और सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ मेल रीप्रोडक्शन (SSMR) ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि कोविड वैक्सीन का पुरुषों की फर्टिलिटी पर अब तक किसी तरह का बुरा असर साबित नहीं हुआ है. इसलिए फर्टिलिटी की चाह रखने वाले पुरुषों को भी वैक्सीन दी जा सकती है. ये बयान 9 जनवरी, 2021 तक प्राप्त डेटा के आधार पर जारी किया गया है.

SMRU और SSMR ने अपने संयुक्त बयान में ये भी स्पष्ट किया कि

16% पुरुषों को फाइजर वैक्सीन लेने के बाद हल्का बुखार आया था. बुखार की वजह से पुरुषों के स्पर्म काउंट में गिरावट आ सकती है. लेकिन, ये गिरावट कुछ समय के लिए ही होगी. स्पर्म में आने वाली ये गिरावट वैक्सीन की वजह से नहीं है, ये किसी भी तरह के बुखार में आ सकती है.

यूनाइटेड किंगडम के हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी वैक्सीन के बाद होने वाली इनफर्टिलिटी के दावों को पूरी तरह निराधार बताया है.

दावे की पुष्टि के लिए हमने यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश भगत से संपर्क किया. डॉ. सुरेश ने वैक्सीन से पुरुषों की फर्टिलिटी पर पड़ने वाले किसी भी तरह के विपरीत प्रभाव वाले दावे को पूरी तरह निराधार बताया.

वैक्सीन लेने के बाद हल्का बुखार जरूर आता है. अब तक ऐसा कोई डेटा या साइंटिफिक रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे पुष्टि होती हो कि वैक्सीन लेने के बाद पुरुषों की फर्टिलिटी कम होती है. ये दावा पूरी तरह फेक है.
डॉ. सुरेश भगत, यूरोलॉजिस्ट

मतलब साफ है- सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि कोरोना वैक्सीन लेने से पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाएगी.

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5. कपूर, अजवाइन और लौंग सूंघने से नहीं बढ़ता ऑक्सीजन लेवल,

एक वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि कपूर, लौंग, अजवाइन और यूकेलिप्टस के तेल की कुछ बूंदों को मिलाकर और उसकी पोटली बनाकर सूंघने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है.

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हमने मुंबई बेस्ड पल्मोनॉलजिस्ट और चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. आदित्य अग्रवाल से संपर्क किया. उन्होंने इस दावे को फेक बताया.

डॉ. अगरवाल ने क्विंट से फोन हुई बातचीत में कहा

ये एक मिथ है. कपूर सूंघने से ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ता. कपूर से नाक की नली में जो रुकावटें होती हैं वो साफ हो जाती हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं होती.

यूनिवर्सिटी ऑफ सेज्‍ड की पब्लिश एक रिपोर्ट में कहा गया है, ''वॉलेंटियर्स ने जब कपूर की भाप ली तो नाक के अंदर होने वाला हवा का फ्लो बढ़ता हुआ महसूस हुआ. साथ ही नाक में ठंडक का अहसास भी हुआ. हालांकि हवा के फ्लो में नाक से होने वाली रुकावट पर इसका कोई असर नहीं हुआ.''

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ऐसे कई मामले रिकॉर्ड किए गए हैं, जब लोगों और विशेषकर बच्चों में मुख्य रूप से अचानक ली गई कपूर की खुराक से नशा भी हुआ है.

मतलब साफ है - ये दावा गलत है कि कपूर, लौंग और अजवाइन में यूकेलिप्टस के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर सूंघने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है.

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