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दिल्ली बॉर्डर पर किसान नहीं कर रहे हैं स्टील के पहियों का इस्तेमाल

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.

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सोशल मीडिया में स्टील और लोहे के पहियों वाले ट्रैक्टर की फोटो वाला एक कोलाज वायरल हो रहा है. इनमें से ज्यादातर तस्वीरें अमेरिका से हैं और इनका दिल्ली बॉर्डर में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं हैं. फिर भी इन्हें इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि दिल्ली बॉर्डर में ट्रैक्टर के 'बिना टायर ट्यूब के पहिए' बनाए जा रहे हैं.

इन तस्वीरों से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट में ये कहने की कोशिश की जा रही है कि ये पहिए उन कीलों का जवाब देने के लिए बनाए गए हैं, जिन्हें सड़कों पर इसलिए लगाया गया था ताकि विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को दिल्ली आने से रोका जा सके.

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दावा

इस कोलाज को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि सुरक्षा बलों ने सड़कों पर कीलें लगाई थीं. उसका जवाब देने के लिए किसानों ने ऐसे पहिए बनाए हैं जो स्टील के हैं.

इन तस्वीरों को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, ''बिना टायर ट्यूब के चक्के तैयार किए जा रहे हैं ट्रैक्टर के सरकार द्वारा सड़कों पर कीलें लगाने का जवाब देने के लिए, साहिब जी यह होता है आत्म निर्भर भारत''

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(फोटो: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)
इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(फोटो: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)
इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्वविटर)
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पड़ताल में हमने क्या पाया

कोलाज में दिख रही फोटो पुरानी हैं और इनका दिल्ली बॉर्डर में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. चलिए जानते हैं कि हर फोटो को अलग-अलग चेक करने में हमें क्या मिला.

फोटो 1

हमने फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा और पाया कि इसे अमेरिका के 'rollerman1' नाम के एक यूजर ने साल 2016 में Tumblr पेज पर डाला था.

हमने यह भी पाया कि फोटो में ट्रैक्टर की पीछे Massey Ferguson का लोगो भी देखा जा सकता है.

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
इस फोटो को ‘rollerman1’ नाम के एक यूजर ने साल 2016 में Tumblr पेज पर डाला था.
(फोटो: Tumblr/Massey Ferguson/Altered by The Quint)
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फोटो 2

दूसरी फोटो की पड़ताल करने पर हमने पाया कि अमेरिका के अरकांसस प्रांत की Art Prints Inc ने Amazon पर इस ट्रैक्टर का फोटो इसे बेचने के लिए डाला था. इस फोटो के साथ इंग्लिश में लिखा गया था 'Old Metal Wheels John Deere Wall Picture.'

वायरल फोटो में भी 'John Deere 'लिखा हुआ देखा जा सकता है.

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
वायरल फोटो और ओरिजिनल फोटो की तुलना
(फोटो: Amazon.com/Facebook/Altered by The Quint)
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फोटो 3

फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि 'Small Scale IndustrY Ideas' नाम के यूट्यूब चैनल पर 18 जुलाई 2019 एक वीडियो डाला गया था. इस वीडियो को ‘Tractor IRON "Cage Wheels" Handmade The Proletariat Workers’ नाम से डाला गया था.

कोलाज में दिख रही यह फोटो वीडियो का थंबनेल है.

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
वायरल फोटो और थंबनेल वाली फोटो में तुलना
(फोटो: YouTube/Facebook/Altered by The Quint)
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फोटो 4

यह फोटो ‘Dreamstime.com’ पर स्टॉक फोटो के तौर पर उपलब्ध है. इसका कैप्शन है, “This Massey-Harris Model 55 farm tractor came with steel wheels.” जिसका हिंदी ट्रांसलेशन है ''इस Massey-Harris Model 55 फार्म ट्रैक्टर में स्टील के पहिए हैं.’’

इस फोटो में 'vintage' 'USA' और 'Wisconsin' टैग भी डाले गए हैं.

इन तस्वीरों का किसानों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
यह फोटो ‘Dreamstime.com’ पर स्टॉक फोटो के तौर पर उपलब्ध है
(फोटो: स्क्रीनशॉट/Dreamstime.com)
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फोटो 5

इस फोटो का रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि 27 जून 2013 को ‘Bontrager Entertainment’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर वीडियो डाला गया था.

कोलाज में इस्तेमाल की गई ये फोटो इस वीडियो का थंबनेल है. इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा गया है, “Brief history of farming and reason for using steel wheels by the Horse & Buggy Mennonites of New York.” इसका हिंदी ट्रांसलेशन है ''किसानी का संक्षिप्त इतिहास और न्यूयॉर्क के घोड़ागाड़ी मेनोनाइट क्यों इस्तेमाल करते थे स्टील के पहियों का''

मतलब साफ है कि कोलाज में इस्तेमाल की गई ट्रैक्टर की ये पुरानी तस्वीरें स्टॉक फोटो और यूट्यूब वीडियो की थंबनेल हैं. इन तस्वीरों का बॉर्डर में चल रहे किसानों के विरोध से कोई लेना-देना नहीं है और इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.

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