उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में आई आपदा के बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है. फोटो में दरकती जमीन और लैंडस्लाइड दिख रही है.
बता दें कि जोशीमठ में लैंडस्लाइड की वजह से लोगों के घरों और जमीन में दरारों के साथ भू-धंसाव की समस्या पैदा हुई है. ऐसे दरकते घरों और होटलों को गिराया जा रहा है जो सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं.
क्या है दावा?: इस फोटो को Tatva India के सोशल मीडिया हैंडल्स पर शेयर किया गया है जिसमें लिखा है कि आपदा से प्रभावित 600 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाएगा.
इसी फोटो को और भी कई यूजर्स ने इसी दावे से शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.
सच क्या है?: ये बात सही है कि जोशीमठ में लैंडस्लाइड हुआ है. लेकिन ये फोटो वहां की नहीं बल्कि पेरू की है और साल 2018 की है. तब पेरू के जूस्को क्षेत्र के कूस्कॉ नाम की जगह पर लैंडस्लाइड की वजह से तबाही हुई थी.
हमने सच का पता कैसे लगाया?: हमने वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया.
इससे हमें ये फोटो Wikimedia Commons पर मिली.
यहां फोटो का सोर्स पेरू का रक्षा मंत्रालय बताते हुए फोटो वेबसाइट Flickr का एक लिंक डाला गया था.
फोटो कैप्शन के मुताबिक, जूस्को में लैंडस्लाइड के पीड़ितों के लिए किसिक नाम के मंत्री ने सहायता की थी.
इसके अलावा, हमें पेरू के रक्षा मंत्रालय के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 15 मार्च 2018 को किया गया एक ट्वीट भी मिला. जिसमें इस्तेमाल की गई तस्वीरों में भी यही वायरल फोटो थी.
ट्वीट कैप्शन के मुताबिक, रक्षा मंत्री जॉर्ज किसिक ने वहां के गवर्नर के साथ जूस्को का हवाई दौरा किया था.
कैसे हालात हैं जोशीमठ में?: रिपोर्ट्स के मुताबिक, आपदा झेल रहे जोशीमठ में प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की मुआवजे को लेकर बात चल रही है. वहीं, आपदा प्रंबधन प्रधिकरण चमोली ने एक लिस्ट जारी की है, जिसमें 9 वॉर्ड की 723 भवनों में दरारें दर्ज की गई हैं. वहीं, 86 भवनों को अनसेफ जोन में रखा गया है. इसके साथ ही पीड़ित परिवारों को मुआवजे भी दिया गया है.
निष्कर्ष: साफ है कि जोशीमठ में हुए लैंडस्लाइड की बताकर शेयर की जा रही तस्वीर करीब 5 साल पुरानी है और पेरू की है.
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