मध्य प्रदेश की कल्चरल मिनिस्टर उषा ठाकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि वैदिक जीवनशैली अपनाकर कोरोना के प्रभाव से बचा जा सकता है. उन्होंने दावा किया है कि गोबर से बने कंडे पर घी लगाकर किए गए हवन से घर को कोरोना के खिलाफ 12 घंटे तक सैनिटाइज रखा जा सकता है.
हालांकि इस दावे की पुष्टि के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं है कि गोबर के कंडे को जलाने से नोवल कोरोना वायरस का खात्मा होता है. इसके बजाए, हमने पाया कि एक अध्ययन के मुताबिक भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर के कंडे जैसे ठोस ईंधन जलाना कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा है.
दावा
मध्य प्रदेश के इंदौर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम में उषा ठाकुर ने कहा, "COVID-19 के प्रकोप से लड़ने के लिए एलोपैथी के साथ-साथ वैदिक जीवनशैली की अपनी अहमियत है. इस महामारी के जरिए हमें यह संदेश मिला है कि हमें वैदिक जीवनशैली की ओर लौटना चाहिए."
उन्होंने कहा, “आपको गाय के दूध से बने घी में अक्षत (चावल) मिलाकर रखना होगा. फिर सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त गाय के गोबर के कंडों पर हवन के दौरान दो आहुतियां डालनी होंगी. ऐसा करने से यकीन मानिए 12 घंटे तक आप और आपका घर संक्रमण मुक्त रहेगा.”
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस तरह के दावे किए हों. पिछले साल मार्च में अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए गोमूत्र पीने सलाह दी थी और अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से गोमूत्र पार्टी तक दी गई थी.
उससे पहले असम में बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया ने भी गोमूत्र और गोबर से कोरोना के इलाज की बात कही थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा था कि चीन की हवा को साफ करने के लिए वहां गाय के गोबर से हवन किया जा सकता है.
हमने क्या पाया?
हमने ऐसे वैज्ञानिक अध्ययन और शोध पत्र की तलाश की, जिसमें गोबर के कंडे को जला कर घर को सैनिटाइज करने की बात कही गई हो, लेकिन ऐसी कोई स्टडी नहीं मिली.
कोरोना वायरस से निपटने के लिए गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल वाले बयानों पर फिट ने इससे पहले क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे से बात की थी, उन्होंने बताया था कि इस तरह की टिप्पणियों पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
उन्होंने कहा था,
विज्ञान की बात करें, तो गाय का गोबर हो या गोमूत्र, ये एक जानवर (स्तनधारी) के शरीर से बाहर निकाला जाता है. इसका कोई वैज्ञानिक अध्ययन या सबूत नहीं हैं कि गोमूत्र या गोबर में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. इसलिए हम नहीं कह सकते हैं गोबर या गोमूत्र से कोरोना वायरस सहित किसी भी इंफेक्शन से निपटने में मदद मिल सकती है. इस तरह की टिप्पणियां अवैज्ञानिक और तर्कहीन हैं.
हमने एक अध्ययन भी पाया जिसमें हीटिंग या खाना पकाने के लिए घर के अंदर बायोमास जलाने के जोखिमों के बारे में बताया गया है.
“हीटिंग और खाना पकाने के लिए विकासशील देशों में बायोमास को जलाने से इंडोर पार्टिकल्स काफी बढ़ जाते हैं. अध्ययन में कहा गया है कि एयरबोर्न पार्टिकुलेट मैटर (PM) से लंबे समय तक संपर्क रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज और कैंसर के मामले बढ़ने से जुड़ा है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से COVID-19 को रोकने के लिए स्वच्छता बनाए रखने जैसे कि बार-बार हाथ धोना, फिजिकल डिस्टेन्सिंग रखना और फेस कवर लगाने पर लगातार जोर दिया जाता रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द से जल्द ट्रांसमिशन के चेन को तोड़ने और इससे होने वाली मौतों को रोकने के लिए लोगों को COVID-19 के खिलाफ टीका लगवाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है.
इसलिए, यह दावा कि गोबर के कंडे जलाने से घर को 12 घंटे तक सैनिटाइज किया जा सकता है और इस तरह, COVID-19 के रोकथाम की बात निराधार है.
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