ADVERTISEMENTREMOVE AD

World Health Day: कैंसर पर हर तीसरा लेख फेक, हेल्थ पर फर्जी खबरों से बचिए

Coronavirus महामारी ने समझाया कि स्वास्थ्य से जुड़ी Fake News को शेयर करना गैर जागरुक होना तो है ही, जानलेवा भी है

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सोशल मीडिया पर हम आए दिन भ्रामक खबरों से दो चार होते हैं. कभी पॉलिटिक्स, कभी टेक्नोलॉजी तो कभी स्वास्थ्य से जुड़े दावे. आज वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day) पर एक नजर डालते हैं हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज की समस्या पर.

जाहिर है आपके मन में ये सवाल होगा कि फेक न्यूज तो हर मुद्दे से जुड़ी होती है, फिर सिर्फ हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज पर ही बात क्यों? क्योंकि हेल्थ से जुड़े झूठे दावे सामान्य फेक न्यूज से ज्यादा हानिकारक हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने दुनिया भर में फेक न्यूज के प्रभाव को लेकर हो रही उन स्टडीज को खंगाला है, जो बताती हैं कि हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज कैसे जानलेवा तक साबित हो सकती है.

Pew Research Center का हालिया सर्वे बताता है कि 73% अमेरिकी यूजर्स के लिए हेल्थ से जुड़ी जानकारी का सोर्स इंटरनेट है. वहीं स्टडी में ये भी सामने आया कि भ्रामक सूचनाएं सोशल मीडिया पर सही सूचनाओं की तुलना में ज्यादा शेयर की जाती हैं.

समझना मुश्किल नहीं है कि जब अमेरिका जैसे विकसित देशों में ये हाल है, तो भारत जैसे उन विकासशील देशों की स्थिति और कितनी खराब होगी, जहां पर्याप्त मात्रा में हेल्थ से जुड़ी विश्वसनीय जानकारियों के ऑनलाइन सोर्स अभी उपलब्ध नहीं हैं.

सोशल मीडिया पर कैंसर के इलाज से जुड़ा हर तीसरा आर्टिकल फेक

सोशल मीडिया पर आए दिन हार्ट अटैक, कोरोना वायरस, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के घरेलू टोटकों को अगर आप सच मान लेते हैं तो जाहिर है आप इन बीमारियों का सही इलाज नहीं करेंगे.

हाल में University of Utah के वैज्ञानिकों ने सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले कैंसर के इलाज से जुड़े मैसेजेस का अध्यन किया. सामने आया कि सोशल मीडिया पर उपलब्ध कैंसर के इलाज से जुड़े सबसे ज्यादा पढ़े जाने आर्टिकल्स में से हर तीसरा फेक है. इन आर्टिकल में कई खतरनाक भ्रामक जानकारियां पाई गईं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डिप्रेशन का कारण बनती है हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज

फेक न्यूज के प्रभाव को समझने के लिए नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर 14 स्टडीज का एक विश्लेषण छपा है. इन स्टडीज का विश्लेषण करने पर ये निष्कर्ष निकला कि कोरोना महामारी के दौर में फैल रही भ्रामक खबरें मानसिक तनाव, तकलीफ, डर और डिप्रेशन की वजह बन सकती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज कितनी हानिकारक है. इसका उदाहरण है हाल में हमारा किया एक फैक्ट चेक. सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में दावा किया जा रहा था कि पीपल के पत्ते हार्ट ब्लॉकेज को 99% तक ठीक किया जा सकता है. आयुर्वेद विशेषज्ञ भी इस दावे को सच नहीं मानते. न ही इस दावे से जुड़ी कोई साइंटिफिक स्टडी हुई है. अब जरा सोचिए कि अगर पीपल के पत्ते के भरोसे आप हार्ट ब्लॉकेज का सही इलाज न कराएं, तो क्या फेक न्यूज जानलेवा नहीं है?

कोरोना महामारी ने बताया, कितनी खतरनाक है फेक न्यूज

हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज कितनी ज्यादा हानिकारक हो सकती है. इसका बड़ा असर कोरोना महामारी में देखने को मिला. ऐसे कई दावे सामने आए, जहां कोरोना के गैर वैज्ञानिक इलाज बताए गए. फिर चाहे वो ये दावा हो कि सरसों का तेल नाक में डालने से कोरोना संक्रमण खत्म होता है. या फिर ये कि कि गोबर और गौमूत्र से कोरोना ठीक हो जाता है. क्विंट की वेबकूफ टीम ने जब पड़ताल की तो सामने आया ये सभी गलत थे. जाहिर है कोई इन्हें मानकर कोरोना को सही इलाज करेगा तो ये फेक न्यूज जानलेवा साबित होगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन NIH में छपी नवंबर 2020 की स्टडी बताती है कि कोरोना महामारी के दौरान 1200 चीनी हेल्थ वर्कर्स पर एक एक्सपेरिमेंट किया गया. इनमें से 70% मानसिक तनाव का सामना कर रहे थे. हेल्थ वर्कर्स को ये तनाव कन्फ्यूजन और ऑनलाइन वायरल हो रही कॉन्सपिरेसी थ्योरीज के चलते हुआ था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज सबसे ज्यादा फैलाने वाले कौन?

अमेरिका और कनाडा की चार यूनिवर्सिटीज ने ये समझने के लिए एक अध्यन किया कि आखिर हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज सबसे ज्यादा किस तरह के यूजर शेयर करते हैं? आखिर क्या सोचकर लोग ऑनलाइन हेल्थ से जुड़ी जानकारियों पर यकीन करना शुरू कर देते हैं? इस स्टडी के हाइपोथीसिस में बताया गया है कि वही लोग ज्यादातार हेल्थ से जुड़ी फेक न्यूज को एक्सेस करते हैं, जो कम पढ़े-लिखे या फिर स्वास्थ्य को लेकर कम जागरुक हैं. या फिर ऐसे लोग जिनका भरोसा हेल्थ केयर सिस्टम पर नहीं है और वो इलाज के वैकल्पिक तरीके तलाश रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फेक न्यूज जब जानलेवा है, तो आपका भी फर्ज बनता है कि आप लोगों तक वो सच पहुंचाने का माध्यम बनें, जिससे वो ये जानलेवा कंटेंट कंज्यूम करने से बचें.

(अगर आपके पास ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या मेल आइडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×