आज तक, टाइम्स नाउ और इंडिया टुडे समेत कई न्यूज चैनलों ने गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प में मारे गए PLA सैनिकों की संख्या बताते हुए पुरानी तस्वीरें और वीडियो दिखाए.
15 जून 2020 की रात को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. चीन ने अपने सैनिकों के शहीद होने को लेकर कोई आंकड़े जारी नहीं किए थे.
दावा
एंकर रोहित सरदाना ने दावा किया कि न्यूज चैनल आज तक के हाथ 15 जून को झड़प में शहीद हुए ‘40 PLA जवानों की कब्र’ की ‘एक्सक्लूसिव’ फुटेज हाथ लगी है. बुलेटिन में एक कब्रिस्तान का एरियल व्यू दिखाया गया था, जिसमें कई कब्रें देखी जा सकती थीं.
जहां आजतक ने ‘40 PLA सैनिकों’ की कब्रों के विजुअल दिखाने का दावा किया, वहीं टाइम्स नाउ ने एक कदम आगे बढ़कर दावा किया कि उनके चैनल द्वारा दिखाई गई तस्वीरों में 106 PLA कब्रें देखी जा सकती हैं और ये ‘15 जून को गलवान में हुई हिंसक झड़प में चीनी कैजुअल्टी का खुलासा करती हैं.’
वहीं, इंडिया टुडे ने कांगसीवा कब्रिस्तान में मौजूद कब्रों की संख्या दिखाने के लिए एक कब्रिस्तान और सैटेलाइट इमेजरी के विजुअल दिखाए. एंकर ने कहा कि तस्वीरें ‘गलवान में चीन की बड़ी कैजुअल्टी की सबूत’ हैं.
ऐसे ही दावे के साथ कुछ तस्वीरें कई सोशल मीडिया यूजर्स ने भी शेयर कीं.
हमें जांच में क्या मिला?
शेयर हो रही तस्वीरों में से एक 1962 में शहीद हुए सैनिकों की कब्र दिखाती है. जब गूगल ट्रांसलेट ऐप के जरिए सबसे सामने की कब्र का ट्रांसलेशन किया गया, तो उसमें लिखा था: “झाओ शांगक्वान का मकबरा, 1962 में हुई हत्या.”
क्विंट स्वतंत्र रूप से फोटो की प्रामाणिकता को वेरिफाई नहीं कर पाया है.
कब्रिस्तान का एक एरियल व्यू इंडिया टुडे चैनल पर ऑन-एयर किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि इसमें 105 कब्र हैं. प्रसारण में रक्षा विशेषज्ञ, कर्नल विनायक भट्ट (आर) ने कहा कि वहां दिसंबर 2019 तक 105 कब्रें थीं. उन्होंने आगे कहा कि सैटेलाइट इमेजरी की कमी के कारण, इसपर कमेंट करना मुश्किल था कि कितनी नई कब्रें बनाई गई है, लेकिन 'निश्चित रूप से कैजुअल्टी हुई हैं.'
फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट Alt News ने गूगल अर्थ के जरिए इंफोग्राफ के असली कॉर्डिनेट्स पता लगाए और पाया कि ये 2011 की हैं.
फोटो में 105 कब्रें जरूर दिखाई गई हैं, जिसमें बाईं ओर 43 और दाईं ओर 62 कब्र देखी जा सकती हैं. इंडिया टुडे ने 29 अगस्त को अपने एक आर्टिकल में इसी इमेजरी का इस्तेमाल किया था और इसे 2011 का बताया था.
कांगसीवा की तस्वीर 2011 की है
एक दूसरी वायरल फोटो की पहचान चीनी सेना के कांगसीवा कब्रिस्तान के तौर पर हुई है और इसका ये 2011 की है.
देखा जा सकता है कि कब्रिस्तान की बाईं ओर 43 कब्र हैं और आखिरी पंक्ति में केवल 1 कब्र है.
जर्नलिस्ट आदिल ब्रार ने कब्रिस्तान की दो तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें से बाईं वाली अगस्त की है और दाईं वाली अप्रैल की.
बाईं ओर अतिरिक्त कब्र?
अप्रैल की फोटो में देखा जा सकता है कि आखिरी पंक्ति में एक नहीं, दो कब्रें हैं. 2011 की फोटो में आखिरी पंक्ति में केवल एक ही कब्र दिखाई दे रही थी.
दाईं ओर हमने काउंट किया तो कुल 63 कब्रें थीं.
अगस्त तक, बाईं ओर 44 और दाईं ओर 64 कब्रें हैं
हमने पाया कि आज तक ने जो वीडियो ऑन-एयर किया, उसे चीनी वेबसाइट Bilibili पर 24 अगस्त को अपलोड किया गया था. इस विजुअल में भी, आखिरी पंक्ति में एक की बजाय दो कब्र देखी जा सकती हैं. इसके बाद, बाईं ओर कब्रों की संख्या कुल 44 हो जाती है.
अब दाईं ओर की बात करें तो, अप्रैल की तस्वीर के मुकाबले, इसमें एक और कब्र दिखाई दे रही है, जिसके बाद कुल 64 हो जाता है.
अब, अगर बाईं और दाईं तरफ कब्रों की संख्या को मिला दिया जाए, तो टोटल 44+64+108 होगा.
चीनी सेना ने कहा- अप्रैल तक थीं 108 कब्रें
चीनी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर अप्रैल 2020 में अपलोड हुए एक आर्टिकल के मुताबिक, कांगसीवा कब्रिस्तान में 108 शहीदों की कब्र है.
आर्टिकल के मुताबिक, Yang Baomin ने कहा, “लगभग एक साल तक रिश्तेदारों की तलाश के बाद, कांगसीवा कब्रिस्तान में दफन किए गए 108 शहीदों में से 59 शहीदों के परिजनों को ढूंढ लिया गया है.”
24 अगस्त को अपलोड किए गए वीडियो में भी 108 नंबर का उल्लेख किया गया था.
इसके अलावा, Alt News ने पाया कि इंडिया टुडे कि दिखाई एक और फोटो, जिसमें दावा किया गया है कि ये चीन की गलवान में हुई कैजुअल्टी को दिखाता है, दिसंबर 2019 की है.
चीनी वेबसाइट zhihu.com (कोरा जैसी ही एक वेबसाइट) ने इस तस्वीर को दिसंबर 2019 में अपलोड किया था. आर्टिकल के आखिर में तारीख लिखी है: 15 दिसंबर 2019.
यहां ये बात भी ध्यान देने वाली है कि एक और फोटो वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि वो जून में गलवान घाटी में झड़प में शहीद PLA सैनिक की है.
जब टेक्स्ट को गूगल ट्रांसलेट के जरिए ट्रांसलेट किया गया, तो उसमें लिखा था: "टुकड़ी 69316 का सैनिक, 2001 में पिंगानान, फुजियान में पैदा हुआ और जून 2020 में भारत के खिलाफ सीमा रक्षा संघर्ष के दौरान शहीद हो गए."
हालांकि, क्विंट स्वतंत्र रूप से फोटो की प्रामाणिकता को वेरिफाई नहीं कर पाया है.
इससे साफ होता है कि न्यूज चैनलों ने गलवान घाटी में शहीद PLA सैनिकों की कब्र दिखाने के लिए पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल किया.
(इस स्टोरी को सबसे पहले Alt News ने डिबंक किया था.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)