सोशल मीडिया पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ खड़े एक शख्स की फोटो वायरल है, दावा किया जा रहा है कि ये शख्स सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.बी पारदीवाला (JB Pardiwala) हैं. सुप्रीम कोर्ट के वही जस्टिस पारदीवाला, जिनकी बेंच ने हाल में नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की तीखी आलोचना की थी और उन्हें देश के हालिया माहौल का जिम्मेदार बताया था.
वायरल कैप्शन में ये भी दावा किया जा रहा है कि जस्टिस पारदीवाला पहले कांग्रेस विधायक रहे हैं. सच तो ये है कि न तो वायरल फोटो में सोनिया गांधी के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला हैं, न ही पारदीवाला कांग्रेस विधायक थे. वायरल फोटो में सोनिया गांधी के साथ पूर्व चीफ जस्टिस वायरल फोटो में दिख रहे शख्स पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन हैं.
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जस्टिस पारदीवाला की प्रोफाइल में उनके शैक्षणिक योग्यता और प्रोफेशनल एक्सपीरियंस के बारे में लिखा है, यहां कहीं नहीं लिखा है कि वो कांग्रेस विधायक थे.
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने पैगंबर मोहम्मद पर नुपूर शर्मा (Nupur Sharma) की टिप्पणी को लेकर उनकी काफी आलोचना की थी, जस्टिस जेबी पारदीवाला भी उसी बेंच का हिस्सा थे.
दावा
फोटो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है - कन्हैयालाल की हत्याके लिए नुपुर शर्मा जिम्मेदार - सुप्रीम कोर्ट जज जे.बी पारदीवाला (कांग्रेस MLA 1989 - 90) कुछ समझें ?
फोटो में जस्टिस जेबी पारदीवाला नहीं
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें ये फोटो स्टॉक वेबसाइट Getty Images पर मिली. हालांकि गेटी इमेजेस ने फोटो के साथ जो कैप्शन दिया है, वो वायरल दावे से बिल्कुल जुदा है. यहां फोटो के साथ दिए गया कैप्शन में बताया गया है कि फोटो 14 जनवरी, 2007 की है, जिसदिन जस्टिस केजी बालकृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी.
गेटी इमेजेस की वेबसाइट पर ये भी बताया गया है कि तत्कालीन गृह मंत्री एके एंथनी फोटो में जस्टिस केजी बालकृष्णन को बधाई देते दिख रहे हैं और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवाल उन्हें देख रहे हैं. Getty Images ने फोटो का क्रेडिट हिंदुस्तान टाइम्स और फोटोग्राफर संजीव वर्मा को दिया है.
देश के पहले दलित चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह की और भी कई तस्वीरें गेटी इमेजेस की वेबसाइट पर हैं. इस शपथ ग्रहण समोराह में सोनिया गांधी भी शामिल हुई थीं.
साफ है कि वायरल फोटो में जस्टिस जे बी पारदीवाला नहीं जस्टिस केजी बालकृष्णन हैं.
कांग्रेस विधायक नहीं थे जस्टिस जे बी पारदीवाला
सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर हमने जस्टिस जे बी पारदीवाला की प्रोफाइल देखी. यहां उनके एकेडमिक और प्रोफेशनल रिकॉर्ड के बारे में बताया गया है. यहां कहीं नहीं लिखा है कि जस्टिस पारदीवाला कांग्रेस विधायक थे.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर ये भी बताया गया है कि जस्टिस पारदीवाला के पिता दिसंबर 1989 से मार्च 1990 के बीच गुजरात विधानसभा के स्पीकर रहे.
जस्टिस जे बी पारदीवाला को लेकर वायरल हो रहे अधिकतर मैसेजेस में सिर्फ यही दावा किया गया है कि वो कांग्रेस विधायक थे. हालांकि, कुछ मैसेज ऐसे भी हैं जिनमें इस दावे के साथ साल भी लिखा है. कुछ मैसेजेस में ये भी दावा है कि जस्टिस पारदीवाला 1989 से 1990 तक गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष रहे.
गुजरात विधानसभा की ऑफिशियल वेबसाइट पर स्पीकर्स की लिस्ट हमने देखी, यहां कहीं भी जस्टिस जे बी पारदीवाला का नाम नहीं है. लेकिन, उनके पिता बुर्जोर कावासजी पारदीवाला 1989 से 1990 में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष थे. विधानसभा की वेबसाइट पर उनका नाम भी देखा जा सकता है.
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कभी चुनाव लड़ा या विधायक रहे? इस सवाल का जानने के लिए हमने निर्वाचन आयोग (Election Commision) की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर गुजरात विधानसभा की विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों की लिस्ट देखी. जे बी पारदीवाला का नाम हमें नहीं मिला. लेकिन, उनके पिता बुर्जोर कावासजी पारदीवाला का नाम 2 बार मिला. बुर्जोर कावासजी पारदीवाला ने 1985 और 1995 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, बुर्जोर पारदीवाला इनमें से सिर्फ 1985 का ही चुनाव जीते थे.
साफ है कि जस्टिस जे बी पारदीवाला के पिता बुर्जोर पारदीवाला 1959 से 1990 तक कांग्रेस विधायक रहे और 1989 से 1990 तक गुजरात विधानसभा के स्पीकर. लेकिन, सोशल मीडिया पर ये दावा जे बी पारदीवाला को लेकर किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है.
कौन हैं जस्टिस जे बी पारदीवाला?
सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद पर नुपूर शर्मा की टिप्पणी को लेकर उनकी काफी आलोचना की थी. सुप्रीम कोर्ट के दो जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने जेपी आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से 1985 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था, उन्होंने 1989 में गुजरात से ही वकालत की शुरुआत की. 17 फरवरी 2011 को उन्हें गुजरात हाई कोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश (एडिशनल जज) के रूप में प्रमोट किया गया और 28 जनवरी 2013 को वो स्थायी जज बन गए. 9 मई 2022 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किया गया.
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