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'ओमिक्रॉन' Covid-19 के पुराने वैरिएंट से ज्यादा जानलेवा है? भ्रामक दावा वायरल

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर वायरल पोस्ट में किए गए दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं और झूठे हैं.

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(स्टोरी पढ़ने से पहले आपसे एक अपील है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए हम एक विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर संसाधनों का इस्तेमाल होता है. हम ये काम जारी रख सकें इसके लिए जरूरी है कि आप इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें. आपके सपोर्ट से ही हम वो जानकारी आप तक पहुंचा पाएंगे जो बेहद जरूरी हैं.

धन्यवाद - टीम वेबकूफ)

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 26 नवंबर (शुक्रवार) को नए डिटेक्ट किए गए कोविड 19 ओमिक्रॉन के स्ट्रेन B.1.1.529 के बारे में बताया. संगठन ने अपने बयान में आगे ये भी कहा कि अभी ये पुष्टि नहीं हुई है कि ये नया वेरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक या खतरनाक है या नहीं.

हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई मैसेजेस में दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन ज्यादा संक्रामक है और ज्यादा जानलेवा है. वायरल मैसेज दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों के ग्रुप द्वारा जारी की गई चेतावनी की तरह पेश किया जा रहा है.

हमारी पड़ताल में सामने आया कि वायरल हो रहे इस पोस्ट में किए गए दावे कुछ वैसे ही हैं, जैसे कोरोना वायरस के नए डेल्टा वैरिएंट के सामने आने के बाद किए गए थे. इन दावों की क्विंट की वेबकूफ टीम ने पड़ताल भी की थी.

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दावा

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले इस पोस्ट का हिंदी अनुवाद कुछ यूं होगा

'' नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (SARS-CoV-2) ज्यादा शक्तिशाली है. हमें कफ नहीं होता, बुखार नहीं होता, जोड़ों का दर्द होता है, कमजोरी,भूख न लगना और निमोनिया. जाहिर है इसमें मृत्यू दर काफी ज्यादा है. इसके संक्रमण को चरम पर पहुंचने में काफी कम समय लगता है, कई बार तो बिना लक्षणों के ही.. सावधान रखिए"

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर वायरल पोस्ट में किए गए दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं और झूठे हैं.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/फेसबुक

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पोस्ट में आगे ये साबित करने के लिए कई दलीलें दी गई हैं कि कैसे ये पिछले वैरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है.

फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर इस मैसेज को कॉपी-पेस्ट कर शेयर कर रहे हैं. ऐसे पोस्ट्स का अर्काइव यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

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पड़ताल में हमने क्या पाया?

कोविड-19, ओमिक्रोन के B.1.1.529 स्ट्रेन को WHO ने ''वेरिएंट ऑफ कन्सर्न'' यानी चिंताजनक वैरिएंट घोषित किया है. ये वैरिएंट पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. अब यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, इजरायल और नीदरलैंड्स में भी इसके केस सामने आए हैं.

WHO के मुताबिक, ओमिक्रॉन को ''चिंताजनक वैरिएंट'' घोषित करने के पीछे ये कारण है कि आगे इसके अन्य तरह के प्रभाव भी सामने आ सकते हैं.

हालांकि, WHO के 28 नवंबर के बुलेटिन के मुताबिक, WHO और दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक अब भी ये स्टडी कर रहे हैं कि वैरिएंट कितना संक्रामक और कितना खतरनाक है.

इसमें बहुत ज्यादा संख्या में म्यूटेशन हो सकते हैं, इसलिए WHO ने कहा है कि शुरूआती साक्ष्य के मुताबिक, दूसरे चिंताजनक वैरिएंट की तुलना में इस वैरिएंट में दोबारा से संक्रमण होने का जोखिम ज्यादा हो सकता है.

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WHO की तरफ से ऐसा कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया गया है , जिसमें ये कहा गया हो कि ये वैरिएंट पहले से मौजूद वैरिएंट की तुलना में ज्यादा गंभीर या घातक है.

बाद में, 29 नवंबर को WHO ने इस वैरिएंट पर एक टेक्निकल पेपर जारी कर कहा कि 'ओमिक्रॉन से संबंधित पूरी दुनिया में जोखिम का आंकलन काफी ज्यादा है.'' इसमें सभी सदस्य देशों को निगरानी बढ़ाने, कोविड से जुड़ी सावधानियां बरतने और वैक्सीनेशन पर जोर देने की सलाह भी दी गई है.

सबसे पहले इस वैरिएंट के बारे में जानकारी देने वाले दक्षिण अफ्रीका के एक डॉक्टर ने Telegraph से बातचीत में कहा कि नए वैरिएंट के लक्षण असामान्य, लेकिन हल्के थे.

साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एंजेलिक कोएत्ज़ी ने टेलीग्राफ को बताया कि इसमें थकान और उच्च तापमान जैसे लक्षण शामिल हैं, लेकिन स्वाद और गंध न आने जैसे सामान्य लक्षणों के बारे में सूचना नहीं दी गई.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, फिलहाल हमारे पास ये निर्धारित करने के लिए पर्याप्त शोध नहीं है कि ये वैरिएंट ज्यादा घातक या जोखिम भरा है या नहीं.

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डेल्टा वैरिएंट के दौरान भी यही टेक्स्ट वायरल हुआ था

जब डेल्टा वैरिएंट दुनियाभर में फैल रहा था, तब भी यही मैसेज वायरल हुआ था. उस समय वायरल टेक्स्ट में ये दावा भी किया गया था कि डेल्टा वैरिएंट पिछले वैरिएंट की तुलना में घातक है और RT-PCR टेस्ट से इसकी पहचान नहीं की जा सकती.

हालांकि, WHO और दुनियाभर के स्वास्थ्य अधिकारियों की स्टडी से पता चला है कि वायरल पोस्ट में किए गए दावे या तो झूठे थे या भ्रामक थे.

दोनों वैरिएंट को लेकर किए गए वायरल दावे के आखिर में दो मास्क के इस्तेमाल करने, सोशल डिस्टैंसिंग रखने और हाथों को धोने या साफ करने की सलाह भी दी गई थी.

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ये सलाह तो सही है और दुनियाभर के स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से दी गई सलाह के मुताबिक है. वैक्सीन लगवाकर और इन सावधानियों का पालन कर, हम ये पक्का कर सकते हैं कि वायरस आगे म्यूटेट न हो.

लेकिन पोस्ट में लिखी बाकी बातें बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई हैं, जिससे लोगों में इसे लेकर चिंता और घबराहट बढ़ सकती है. क्योंकि WHO के किसी भी ऑफिशियल बयान में ये बातें नहीं बताई गई हैं, जो पोस्ट में लिखी गई हैं.

हालांकि, WHO ने कहा है कि ये नया वैरिएंट ज्यादा संक्रामक हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक अब भी ये स्टडी कर रहे हैं कि वैरिएंट कितना संक्रामक और खतरनाक है.

इसलिए, कोविड से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन करना और वैक्सीन लेना जरूरी है. लेकिन इस तरह के दावों पर भरोसा न करें और न ही घबराएं.

(ये स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है. हमारे सहयोगी संगठन वीडियो वॉलंटियर्स ने इस अफवाह के बारे में हमें सूचना दी थी.)

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