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क्या गाय का गोबर और देसी घी जलाने से बनती है ऑक्सीजन? गलत है दावा

जलने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन पैदा नहीं होती, बल्कि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है

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कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देशभर के हॉस्पिटल ऑक्सीजन की किल्लत झेल रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन से जुड़े ऐसे कई दावे किए जा रहे हैं जिनमें या तो घर में ही ऑक्सीजन बनाने का तरीका बताया जा रहा है या फिर कोरोना संक्रमितों के ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने का कोई नुस्खा बताया जा रहा है.

ऐसा ही एक दावा सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है. जिसमें बताया गया है कि गाय के गोबर से बने उपले को देसी घी के साथ जलाने पर घर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ेगा.

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हालांकि हमने एक्सपर्ट्स से बात की, जिन्होंने बताया कि ये दावा सच नहीं है. क्योंकि जलाने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. इससे ऑक्सीजन प्रोड्यूस नहीं होती है.

दावा

दावे में कहा जा रहा है कि गाय के गोबर से बने उपले पर देसी घी डालकर जलाएं. इसमें आगे ये भी बताया जा रहा है कि 10 ग्राम घी से 1000 टन हवा को ऑक्सीजन में कन्वर्ट कर सकते हैं.

जलने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन पैदा नहीं होती, बल्कि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

कई यूजर्स ने इस फोटो को इसी दावे के साथ फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

क्विंट की WhatsApp टिपलाइन में भी इस वायरल फोटो के साथ किए जा रहे दावे की क्वेरी आई है.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

दावे को ठीक से समझने के लिए पहले जलने की प्रक्रिया को समझते हैं. जलने की प्रक्रिया एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें कोई जलने वाला पदार्थ ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके ऊष्मा पैदा करता है.

जलने या फिर दहन की प्रक्रिया होने के लिए जरूरी है ज्वलनशील पदार्थ, ऑक्सीजन और गर्मी के स्रोत की. इसके बाद पदार्थ को जलाने पर ऊष्मा का निर्माण होता है.

हमने IIT बॉम्बे में केमिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर अभिजीत मजूमदार से बात की. उन्होंने बताया कि ये दावा पूरी तरह से गलत है.

पहली बात तो ये कि जलने की प्रक्रिया में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. आप कुछ भी जलाएं उससे ऑक्सीजन नहीं पैदा होती है, इसके बजाय इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन की जरूरत होती है. दूसरी बात ये कि एक तत्व का दूसरे तत्व में परिवर्तन, केवल न्यूक्लियर रिएक्शन की मदद से किया जा सकता है.
असिस्टेंट प्रोफेसर अभिजीत मजूमदार, IIT बॉम्बे
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उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि इस तरह केमिकल रिएक्शन के लिए जितने तापमान की जरूरत होती है उसके लिए आपको सूरज के कोर के अंदर जाना होगा.

उन्होंने आगे ये भी कहा कि ''अगर आप कमरे में धुआं करेंगे, तो इससे सांस की समस्या से जूझ रहे बीमार व्यक्ति को परेशानी हो सकती है''.

IIT बॉम्बे में केमिकल इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले प्रोफेसर गुरुस्वामी कुमारास्वामी ने भी यही बताया कि किसी पदार्थ को जलाने के लिए ऑक्सीजन का होना जरूरी है, लेकिन जलने से ऑक्सीजन नहीं बनती.

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