प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर बुधवार को गुजरात के नर्मदा जिले में ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया. वैसे तो दुनिया की इस सबसे ऊंची मूर्ती को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश-दुनिया की मीडिया और सोशल मीडिया में हलचल है, लेकिन अनावरण के दिन इस मूर्ती से जुड़ी एक खबर सोशल मीडिया में तेजी से फैली, जिस पर तमिल भाषी लोगों ने नाराजगी जताई.
सर्कुलेट हुई तस्वीरों में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साइनबोर्ड को दिखाया गया. इसमें तमाम विदेशी भाषाओं के साथ कई क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में मूर्ति का नाम नजर आ रहा है. लेकिन इन सब में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का तमिल अनुवाद गलत लिखा हुआ दिख रहा है. बहुत से तमिल भाषी लोगों ने ट्विटर पर इन तस्वीरों को शेयर कर अपनी नाराजगी का इजहार किया है.
दावा सही या गलत?
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरदार सरोवर नर्मदा निगम के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि मूर्ति की साइट पर ऐसा कोई साइनबोर्ड ही मौजूद नहीं है, और ना ही ऐसा कोई साइनबोर्ड वहां से हटाया गया है.
उन्होंने कहा, "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के गलत तमिल अनुवाद की वायरल तस्वीर सरदार वल्लभभाई पटेल को दिए गए भव्य श्रद्धांजलि को खराब करने के लिए जानबूझकर की गई एक शरारत भरी कोशिश है. असली साइनबोर्ड में मूर्ति का लोगो है, जिसमें कहा गया है कि यह भारत सरकार का प्रोजेक्ट है."
अधिकारी ने ये भी कहा कि अगर भविष्य में ऐसा कोई साइनबोर्ड बनेगा, तो उसमें सभी भारतीय भाषाओं को शामिल किया जाएगा.
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